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खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में बीते सप्ताह रहा तेजी का रुख
By DivaNews
25 December 2022
खाद्य तेल, तिलहन कीमतों में बीते सप्ताह रहा तेजी का रुख बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में खाद्य तेल तिलहन कीमतों में तेजी का रुख रहा और अधिकांश तेल तिलहनों के दाम पिछले सप्ताहांत के मुकाबले लाभ के साथ बंद हुए। वहीं कारोबार कम होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) के दाम में साधारण गिरावट देखने को मिली। बाजार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ) से पामोलीन बनाने में प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों को नुकसान बैठता है और सही भाव न मिलने से सीपीओ तेल में गिरावट देखी गई। विदेशों में सोयाबीन तेल का भाव मजबूत हुआ है जिसका असर, देश के सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला जैसे हल्के (सॉफ्ट) खाद्यतेलों पर भी हुआ और इनके तेल तिलहनों के भाव चढ़ गए। सूत्रों के मुताबिक, सरसों तेल सहित सभी हल्के खाद्य तेल तिलहनों की पेराई में प्रसंस्करणकर्ताओं को नुकसान है। ये मिलें तिलहन की खरीद ऊंचे भाव पर कर रही हैं लेकिन बाजार में तेल के दाम पेराई के बाद की लागत से भी कम होती है। आयातित तेल सस्ता होने से किसी भी तेल का उसके सामने टिकना मुश्किल हो रहा है। किसानों को अपनी ऊपज के लिए पहले अच्छे दाम मिल चुके हैं इसलिए मौजूदा समय में कीमतों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक होने पर भी किसान पिछले भाव से कम होने से अपने ऊपज की अधिक बिक्री नहीं कर रहे। सूत्रों ने कहा कि हल्के तेलों की पेराई की कमी से सबसे बड़ी दिक्कत खल और डीओसी की हो रही है जिसका मवेशीचरा और मुर्गीदाने के लिए उपयोग होता है। इससे महंगाई पर असर डालने वाले दूध, मक्खन, पनीर, मुर्गी और अंडे के दाम बढ़ते हैं। सूत्रों ने कहा कि ग्राहकों को सस्ता खाद्यतेल उपलब्ध कराने के लिए देश में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट का कोटा तय किए जाने के बावजूद खाद्यतेल सस्ता नहीं हुआ। दरअसल इस कदम से बाकी आयात कम हो गया और थोक में इन्हीं तेलों के दाम ‘प्रीमियम’ पर मिलने के कारण और महंगे हो गए। सूत्रों का कहना है कि सरकार या तो आयात शुल्क लगाकर आयात को पूरी तरह खोल दे या फिर यह तय कर दे कि सिर्फ तेल खली और डीआयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात करने वाले कारोबारियों को ही शुल्क-मुक्त आयात की छूट मिलेगी। ऐसा करने से समान आयात शुल्क दर पर खाद्यतेलों के आयात की स्थिति में सुधार होगा। देश में किसानों के पास बगैर खपत वाले बचे स्टॉक खत्म हो जायेंगे, आगे किसान बुवाई के लिए प्रोत्साहित होंगे तथा देश में पशु आहार और मुर्गीदाने के लिए जरूरी खल और डीओसी की प्रचुरता हो जाएगी। उन्होंने कहा कि देश सालाना लगभग दो करोड़ 40 लाख टन खाद्यतेलों की खपत करता है जबकि देश में दूध उत्पादन का स्तर लगभग 13 करोड़ टन है। मुर्गीदाने और पशु आहार की कमी होने से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के साथ साथ अंडे, चिकेन के दाम भी बढ़ेंगे और महंगाई पर असर डालेंगे। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सोयाबीन के भाव मजबूत होने से स्थानीय बाजार में सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल तिलहन, और बिनौला तेल के भाव मजबूत बंद हुए। किसानों द्वारा सस्ते दाम पर बिकवाली कम करने और इन हल्के तेलों की जाड़े की मांग होने से भी कीमतों में सुधार को बल मिला है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 20 रुपये सुधरकर 7,030-7,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 150 रुपये बढ़कर 14,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 15-15 रुपये बढ़कर क्रमश: 2,135-2,265 रुपये और 2,195-2,320 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं। सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 25-25 रुपये की ब्ढ़त् के साथ क्रमश: 5,550-5,650 रुपये और 5,370-5,410 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
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