राजनीतिक नींव एवं मील के पत्थर थे शरद यादव
Personality राजनीतिक नींव एवं मील के पत्थर थे शरद यादव

राजनीतिक नींव एवं मील के पत्थर थे शरद यादव नए साल ने अभी अपनी गति पूरी तरह से पकड़ी भी नहीं है, लेकिन हिंदुस्तान की सियासत ने अपना एक धुरंधर, जांबाज, कद्दावर का नेता जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को हमसे छीन लिया। बिहार से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में एक संभावनाओं भरा राजनीति सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल बिहार के लिये बल्कि भारतीय राजनीति के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। वे निश्चित ही भारतीय राजनीति के नींव के पत्थर थे, मील के पत्थर थे। समाजवाद की बुलंद आवाज थे, डॉ.

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दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
Personality दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे। दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। यादव को दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर अचेत होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। यादव 75 वर्ष के थे। यादव 1989 में वी.

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Swami Vivekananda Birth Anniversary: खेतड़ी से मिली थी स्वामी विवेकानन्द को वैश्विक पहचान
Personality Swami Vivekananda Birth Anniversary: खेतड़ी से मिली थी स्वामी विवेकानन्द को वैश्विक पहचान

Swami Vivekananda Birth Anniversary: खेतड़ी से मिली थी स्वामी विवेकानन्द को वैश्विक पहचान राजस्थान के झुंझुनू जिले के खेतड़ी नरेश राजा अजीतसिंह एक धार्मिक व आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले शासक थे। गर्मी में राजा अजीतसिंह माऊन्ट आबू स्थित अपने खेतड़ी महल में ठहरे हुये थे। उसी दौरान 4 जून 1891 को युवा सन्यासी विवेकानन्द से उनकी पहली बार मुलाकात हुई। इस मुलाकात से अजीतसिंह उस युवा सन्यासी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने उस युवा सन्यासी को अपना गुरू बना लिया। तथा अपने साथ खेतड़ी चलने का आग्रह किया जिसे स्वामीजी ठुकरा नहीं सके। इस प्रकार स्वामी विवेकानन्द 7 अगस्त 1891 को पहली बार खेतड़ी आये। खेतड़ी में विवेकानन्द जी 27 अक्टूबर 1891 तक रहे। खेतड़ी प्रवास के दौरान स्वामीजी प्रतिदिन राजा अजीतसिंह से आध्यात्मिकता पर चर्चा करते थे। 

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Swami Vivekananda: देशभक्त एवं भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा संतपुरुष
Personality Swami Vivekananda: देशभक्त एवं भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा संतपुरुष

Swami Vivekananda: देशभक्त एवं भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा संतपुरुष स्वामी विवेकानंद भारत की आध्यात्मिक चेतना के एक ऐसे उज्ज्वल नक्षत्र है, जिन्होंनेे परंपराओं और आधुनिक विचारों को मथकर ऐसे मोती चुने, जिनसे भारत का गौरव दुनिया में बढ़ा है। उनकी कीर्ति युग-युगों तक जीवंत रहेगी, क्योंकि उनका मानवहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी हैं, वे एक प्रकाश-स्तंभ हैं, भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक एवं आध्यात्मिक सोच के साथ पूरी दुनिया को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान देने वाले एक महामनीषी युगपुरुष थे। उन्होंने भारत को अध्यात्म के साथ विज्ञानमय बनाया, वे अध्यात्म एवं विज्ञान के समन्वयक थे। 

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लाल बहादुर शास्त्री ने सारा जीवन सादगी से बिताते हुये गरीबों की सेवा में लगाया
Personality लाल बहादुर शास्त्री ने सारा जीवन सादगी से बिताते हुये गरीबों की सेवा में लगाया

लाल बहादुर शास्त्री ने सारा जीवन सादगी से बिताते हुये गरीबों की सेवा में लगाया लाल बहादुर शास्त्री के मन में बचपन से देश भक्ति की भावना भरी थी। अपनी इसी भावना के चलते उन्होने राष्ट्रीय स्तर पर कुछ करने का मन बना लिया था। जब गांधी जी ने देशवासियों से असहयोग आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया था उस समय शास्त्रीजी केवल सोलह वर्ष के थे। महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होने अपनी पढ़ाई छोड़ देने का निर्णय कर लिया था। उनके इस निर्णय ने उनकी मां की उम्मीदें तोड़ दीं। उनके परिवार ने उनके इस निर्णय को गलत बताते हुए उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे। 

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Irrfan Khan Birthday Special: हर किरदार में फिट हो जाने वाले अभिनेता थे इरफ़ान खान
Personality Irrfan Khan Birthday Special: हर किरदार में फिट हो जाने वाले अभिनेता थे इरफ़ान खान

Irrfan Khan Birthday Special: हर किरदार में फिट हो जाने वाले अभिनेता थे इरफ़ान खान अपनी अदाकारी से अपने फैंस के दिलों पर राज करने वाले अभिनेता इरफ़ान खान ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन से की थी जिनमें चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता जैसे धारावाहिक शामिल है, फ़िल्मी करियर की शुरुआत उन्होंने 'सलाम बॉम्बे' फिल्म में एक छोटे से रोल से की, बहुत सी फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करने के बाद मकबूल, रोग, लाइफ इन मेट्रो जैसी फिल्मों से उनको बॉलीवुड में पहचान मिली। 

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भारतेंदु के लेखन में आजादी का स्वप्न और भविष्य के भारत की रूपरेखा की झलक मिलती है
Personality भारतेंदु के लेखन में आजादी का स्वप्न और भविष्य के भारत की रूपरेखा की झलक मिलती है

भारतेंदु के लेखन में आजादी का स्वप्न और भविष्य के भारत की रूपरेखा की झलक मिलती है साहित्य में ''सोच की नींव'' रखने वाले अग्रणी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र असाधारण प्रतिभा के धनी व दूरदर्शी युगचिंतक थे और उन्होंने साहित्य के माध्यम से समाज में सार्थक हस्तक्षेप किया और इसकी शक्ति का उपयोग करते हुए आम जनमानस में जागृति लाने की कोशिश की तथा दरबारों में कैद विधा को आम लोगों से जोड़ते हुए इसे सामाजिक बदलाव का माध्यम बना दिया। भारतेंदु हरिश्चंद्र कि आज 138वी पुण्यतिथि है। उनका निधन महज 35 साल की उम्र में हो गया था। हिंदी की विपुल मात्रा और अनेक विधाओं से निपुण हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह कहा जाता है। हिंदी साहित्य का आधुनिक काल प्रारंभ करने का श्रेय भी हरिश्चंद्र को ही जाता है। हिंदी पत्रकारिता नाट्य और काव्य के क्षेत्र में भारतेंदु हरिश्चंद्र का योगदान काफी रहा है। उन्हें उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंगकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार और ओजस्वी गद्यकार का दर्जा प्राप्त है। भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म में 9 सितंबर 1850 को उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था। उनके पिता गोपाल चंद्र एक अच्छे कवि थे।

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विजय तेंदुलकर ने अपने लेखन से आधुनिक मराठी रंगमंच को प्रदान की नई दिशा
Personality विजय तेंदुलकर ने अपने लेखन से आधुनिक मराठी रंगमंच को प्रदान की नई दिशा

विजय तेंदुलकर ने अपने लेखन से आधुनिक मराठी रंगमंच को प्रदान की नई दिशा समाज के संवदेनशील और विवादित माने जाने वाले विषयों को अपनी लेखनी का आधार बना कर विजय ढोंढोपंत तेंदुलकर ने 1950 के दशक में आधुनिक मराठी रंगमंच को एक नई दिशा दी और शहरी मध्यम वर्ग की छटपटाहट को बड़ी तीखी जबान में व्यक्त किया। 6 जनवरी 1928 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक भलवालिकर सारस्वत ब्राह्मण परिवार में जन्मे विजय को घर में ही साहित्यिक माहौल मिला। उनके पिता का एक छोटा सा प्रकाशन व्यवसाय था और इसी का नतीजा था कि नन्हा विजय छह वर्ष की उम्र में पहली कहानी लिख बैठा और 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहला नाटक लिखा, उसमें अभिनय किया और उसका निर्देशन भी किया।

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Paramahansa Yogananda Jayanti: परमहंस योगानन्द जी ने किया था पूरे विश्व में क्रिया योग का प्रचार-प्रसार
Personality Paramahansa Yogananda Jayanti: परमहंस योगानन्द जी ने किया था पूरे विश्व में क्रिया योग का प्रचार-प्रसार

Paramahansa Yogananda Jayanti: परमहंस योगानन्द जी ने किया था पूरे विश्व में क्रिया योग का प्रचार-प्रसार परमहंस योगानन्द बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत थे। उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार तथा प्रसार किया। परमहंस योगानंद जी कहते थे क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिसके पालन से अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है। योगानन्द प्रथम भारतीय गुरु थे जिन्होने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया। योगानन्द ने 1920 में अमेरिका के लिए प्रस्थान किया। संपूर्ण अमेरिका में उन्होंने अनेक यात्रायें की। उन्होंने अपना जीवन व्याख्यान देने, लेखन तथा निरन्तर विश्व व्यापी कार्य को दिशा देने में लगाया।

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कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका
Personality कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका भारतीय राजनीति के युगपुरुष, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, कोमलहृदय संवेदनशील मनुष्य, वज्रबाहु राष्ट्रप्रहरी, भारतमाता के सच्चे सपूत और भारतीय राजनीति में भगवान श्रीरामचन्द्र जी के हनुमान हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह ऐसे नेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति में अनेकों मिसालें पेश की हैं। हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का राजनीतिक व व्यक्तिगत जीवन हमेशा से बेदाग रहा है। कल्याण सिंह के कुशल प्रशासन की मिसालें तब तक दी जायेंगी जब तक ये संसार रहेगा। कल्याण सिंह ने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और ‘‘जनता के नेता’’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर हिन्दू युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह का व्यक्तित्व हिमालय के समान विराट था। कल्याण सिंह को भारतीय राजनीति में बाबूजी के रुप में जाना जाता था।

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RD Burman: हिन्दी फ़िल्म संगीत में बेमिसाल रहा है आरडी बर्मन का योगदान
Personality RD Burman: हिन्दी फ़िल्म संगीत में बेमिसाल रहा है आरडी बर्मन का योगदान

RD Burman: हिन्दी फ़िल्म संगीत में बेमिसाल रहा है आरडी बर्मन का योगदान राहुल देव बर्मन उर्फ आरडी बर्मन संगीत की दुनिया के एक गेम-चेंजर थे, जिन्होंने हिंदी संगीत को एक वैश्विक प्रतिध्वनि के साथ जोड़ा। उस्ताद एस डी बर्मन के पुत्र, राहुल देव बर्मन ने अपनी शास्त्रीय विरासत के साथ, जैज़, रॉक और पॉप के डैश के साथ हिंदी प्लेबैक को एक बड़ा तोहफा दिया। बास गिटार, ध्वनिक गिटार, बोंगो, अफ्रीकी ड्रम का प्रयोग करके बर्मन जी ने अद्भुत संगीत दिया। आजा आजा (तीसरी मंजिल), पिया तू अब तो आजा (कारवां), दम मारो दम (हरे रामा हरे कृष्णा), लेकर हम दीवाना दिल (यादों की बार्ता), बचना ऐ हसीनों (हम किसी से कम नहीं).

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भारत की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले, जिन्होंने महिलाओं व दलितों के उत्थान में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
Personality भारत की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले, जिन्होंने महिलाओं व दलितों के उत्थान में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

भारत की पहली शिक्षिका सावित्री बाई फुले, जिन्होंने महिलाओं व दलितों के उत्थान में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका भारत के इतिहास में ऐसे कई महिलाएं हैं जिनके द्वारा समाज में ऐसी भूमिकाएं निभाई रही हैं जिसका उल्लेख आज भी किया जाता है। हालांकि, यह बात भी सत्य है कि भारत के इतिहास में महिलाओं को वह प्रधानता नहीं मिली थी जिसकी वह हकदार थीं। लेकिन कुछ महिलाओं ने अपने कर्मों से समाज में अलग पहचान बनाई और आज की पीढ़ी के लिए वह एक प्रेरणा स्रोत हैं। उन्हीं महान महिलाओं में से एक थी सावित्रीबाई फुले। सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई बड़े काम किए थे। उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षक के रूप में याद किया जाता है। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने पुणे में देश का पहला गर्ल्स स्कूल खोलकर समाज के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण कार्य किया था। यह उस वक्त की बात है जब भारतीय महिलाओं की स्थिति बड़ी ही दयनीय होती थी। लेकिन सावित्रीबाई फुले समाज सुधारक बनकर महिलाओं के जीवन में उत्थान लगने की कोशिश करती रहीं। उन्होंने समाज में शिक्षा और अवसरों के लिए कई बड़े प्रयास भी किए। 

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Satish Dhawan Death anniversary: अंतरिक्ष कार्यक्रमों में विदेशी निर्भरता को खत्म करने वाले भारतीय वैज्ञानिक की अनसुनी कहानी
Personality Satish Dhawan Death anniversary: अंतरिक्ष कार्यक्रमों में विदेशी निर्भरता को खत्म करने वाले भारतीय वैज्ञानिक की अनसुनी कहानी

Satish Dhawan Death anniversary: अंतरिक्ष कार्यक्रमों में विदेशी निर्भरता को खत्म करने वाले भारतीय वैज्ञानिक की अनसुनी कहानी भारत की अंतरिक्ष यात्रा के अग्रदूतों में से एक प्रो सतीश धवन का जन्म 25 सितंबर, 1920 को श्रीनगर में हुआ था। पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल के लिए जाने जाते थे। आइए हम अनुकरणीय गणितज्ञ और एयरोस्पेस इंजीनियर को उनकी चुनिंदा उपलब्धियों के माध्यम से उनकी पुण्यतिथि पर याद करें, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफलता की ओर अग्रसर किया। 

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राकेट और उपग्रह निर्माण की बुनियाद रखी थी विक्रम साराभाई ने
Personality राकेट और उपग्रह निर्माण की बुनियाद रखी थी विक्रम साराभाई ने

राकेट और उपग्रह निर्माण की बुनियाद रखी थी विक्रम साराभाई ने विक्रम साराभाई ने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान को जन्म दिया और उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्होंने देश में अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रमों की नींव डाली। उन्होंने राकेट, उपग्रह निर्माण और उपग्रहों के उपयोग संबंधी देश के भावी कार्यक्रम को दिशा दी। भारत का चंद्रमा पर पहला अभियान चंद्रयान उसी आधारभूत योजनाओं की उपज है। रूस और अमेरिका जैसे देश विश्वयुद्ध के दौरान सामरिक तकनीक के कारण राकेट और उपग्रह निर्माण की दिशा में अग्रणी थे।

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हीराबेन मोदी के सादगीमय जीवन व आदर्शों से समूचा राष्ट्र प्रेरित होता रहेगा
Personality हीराबेन मोदी के सादगीमय जीवन व आदर्शों से समूचा राष्ट्र प्रेरित होता रहेगा

हीराबेन मोदी के सादगीमय जीवन व आदर्शों से समूचा राष्ट्र प्रेरित होता रहेगा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे विश्वनायक गढ़ने वाली मां हीराबेन मोदी का निधन न केवल पुत्र के लिये बल्कि समूचे राष्ट्र के लिये एक अपूरणीय क्षति है, एक आघात है।। भारतीय मूल्यों एवं आदर्शों की शताब्दी यात्रा का विराम होना निश्चित ही देश के हर व्यक्ति के लिये शोक का विषय है, लेकिन यह वक्त शोक का नहीं, बल्कि उनके आदर्शों एवं जीवन-मूल्यों को आत्मसात करने का है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। हीराबेन ऐसी ही विलक्षण मां थी, एक देवदूत थी। कहने को वह इंसान थी, लेकिन भगवान से कम नहीं थी। वह एक मन्दिर थी, पूजा थी और वह ही तीर्थ थी। वह न केवल नरेन्द्र मोदी की जीवनदात्री बल्कि संस्कार निर्मात्री थी, बल्कि इस राष्ट्र आदर्श मां थी। उनके निधन से ममत्व, संस्कार, त्याग, समर्पण, सादगी एवं आदर्शो का युग ठहर गया है।

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बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार
Personality बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार

बच्चों की पसंदीदा ‘द जंगल बुक’ लिखने वाले रुडयार्ड किपलिंग, जो थे नोबेल पाने वाले पहले अंग्रेजी साहित्यकार "

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Brazil Legend Pele: सही मायने में फुटबॉल के जादूगर थे पेले
Personality Brazil Legend Pele: सही मायने में फुटबॉल के जादूगर थे पेले

Brazil Legend Pele: सही मायने में फुटबॉल के जादूगर थे पेले फुटबॉल खेलना अगर कला है तो उनसे बड़ा कलाकार दुनिया में शायद कोई दूसरा नहीं हुआ। तीन विश्व कप खिताब, 784 मान्य गोल और दुनिया भर के फुटबॉलप्रेमियों के लिये प्रेरणा का स्रोत बने पेले उपलब्धियों की एक महान गाथा छोड़कर विदा हुए। यूं तो उन्होंने 1200 से अधिक गोल दागे थे लेकिन फीफा ने 784 को ही मान्यता दी है। खेल जगत के पहले वैश्विक सुपरस्टार में से एक पेले की लोकप्रियता भौगोलिक सीमाओं में नहीं बंधी थी। एडसन अरांतेस डो नासिमेंटो यानी पेले का जन्म 1940 में हुआ। वह फुटबॉल की लोकप्रियता को चरम पर ले जाकर उसका बड़ा बाजार तैयार करने वाले पुरोधाओं में से रहे। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि 1977 में जब वह कोलकाता आये तो मानों पूरा शहर थम गया था। वह 2015 और 2018 में भी भारत आये थे। भ्रष्टाचार, सैन्य तख्तापलट, सेंसरशिप और दमनकारी सरकारों को झेल रहे देश में उनका जन्म हुआ। सत्रह बरस के पेले ने हालांकि 1958 में अपने पहले ही विश्व कप में ब्राजील की छवि बदलकर रख दी। स्वीडन में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने चार मैचों में छह गोल किये जिनमें से दो फाइनल में किये थे। 

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Birthday Special: बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार जिसकी झलक पाने को बेताब रहते थे फैन्स
Personality Birthday Special: बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार जिसकी झलक पाने को बेताब रहते थे फैन्स

Birthday Special: बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार जिसकी झलक पाने को बेताब रहते थे फैन्स बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार राजेश खन्ना, जिनकी लोकप्रियता इतनी थी कि लड़किया इनको अपने खून से खत लिखती थी। राजेश खन्ना के हिस्से में 74 गोल्डन जुबिली हिट्स है। जितनी लोकप्रियता राजेश खन्ना को मिली उतनी आज तक किसी अभिनेता को नहीं मिल पाई। राजेश किसी भी रोल में अपने अभिनय से जान डाल देते थे।  

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Birthday Special। भाजपा के संकट मोचक थे अरुण जेटली, मोदी सरकार के कई फैसलों में रही थी अहम भूमिका
Personality Birthday Special। भाजपा के संकट मोचक थे अरुण जेटली, मोदी सरकार के कई फैसलों में रही थी अहम भूमिका

Birthday Special। भाजपा के संकट मोचक थे अरुण जेटली, मोदी सरकार के कई फैसलों में रही थी अहम भूमिका केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। नरेंद्र मोदी किस सरकार ने सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। 2014 से 2019 के बीच मोदी सरकार के बड़े फैसलों में जिस इंसान की भूमिका सबसे ज्यादा मानी जाती रही, वह नाम अरुण जेटली का था। अरुण जेटली जितने अच्छे वक्ता थे, उतना ही बेहतर राजनीति को भी समझते थे। राजनीति की बारीकियों पर उनकी हमेशा पैनी नजर रहती थी और यही उन्हें सबसे अलग बनाती थी। भाजपा की बात करें तो पार्टी ने फिलहाल 2 युग को देखा है। एक युग अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी का था तो दूसरा नरेंद्र मोदी और अमित शाह का। दोनों ही युग में एक व्यक्ति जो सबसे कॉमन रहा, वह अरुण जेटली ही थे। जितनी स्वीकार्यता अटल-आडवाणी के युग में थी, उतनी ही स्वीकार्यता मोदी-शाह के युग में ही रही। मास लीडर नहीं होने के बावजूद भी सरकार की नीतियों को आम लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए, इसमें अरुण जेटली की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही। अरुण जेटली जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे तब भी उन्होंने आम लोगों मुद्दे उठाए और सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरा।

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धीरूभाई अंबानी ने महज 50 हजार की पूंजी और दो हेल्परों के साथ शुरू किया था कारोबार
Personality धीरूभाई अंबानी ने महज 50 हजार की पूंजी और दो हेल्परों के साथ शुरू किया था कारोबार

धीरूभाई अंबानी ने महज 50 हजार की पूंजी और दो हेल्परों के साथ शुरू किया था कारोबार गुजरात के एक छोटे से कस्बे से निकले धीरूभाई अंबानी के कारण ही आज रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया की प्रमुख कंपनियों में भी शुमार हो चुका है। आज यानि 6 जुलाई को धीरूभाई अंबानी की डेथ एनिवर्सरी पर आइये हम आपको बताते हैं उनके जीवन के बारे में। जानकारी के लिए बता दें की धीरूभाई का पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात जूनागढ़ शहर के पास के एक छोटे से कस्बे चोरवाड़ में हुआ था। वैश्य परिवार में जन्में धीरूभाई के पिता स्कूल टीचर थे। धीरूभाई ने सबसे पहले अपने कारोबारी जीवन की शुरूआत गिरनार पहाड़ी पर आने वाले तीर्थयात्रियों को भजिया बेचकर की थी। महज 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करन वाले धीरूभाई ने यह तो साबित किया कि टॉप बिजनेस टायकून बनने के लिए बड़ी डिग्रियां हासिल करना आवश्यक नहीं है।

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आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता हैं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी
Personality आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता हैं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी

आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता हैं भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, सहृदय व्यक्तित्व के धनी, भावपूर्ण कवि और प्रख्यात पत्रकार थे जिनके मन में सदैव देश ही सर्वोपरि रहता था। आज भारत जिस तेज गति से मिसाइलों के परीक्षणों के द्वारा अपनी सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है और  भारत के शत्रु इसकी बढ़ती सैन्य शक्ति व आत्मनिर्भर हो रही रक्षा प्रणाली से भयभीत हो रहे हैं वह अटल जी की ही सरकार का प्रारंभ किया हुआ कार्य है जिसे मोदी जी पूरा कर रहे हैं।

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हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान के उपासक थे मदन मोहन मालवीय जी
Personality हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान के उपासक थे मदन मोहन मालवीय जी

हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान के उपासक थे मदन मोहन मालवीय जी आधुनिक भारत में प्रथम शिक्षा नीति के जनक, शिक्षा के विशाल केंद्र काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, सांस्कृतिक नवजागरण स्वदेशी एवं हिंदी आंदोलनों के प्रवर्तक राष्ट्रभक्त महान समाज सुधारक भारतीय काया में पुनः नयी चेतना एवं ऊर्जा का संचार करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था। मालवीय जी के पिता पण्डित ब्रजनाथ कथा, प्रवचन और पौरोहित्य से ही अपने परिवार का पालन- पोषण करते थे। प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करके मालवीय जी ने संस्कृत व अंग्रेजी पढ़ी। मालवीय जी युवावस्था में अंग्रेजी तथा संस्कृत दोनों ही भाषाओं में धाराप्रवाह बोलते थे। महामना मदन मोहन मालवीय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। खेलकूद, व्यायाम,कुश्ती, बांसुरी एवं सितार वादन में उनकी रुचि थी। बाल जीवन में ही एक भाषण- दल बनाया था जो चौराहों पर तथा मेलों, सभाओं में विभिन्न विषयों पर भाषण दिया करता था। कवि और साहित्यकार की प्रतिभा भी विद्यमान थी। भारतेंदु हरिश्चंद्र  की कवि मंडली में भी जुड़े हुए थे। 

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कई बड़े राजनीतिक पदों पर रहकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे ज्ञानी जैल सिंह
Personality कई बड़े राजनीतिक पदों पर रहकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे ज्ञानी जैल सिंह

कई बड़े राजनीतिक पदों पर रहकर राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे ज्ञानी जैल सिंह दिग्गज नेता ज्ञानी जैल सिंह (Giani Zail Singh) भारत के पहले सिख राष्ट्रपति थे। उन्होंने 1982 से 1987 तक पद को संभाला था, इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पद की गरिमा को और बढ़ाया। राष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने से पहले ज्ञानी जैल सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री के तौर पर भी काम किया और केंद्र की राजनीति में भी सक्रिय रहे। कांग्रेस पार्टी से ज्ञानी जैल सिंह लंबे वक्त तक जुड़े रहे और आजादी के बाद पार्टी के प्रमुख लोगों की टीम में शामिल हो गये। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के साथ एक राजनेता के तौर पर उन्होंने कई बड़े काम किए थे जिससे पार्टी ने खुश होकर उन्हें नयी जिम्मेदारियां भी दी थी। ज्ञानी जैल सिंह भारत में कांग्रेस शासन के दौरान गृह मंत्री सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई मंत्री पदों पर रहे थे। उन्होंने 1983 से 1986 तक गुटनिरपेक्ष आंदोलन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। 1994 में एक कार दुर्घटना के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

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