मकर संक्रांति पर ही भगवान सूर्य को अपने पुत्र शनि से मिलने का अवसर मिल पाता है
Festivals मकर संक्रांति पर ही भगवान सूर्य को अपने पुत्र शनि से मिलने का अवसर मिल पाता है

मकर संक्रांति पर ही भगवान सूर्य को अपने पुत्र शनि से मिलने का अवसर मिल पाता है मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगता है जो ठंड के घटने का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जो मकर राशि के शासक थे। पिता और पुत्र आम तौर पर अच्छी तरह नहीं मिल पाते इसलिए भगवान सूर्य महीने के इस दिन को अपने पुत्र से मिलने का एक मौका बनाते हैं। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था। मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं।

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मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी होता है
Festivals मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी होता है

मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान देना विशेष रूप से फलदायी होता है मकर संक्रांति पर्व को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल 'संक्रान्ति' कहा जाता है। मकर संक्रांति पर्व को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सूर्य उत्तर की ओर बढ़ने लगता है जो ठंड के घटने का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं जो मकर राशि के शासक थे। पिता और पुत्र आम तौर पर अच्छी तरह नहीं मिल पाते इसलिए भगवान सूर्य महीने के इस दिन को अपने पुत्र से मिलने का एक मौका बनाते हैं।

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सूर्य देव की उपासना का त्योहार है मकर संक्रान्ति, जानें इस दिन क्यों है काले तिल के लड्डू खाने की परंपरा?
Festivals सूर्य देव की उपासना का त्योहार है मकर संक्रान्ति, जानें इस दिन क्यों है काले तिल के लड्डू खाने की परंपरा?

सूर्य देव की उपासना का त्योहार है मकर संक्रान्ति, जानें इस दिन क्यों है काले तिल के लड्डू खाने की परंपरा?

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साल की 12 संक्रान्तियों में मकर संक्रान्ति का महत्व सबसे ज्यादा है
Festivals साल की 12 संक्रान्तियों में मकर संक्रान्ति का महत्व सबसे ज्यादा है

साल की 12 संक्रान्तियों में मकर संक्रान्ति का महत्व सबसे ज्यादा है भारत के तीर्थों में गंगासागर एक महातीर्थ हैं। मकर संक्रान्ति पर यहां प्रतिवर्ष बहुत बड़ा मेला लगता है। जिसमें दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु गंगा सागर स्नान के लिए आते हैं। गंगासागर की तीर्थयात्रा सैकड़ों तीर्थयात्राओं के समान मानी जाती है। भारत में सबसे पवित्र गंगा नदी गंगोत्री से निकल कर पश्चिम बंगाल में सागर से मिलती है। गंगा का जहां सागर से मिलन होता है उस स्थान को गंगासागर के नाम से जाना जाता है। इस स्थान को सागरद्वीप के नाम से भी जाना जाता है। 

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लोहड़ी के त्योहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व विस्तार से जानिए
Festivals लोहड़ी के त्योहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व विस्तार से जानिए

लोहड़ी के त्योहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व विस्तार से जानिए खुशहाली के आगमन का प्रतीक माने जाने वाले लोहड़ी का पर्व पंजाब में खासतौर पर पारम्परिक रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। लोहड़ी पर्व से जुड़ी एक बड़ी बात यह भी है कि मूल रूप से सिखों के इस त्योहार के दिन का निर्धारण हिंदू पंचांग/कैलेण्डर से होता है।

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Lohri Festival: खुशहाली और मिठास का त्यौहार है लोहड़ी, जानें क्या है तारीख और मुहूर्त
Festivals Lohri Festival: खुशहाली और मिठास का त्यौहार है लोहड़ी, जानें क्या है तारीख और मुहूर्त

Lohri Festival: खुशहाली और मिठास का त्यौहार है लोहड़ी, जानें क्या है तारीख और मुहूर्त नव वर्ष पर का सबसे पहले मनाया जानें वाला पर्व है लोहड़ी, लोहड़ी के त्यौहार पर अग्नि में मूंगफली, तिल, गुड़ और गेहूं अर्पित करके सभी की सलामती, अच्छी सेहत और सुख शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। लोहड़ी का त्यौहार बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। कुछ लोग लोहड़ी के त्यौहार की तारीख और मुहूर्त को लेकर कन्फ्यूज हैं। आइये जानते है लोहड़ी का शुभ मुहूर्त और तारीख-  

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Sankashti Chaturthi पर ऐसे करें श्री गणेश की आराधना,  जानें  पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय
Festivals Sankashti Chaturthi पर ऐसे करें श्री गणेश की आराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

Sankashti Chaturthi पर ऐसे करें श्री गणेश की आराधना, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और चंद्रोदय का समय संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना का पर्व माना जाता है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा से घर की सुख शांति बनी रहती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। संकष्टी चतुर्थी व्रत मंगलवार को रखा जायेगा। संकष्टी चतुर्थी को माताएं संतान की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। आइये जानते हैं क्या है संकष्टी चतुर्थी का मुहूर्त और पूजा विधि-

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Magh Month 2023: स्नान, दान का महत्व,  जानें किन उपायों से मिल सकती है पाप कर्मों से मुक्ति
Festivals Magh Month 2023: स्नान, दान का महत्व, जानें किन उपायों से मिल सकती है पाप कर्मों से मुक्ति

Magh Month 2023: स्नान, दान का महत्व, जानें किन उपायों से मिल सकती है पाप कर्मों से मुक्ति हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह में तिल, अन्न और वस्त्र दान का विशेष महत्व बताया गया है, साथ ही भगवान विष्णु की आराधना और गीता पाठ से भगवान श्री हरि को प्रसन्न किया जाता है। माघ में सूर्य देव की उपासना से आरोग्य की प्राप्ति होती है और पापकर्मों से मुक्ति मिलती है। बुरे कर्मों की क्षमा याचना के लिए भी माघ स्नान किया जाता है।  

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पौष पूर्णिमा पर है सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Festivals पौष पूर्णिमा पर है सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पौष पूर्णिमा पर है सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि ज्योतिष के अनुसार पौष को सूर्य देव की आराधना का समय माना जाता है। पौष माह में सूर्य देव की उपासना से आरोग्य और शुभ फल प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा को सूर्य की आराधना से सभी बाधाओं और रोगों से मुक्ति मिलती है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है पौष पूर्णिमा को सूर्य देव के विधिवत पूजन से बैकुंठ की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा तिथि  

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पुत्रदा एकादशी व्रत से होती है संतान सुख की प्राप्ति
Festivals पुत्रदा एकादशी व्रत से होती है संतान सुख की प्राप्ति

पुत्रदा एकादशी व्रत से होती है संतान सुख की प्राप्ति आज पुत्रदा एकादशी है, पुत्रदा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है, तो आइए हम आपको पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व एवं व्रत की विधि के बारे में बताते हैं।

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क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है
Festivals क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है

क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है क्रिसमस वैसे तो ईसाई धर्म के अनुयायियों का सबसे बड़ा त्योहार है लेकिन अब अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि कोरोना काल की वजह से इस साल भी क्रिसमस की धूम कुछ फीकी दिखाई दे रही है। यूरोपीय देशों में कोरोना की नयी लहर के चलते बाजार सूने पड़े हैं तो भारत में भी सतर्कता बरती जा रही है ऐसे में इस पर्व को पहले जिस उल्लास के साथ मनाया जाता था उसकी कहीं ना कहीं कमी दिखाई दे रही है।

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Paush Amawsya 2022: साल की अंतिम अमावस्या, इन उपायों से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति
Festivals Paush Amawsya 2022: साल की अंतिम अमावस्या, इन उपायों से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति

Paush Amawsya 2022: साल की अंतिम अमावस्या, इन उपायों से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति हर कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि अमावस्या होती है, इनमें पौष मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। यह साल की अंतिम अमावस्या है, इस दिन आप स्नान दान करके पुण्य के भागी बन सकते हैं। इस दिन कुछ उपाय अपनाकर आप अपने पितरों को भी प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। जानते हैं कौन से है वह उपाय-

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रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति
Festivals रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति

रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है दाम्पत्य सुख की प्राप्ति आज रुक्मिणी अष्टमी है, इस दिन भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के पूजा-पाठ का खास महत्व होता है, तो आइए हम आपको रुक्मिणी अष्टमी व्रत की विधि और महत्व के बारे में बताते हैं।

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अन्नपूर्णा जयंती व्रत करने से घर में आती है समृद्धि
Festivals अन्नपूर्णा जयंती व्रत करने से घर में आती है समृद्धि

अन्नपूर्णा जयंती व्रत करने से घर में आती है समृद्धि आज अन्नपूर्णा जयंती है, हिन्दू धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का विशेष महत्व है तो आइए हम आपको अन्नपूर्णा जयंती व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

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Dattatreya Jayanti: विष्णु के छठवें अवतार हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें क्या है पूजा विधि और मुहूर्त
Festivals Dattatreya Jayanti: विष्णु के छठवें अवतार हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें क्या है पूजा विधि और मुहूर्त

Dattatreya Jayanti: विष्णु के छठवें अवतार हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें क्या है पूजा विधि और मुहूर्त भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा विष्णु और शिवशंकर का अवतार माना जाता है। मार्गशीष की पूणिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार मार्गशीष की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी रहें थे। इनमें भगवान शिव और नारायण की सभी शक्तियां विराजमान हैं। इनकी आराधना से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्रता से पूरी होती हैं। 

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सोम प्रदोष व्रत के करने से घर में आती है सुख-शांति और समृद्धि
Festivals सोम प्रदोष व्रत के करने से घर में आती है सुख-शांति और समृद्धि

सोम प्रदोष व्रत के करने से घर में आती है सुख-शांति और समृद्धि मार्गशीर्ष मास का आखिरी प्रदोष व्रत सोमवार 05 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा। सोमवार का दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा इसे सोम प्रदोषम या चंद्र प्रदोषम भी कहते हैं।

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हनुमान जयंती व्रत से होती है धन की प्राप्ति
Festivals हनुमान जयंती व्रत से होती है धन की प्राप्ति

हनुमान जयंती व्रत से होती है धन की प्राप्ति आज हनुमान जयंती है, हिन्दू धर्म में हनुमान जयंती का खास महत्व होता है तो आइए हम आपको हनुमान जयंती व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। 

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मोक्षदा एकादशी व्रत से मिलता है धन ऐश्वर्य
Festivals मोक्षदा एकादशी व्रत से मिलता है धन ऐश्वर्य

मोक्षदा एकादशी व्रत से मिलता है धन ऐश्वर्य आज मोक्षदा एकादशी है, एकादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व होता है, तो आइए हम आपको मोक्षदा एकादशी व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

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साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी
Festivals साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी

साल में दो बार मनाते हैं होली का त्यौहार, गुलाल की जगह लगाते हैं हल्दी होली के त्यौहार की लोकप्रियता तो हम सबको पता है। पूरे साल लोग होली का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। देश ही नहीं विदेशों से भी लोग होली मनाने के लिए वसंत आते ही भारत का रुख कर लेते हैं। मथुरा की होली तो पूरी दुनिया में मशहूर है जो एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है। होली का त्योहार साल में एक बार ही आता है और पूरी तरह से लोगों को रंगों में सराबोर कर देता है। लेकिन क्या आप जानते है कुछ जगहों पर होली का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है।  

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दीपावली के एक महीने बाद मनाते हैं बूढ़ी दीवाली
Festivals दीपावली के एक महीने बाद मनाते हैं बूढ़ी दीवाली

दीपावली के एक महीने बाद मनाते हैं बूढ़ी दीवाली इस पारम्परिक आयोजन से जुड़ी किवदंतियां रामायण एवं महाभारत के रास्तों से निकली हैं। पहाड़ी इलाकों में राम के अयोध्या लौटने की खबर देर से पहुंची तब तक देश दीपोत्सव मना चुका था फिर भी पहाड़ी बाशिदों ने उत्सव मनाया नाम पड़ गया बूढ़ी दीवाली। दूसरा संदर्भ परशुराम द्वारा बसाई, पहाड़ी काशी, निरमंड (कुल्लू) से जुड़ा है। परशुराम अपने शिष्यों के साथ भ्रमण पर थे। एक दैत्य ने सर्पवेश में आक्रमण किया तो परशुराम ने अपने परशु अस्त्र से उसे खत्म किया। लोगों द्वारा खुशी मनाना स्वाभाविक रहा, हर वर्ष आयोजन शुरू हो गया। 

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काल भैरव पूजा से दूर होती हैं बीमारियां, दांपत्य जीवन में मिलेगी सुख-शांति
Festivals काल भैरव पूजा से दूर होती हैं बीमारियां, दांपत्य जीवन में मिलेगी सुख-शांति

काल भैरव पूजा से दूर होती हैं बीमारियां, दांपत्य जीवन में मिलेगी सुख-शांति हिंदू कैलेंडर के अनुसार अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव पूजा करने का विधान है। इसे काल भैरवाष्टमी के रूप में मनाते हैं। काल भैरव को भगवान शिव का तीसरा रूद्र अवतार माना जाता है। पुराणों के मुताबिक मार्गशीष महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन ही भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.

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गंगा महोत्सव के दौरान लाखों की संख्या में वाराणसी पहुंचते हैं श्रद्धालु, गंगा में डुबकी लगाने का है विशेष महत्व
Festivals गंगा महोत्सव के दौरान लाखों की संख्या में वाराणसी पहुंचते हैं श्रद्धालु, गंगा में डुबकी लगाने का है विशेष महत्व

गंगा महोत्सव के दौरान लाखों की संख्या में वाराणसी पहुंचते हैं श्रद्धालु, गंगा में डुबकी लगाने का है विशेष महत्व भगवान शिव की नगरी काशी की अलग ही छटा है। भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजमान समूची काशी नगरी यानी वाराणसी में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ भी विराजमान है। गंगा नदी के तट पर बसी काशी में हमेशा ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है मगर कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले गंगा महोत्सव का हिस्सा बनने के लिए पर्यटकों में विशेष उत्साह देखने को मिलता है। गंगा महोत्सव की खासियत है कि ये एक दिन नहीं बल्कि पूरे पांच दिनों का उत्सव होता है। इस वर्ष गंगा महोत्सव की शुरुआत पांच नवंबर को होगी। इस मौके पर नमामि गंगे की ओर से नृत्य नाटिका का मंचन किया जाएगा जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाएंगे।

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देव दीपावलीः जानें काशी में ही क्यों मनाया जाता है यह पर्व
Festivals देव दीपावलीः जानें काशी में ही क्यों मनाया जाता है यह पर्व

देव दीपावलीः जानें काशी में ही क्यों मनाया जाता है यह पर्व देव दीपावली का आयोजन हर वर्ष दीवाली के 15 दिन के बाद होता है। इस वर्ष देव दीपावली का ये पर्व आठ नवंबर को है, मगर इसी दिन चंद्र ग्रहण भी है। इस वर्ष के अंतिम चंद्र ग्रहण के कारण इस बार देव दीपवली एक दिन पहले यानी सात नवंबर को मनाए जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के कारण देव दीपावली का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि देव दीपावली (जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है) के शुभ मौके पर ही देवता धरती पर उतरते है। इस मौके पर देवताओं के स्वागत के लिए देव दीपावली का आयोजन किया जाता है।

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8 नवंबर को मनाई जायेगी कार्तिक पूर्णिमा, राशि के अनुसार करें दान
Festivals 8 नवंबर को मनाई जायेगी कार्तिक पूर्णिमा, राशि के अनुसार करें दान

8 नवंबर को मनाई जायेगी कार्तिक पूर्णिमा, राशि के अनुसार करें दान कार्तिक पूर्णिमा इस साल 8 नवंबर को है। कार्तिक मास को सभी महीनों में बेहद शुभ व फलदायी माना गया है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान व दान करने से इस पूरे महीने के गए पूजा-पाठ के बराबर फल मिलता है। कार्तिक महीना भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.

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