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तेल-तिलहनों के भाव में मिला-जुला रुख रहा कायम
By DivaNews
17 December 2022
तेल-तिलहनों के भाव में मिला-जुला रुख रहा कायम दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहनों के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए। आयातित तेलों के भाव ऊंचा बोले जाने और इस भाव पर लिवाल नहीं होने से लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव पूर्ववत बने रहे। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि तेल संगठनों की यह मांग एकदम जायज है कि कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल के आयात शुल्क का फासला बढ़ा दिया जाए क्योंकि इससे घरेलू तेल रिफायनिंग उद्योग का कामकाज चलेगा। हालांकि इन संगठनों को सस्ते आयातित तेलों की भरमार के कारण देश के छोटे-बड़े सभी किस्म के तेल उद्योगों की बदहाली के बारे में भी सरकार को बताना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि कोटा प्रणाली की व्यवस्था से इन तेल उद्योगों की कमर टूट रही है और उन्हें कोटा व्यवस्था को समाप्त करने के बारे में सरकार को सलाह देनी चाहिये। विदेशी खाद्यतेलों के दाम में आधी गिरावट आने के बाद कोटा प्रणाली अपनी प्रासंगिकता खो बैठी है। इस बात को भी सामने लाने में इन तेल संगठनों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। खाद्यतेल तिलहनों के वायदा कारोबार पर रोक की 20 दिसंबर तक की समयसीमा को देखते हुए तेल उद्योग के कुछ संगठन तेल तिलहनों के वायदा कारोबार खोलने की पैरवी करने में जुट गये हैं। लेकिन कारोबारी सूत्रों ने कहा कि दो साल पहले अक्टूबर-नवंबर में जब किसानों की खरीफ की सोयाबीन फसल आई तो वायदा कारोबार में भाव नीचे चले गए और किसानों से 4,200-4,500 रुपये क्विंटल के भाव पर सोयाबीन दाना की खरीद की गई। हालांकि यह भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक था लेकिन तीन-चार महीनों में ही सोयाबीन दाने का वायदा कारोबार में भाव बढ़ाकर लगभग 10,500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया। ऐसी स्थिति में किसानों को बीज काफी ऊंचे दाम पर मुश्किल से उपलब्ध हो पाया। सूत्रों के मुताबिक, तेल तिलहन कारोबार को सट्टेबाजी से मुक्त रखना अहम है और इस क्रम में तेल तिलहनों के वायदा कारोबार पर रोक जारी रखना जरूरी है। सूत्रों ने कहा कि संभव होने पर बिनौला खल के वायदा कारोबार को रोक देना चाहिये क्योंकि सट्टेबाज किसानों से कम भाव में खरीद कर बाद में भाव ऊंचा कर देते हैं और किसानों की लूट होती है। इससे दूध के दाम पिछले कुछ महीनों में निरंतर बढ़े हैं और आगे भी दूध के दाम में वृद्धि होने की सुगबुगाहट है। वायदा कारोबार में बिनौला खल के भाव तीन-चार माह में 26 प्रतिशत बढ़ गये हैं जिससे दूध लगभग 10 प्रतिशत महंगा हो गया है। सूत्रों ने कहा कि इस स्थिति में पहली बार डी-आयल्ड केक (डीओसी) का आयात करना पड़ा जिसका खमियाजा मौजूदा वक्त में भी भुगतना पड़ रहा है। सोयाबीन का स्टॉक जमा हो गया है और उसकी बाजार में खपत भी नहीं हो पा रही। सूत्रों के मुताबिक, जिस वस्तु का निर्यात कर देश के किसान पैसे कमाते थे, आज वही आयातित सोयाबीन डीओसी उनके गले की फांस बन गया है। शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 7,010-7,060 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली - 6,435-6,495 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,430-2,695 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 13,950 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 2,120-2,250 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 2,180-2,305 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,500 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 9,150 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना - 5,525-5,625 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 5,335-5,385 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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