मकर संक्रांति पर ही भगवान सूर्य को अपने पुत्र शनि से मिलने का अवसर मिल पाता है मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगता है जो ठंड के घटने का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जो मकर राशि के शासक थे। पिता और पुत्र आम तौर पर अच्छी तरह नहीं मिल पाते इसलिए भगवान सूर्य महीने के इस दिन को अपने पुत्र से मिलने का एक मौका बनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था। मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं।
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