Business
तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख
By DivaNews
24 December 2022
तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख विदेशी तेल तिलहन कीमतों में गिरावट के रुख और स्थानीय दाम अधिक होने से मांग में कमी आने के कारण दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। हल्के तेलों की मौसमी मांग और ऊंचे भाव में लिवाली कम होने के बीच सरसों, मूंगफली तेल तिलहन और सोयाबीन तेल के भाव पूर्व-स्तर पर बने रहे। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि पेराई मिलों को देशी तेलों की पेराई में नुकसान है क्योंकि इसकी अधिक लागत बैठती है और मंडी में ऊंचे भाव पर लिवाल कम हैं। विशेषकर सोयाबीन, मूंगफली, सरसों, बिनौला जैसे सभी हल्के तेलों की पेराई करने वाले इस नुकसान से त्रस्त हैं। चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण बढ़ने की खबरों से भी खाद्यतेलों की मांग पर कुछ असर पड़ा है। सूत्रों ने कहा कि अगले महीने सरसों की फसल समय से थोड़ा पहले मंडियों में आ सकती है। सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ है क्योंकि किसानों को दो साल पहले सोयाबीन के अच्छे दाम मिले थे और इस बार सस्ते आयातित तेल की प्रचुरता के कारण तिलहन के दाम सस्ते हैं और किसान सस्ते में अपनी फसल बेचने को राजी नहीं हैं। वैसे ये कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक हैं। उन्होंने कहा कि सोयाबीन का स्टॉक जमा होता जा रहा है और सस्ते आयातित तेल के सामने इसकी खपत नहीं हो पा रही है। सूत्रों ने कहा कि ग्राहकों को सस्ता खाद्यतेल सुलभ कराने के मकसद से देश में सूरजमुखी के साथ साथ सोयाबीन तेल के शुल्क-मुक्त आयात की छूट का कोटा तय किए जाने के बावजूद खाद्यतेल सस्ता नहीं हुआ क्योंकि बाकी आयात कम हो गया और थोक में इन्हीं तेलों के दाम ‘प्रीमियम’ पर मिलने के कारण और महंगे हो गये। इसकी जगह या तो सरकार आयात शुल्क लगाकर या तो आयात पूरा खोल दे या फिर यह तय कर दे कि सिर्फ तेल खली और डीआयल्ड केक (डीओसी) का निर्यात करने वाले कारोबारियों को ही शुल्क-मुक्त आयात की छूट मिलेगी। सूत्रों ने कहा कि ऐसा करने से समान आयात शुल्क दर पर खाद्यतेलों के आयात की स्थिति में सुधार होगा। स्थानीय बचे स्टॉक खत्म हो जायेंगे, आगे किसान बुवाई के लिए प्रोत्साहित होंगे तथा देश में पशु आहार और मुर्गीदाने के लिए जरूरी खल और डीओसी की प्रचुरता हो जाएगी। उन्होंने कहा कि देश सालाना लगभग दो करोड़ 40 लाख टन खाद्यतेलों की खपत करता है जबकि देश में दूध उत्पादन का स्तर लगभग 13 करोड़ टन है। मुर्गीदाने और पशु आहार की कमी होने से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के साथ साथ अंडे, चिकेन के दाम भी बढ़ेंगे और महंगाई पर असर डालेंगे। सूत्रों ने कहा कि जो देश खाद्यतेलों की अपनी मांग को पूरा करने के लिए लगभग 60 प्रतिशत के बराबर आयात पर निर्भर करता हो, वहां सोयाबीन स्टॉक की खपत न होना अचंभे की बात है। ऐसी स्थिति में तेल तिलहन कारोबार की जटिलताओं को समय रहते हुए सुलझाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि फिलहाल सूरजमुखी तेल का आयात कम हो रहा है लेकिन अगले महीने इसका आयात काफी बढ़ सकता है। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 7,030-7,080 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,485-6,545 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,250 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,445-2,710 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,135-2,265 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,195-2,320 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,470 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,125 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,150 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,370-5,410 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
read more