विभिन्न देशों की संसदों में महिलाओं की आधी हिस्सेदारी के लिए तय करना होगा लंबा सफर
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विभिन्न देशों की संसदों में महिलाओं की आधी हिस्सेदारी के लिए तय करना होगा लंबा सफर दुनिया के देशों में आधी दुनिया को सबसे पहले मताधिकार देने वाले देश न्यूजीलैंड से यह सुखद संदेश भी आ गया है कि वहां की संसद में महिलाओं की संख्या अब पुरुषों से अधिक हो गई है। न्यूजीलैंड की संसद में 59 पुरुषों के मुकाबले अब 60 महिला सांसद हो गई हैं। उदारवादी लेबर पार्टी की नेता सोराया पेके मैशन ने पिछले दिनों सांसद के रूप में शपथ ली है। न्यूजीलैंड ने 1893 में ही महिलाओं को मताधिकार देकर दुनिया के देशों के सामने एक मिसाल कायम कर दी थी। हालांकि यह भी विचारणीय हो सकता है कि करीब 130 साल से भी अधिक समय के बाद संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी आधी हुई है पर इसे सकारात्मक सोच के साथ देखा जाना चाहिए। देखा जाए तो दुनिया के करीब आधा दर्जन देश ऐसे हैं जहां की संसदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अच्छा खासा है। खासतौर से रवांडा ऐसा देश है जहां संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 61 फीसदी से भी अधिक है। इसी श्रेणी में 53 फीसदी के साथ क्यूबा, 50 फीसदी के साथ निकारागुआ, मैक्सिको और यूएई आते हैं तो 47 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के साथ आईसलैंड आ जाता है। हमारे देश में करीब 14 फीसदी ही महिलाओं की भागीदारी है। मजे की बात यह है कि हिमाचल प्रदेश में महिला वोटर अधिक होने के बावजूद केवल और केवल एक महिला चुनाव जीत कर आई है। खैर यह विषयांतर होगा। एक मोटे अनुमान के अनुसार अमेरिका का यह आंकड़ा करीब 27 प्रतिशत के आसपास बैठता है। इस प्रकार दुनिया की संसदों में महिलाओं की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत से कुछ ही अधिक देखने को मिल रही है। इन आंकड़ों में कुछ बदलाव भले ही देखने को मिलें पर कमोबेश हालात यही हैं।

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राष्ट्रवादियों ने इस तरह लिख डाली थी गोवा मुक्ति की पटकथा
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राष्ट्रवादियों ने इस तरह लिख डाली थी गोवा मुक्ति की पटकथा स्वतंत्रता प्राप्ति एवं विभाजन के पश्चात तत्कालीन रियासतों एवं स्वतंत्र प्रांतों को भारतीय संघ के तौर पर एकीकरण के ऐतिहासिक कार्य को सरदार वल्लभ भाई पटेल की दूरदृष्टि ने मूर्तरूप देने का कार्य किया। उस समय ऐसे क्षेत्र जो ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं थे जिनमें कई देशी रियासतें शामिल थीं। इसके अलावा भारतीय उपमहाद्वीप के कई क्षेत्र यथा— गोवा, दमन-दीव, दादर एवं नगर हवेली इत्यादि सन् 1954 के पूर्व फ्रांस एवं पुर्तगाल शासन के अधीन थे। 'पुर्तगाल सरकार' इन क्षेत्रों पर अपना आधिकारिक सैन्य शासन करती थी। इस क्षेत्र का हमारे धार्मिक-पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है। इस पावन भू-भाग का भगवान परशुराम की पुण्यभूमि 'कोंकण' के तौर पर पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। किन्तु दुर्भाग्य यह रहा कि निकृष्ट, बर्बर, क्रूर अरबों-तुर्कों, मुगलों तथा अंग्रेजी परतंत्रता की बेड़ियों समेत पुर्तगाल ने इस पवित्र भूमि को अपने अधीन कर सदियों की परतंत्रता की त्रासदी में जकड़े रखा था।

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सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी
Currentaffairs सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी

सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह हक है कि वह भारत सरकार से सवाल पूछें, रोज सवाल पूछें और तमाम सवाल पूछें लेकिन यदि वह भारतीय सेना का मनोबल गिराने वाली बात करेंगे तो यह उनको शोभा नहीं देता। भारतीय सेना अपने शौर्य, साहस और कड़े अनुशासन के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। देश में सीमाओं की सुरक्षा की बात हो या आपदाओं के समय राहत कार्यों में सहयोग की बात हो, भारतीय सेना ने हमेशा देश का सर गर्व से ऊँचा किया है। इसलिए यह कहना कि हमारी सेना पिट रही है, निंदनीय और शर्मनाक बयान है। 

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कोरोना से चीन का हाल बेहाल, तेजी से चीनियों को निबटाने में लगा है Xi Ka Virus
Currentaffairs कोरोना से चीन का हाल बेहाल, तेजी से चीनियों को निबटाने में लगा है Xi Ka Virus

कोरोना से चीन का हाल बेहाल, तेजी से चीनियों को निबटाने में लगा है Xi Ka Virus चीन में विरोध प्रदर्शन बढ़ने से परेशान वहां की सरकार ने जीरो कोविड नीति में छूट तो दे दी लेकिन उसके बाद कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़े हैं उससे देश के हालात को संभालना राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बलबूते से बाहर होता जा रहा है। शी जिनपिंग ने जो वायरस दुनिया को निबटाने के लिए बनवाया था वही वायरस अब उनको ही निबटाने में लगा हुआ है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीनी अर्थव्यवस्था को झटके पर झटके लग रहे हैं क्योंकि कारोबार बंद है, ऑफिसों में ताले लग गये हैं, देश में निवेश आना भी बंद हो गया है, वायरस आ जाने के डर से दुनिया के अन्य देश चीनी माल खरीदने से कतराने लगे हैं जिससे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर तरह तरह के सामान से भरे कंटेनरों का अंबार लगा हुआ है और उसके अंदर रखा माल सड़ रहा है। इस बीच, इस प्रकार की भी खबर है कि विशेषज्ञों ने चीन में कोरोना वायरस की नई लहर के चलते 10 लाख लोगों की मौत का अनुमान जताया है।

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Prabhasakshi Exclusive: Shaurya Path में समझिये पहले डोकलाम फिर गलवान और अब तवांग में झड़प के पीछे China की क्या है मंशा
Currentaffairs Prabhasakshi Exclusive: Shaurya Path में समझिये पहले डोकलाम फिर गलवान और अब तवांग में झड़प के पीछे China की क्या है मंशा

Prabhasakshi Exclusive: Shaurya Path में समझिये पहले डोकलाम फिर गलवान और अब तवांग में झड़प के पीछे China की क्या है मंशा अपने शौर्य, साहस और अनुशासन के चलते दुनियाभर की सेनाओं में सबसे विशिष्ट स्थान और सम्मान रखने वाली भारतीय सेना पर हर देशवासी को गर्व है। विषम प्राकृतिक चुनौतियों को झेलते हुए भी हमारे सुरक्षा बल जिस तरह दिन-रात भारत की पावन भूमि की रक्षा में तैनात रहते हैं यह उसी का प्रतिफल है कि आप और हम निडर भाव से अपना जीवन आजादी से बिता पाते हैं और अपने परिवारों संग खुशियां मना पाते हैं। सेना के जवान भले होली और दिवाली पर अपने घर वालों से दूर सरहद की सुरक्षा में तैनात हों लेकिन वह यह जरूर सुनिश्चित करते हैं कि आप अपने परिजनों के साथ होली-दीवाली ही नहीं जीवन का हर दिन खुशहाली के साथ बिता सकें। सेना है तो सुरक्षा है, सेना है तो विश्वास है, सेना है तो आत्मविश्वास है। यह कोई स्लोगन नहीं बल्कि हकीकत है। आज भी इस देश में यदि प्रेरणा का कोई सबसे बड़ा पुंज है तो वह सेना है। हम चुनावों के समय तथा विभिन्न मौकों पर जब देश के प्राथमिक स्कूलों की सुविधाओं का जायजा लेने खासतौर पर वहां जाते हैं तो नन्हे मुन्ने बच्चों से पूछने पर पाते हैं कि अधिकतर बच्चे बड़े होकर सेना में जाना चाहते हैं। उनका यह जवाब उनकी देशभक्ति और सेना के प्रति सम्मान के भाव को स्पष्टतः प्रकट करता है।

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कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा
Currentaffairs कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा

कोरोना जाते जाते लोगों के हृदय के साथ बड़ा खिलवाड़ कर गया है, सभी को सचेत रहना होगा कोरोना भले ही अब अंतिम सांसें गिनने लगा हो पर कोरोना प्रभावित इसके दुष्प्रभाव से अभी तक मुक्त नहीं हो पाये हैं। कोरोना प्रभावितों द्वारा दोनों टीकों यहां तक कि बूस्टर डोज लगवाने वाले भी इन दुष्प्रभावों से बच नहीं पा रहे हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार दुनिया के 20 करोड़ लोग कोरोना के साइड इफेक्ट से प्रभावित हो रहे हैं। अचानक दिल का दौरा, भूलने की आदत, सरदर्द, अधिक बाथरूम जाना, अचानक डायबिटिक होना, मनोबल में कमी और इसी तरह के साइड इफेक्ट से दो चार हो रहे हैं। कोरोना दुष्प्रभाव के चलते मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।

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गुजरात में भाजपा की बंपर जीत मोदी के वर्षों के अथक परिश्रम का ही परिणाम है
Currentaffairs गुजरात में भाजपा की बंपर जीत मोदी के वर्षों के अथक परिश्रम का ही परिणाम है

गुजरात में भाजपा की बंपर जीत मोदी के वर्षों के अथक परिश्रम का ही परिणाम है गुजरात में भाजपा की प्रचंड विजय गुजरात की जनता की भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अटूट विश्वास की जीत है। यह उनके प्रति जनता के असीम स्नेह की विजय है। गुजरात विधानसभ चुनाव में भाजपा की विजय ने यह सिद्ध कर दिया है कि जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल पसंद आ रहा है। इसलिए नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का विजय रथ निरंतर आगे बढ़ रहा है। गुजरात विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात की जनता से कहा था कि इस बार उनका रिकॉर्ड टूटना चाहिए। गुजरात की जनता ने उनकी बात का पूर्ण रूप से मान रखते हुए भाजपा को गुजरात के इतिहास का सबसे प्रचंड जनादेश देकर नया इतिहास रच दिया। गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में से 156 सीटों पर विजय प्राप्त की है। पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में भाजपा ने 99 सीटें प्राप्त की थीं, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के पश्चात भी कांग्रेस गुजरात में कुछ विशेष नहीं कर पाई, अपितु हानि में ही रही। कांग्रेस अब 77 से केवल 17 सीटों पर सीमित होकर रह गई है।

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ब्रांड मोदी का नहीं है कोई विकल्प, समझिये गुजरात चुनाव से मिले कुछ बड़े संदेशों को
Currentaffairs ब्रांड मोदी का नहीं है कोई विकल्प, समझिये गुजरात चुनाव से मिले कुछ बड़े संदेशों को

ब्रांड मोदी का नहीं है कोई विकल्प, समझिये गुजरात चुनाव से मिले कुछ बड़े संदेशों को गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल कर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपना दावा तो मजबूत किया ही है साथ ही यह भी साबित किया है कि किसी भी अन्य पार्टी के पास ब्रांड मोदी का कोई विकल्प नहीं है। इन चुनावों ने यह भी दर्शाया कि प्रधानमंत्री मोदी जैसी मेहनत और अमित शाह जैसी रणनीति कामयाब भी होती है और नये नये रिकॉर्ड भी बनाती है। गुजरात में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बिल्कुल सही कहा कि गुजरात की जनता ने रिकॉर्डों को तोड़ने का भी रिकॉर्ड बना दिया है। बहरहाल, गुजरात चुनाव परिणाम के विश्लेषण के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर आये जोकि इस प्रकार हैं- 

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अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों की बदौलत अब प्राकृतिक आपदाओं पर आसमान से नजर रख सकेगा भारत
Currentaffairs अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों की बदौलत अब प्राकृतिक आपदाओं पर आसमान से नजर रख सकेगा भारत

अंतरिक्ष में बढ़ते कदमों की बदौलत अब प्राकृतिक आपदाओं पर आसमान से नजर रख सकेगा भारत इसरो के वैज्ञानिकों ने बीते कुछ वर्षों में अंतरिक्ष की दुनिया में कई बड़े मुकाम हासिल किए हैं। पिछले दिनों भी इसरो ने अंतरिक्ष में सफलता का ऐसा ही परचम लहराया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसरो ने महासागरों के वैज्ञानिक अध्ययन और चक्रवातों पर नजर रखने के लिए तीसरी पीढ़ी के ओशनसैट सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया। इसरो ने 44.

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कमजोरों की अनदेखी करते रहने से समाज का कभी भला नहीं हो सकता
Currentaffairs कमजोरों की अनदेखी करते रहने से समाज का कभी भला नहीं हो सकता

कमजोरों की अनदेखी करते रहने से समाज का कभी भला नहीं हो सकता हर रिश्ते को संवेदना से जीने के लिये जरूरी है प्रेम एवं विश्वास। प्यार एवं विश्वास दिलों को जोड़ता है। इससे कड़वे जख्म भर जाते हैं। प्यार की ठंडक से भीतर का उबाल शांत होता है। हम दूसरों को माफ करना सीखते हैं। इनकी छत्रछाया में हम समूह और समुदाय में रहकर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। लेखिका रोंडा बायन कहती हैं कि जितना ज्यादा हो सके हर चीज, हर व्यक्ति से प्यार करें। ध्यान केवल प्यार पर रखें। पाएंगे कि जो प्यार आप दे रहे हैं, वह कई गुणा बढ़कर आप तक लौट रहा है। हम समाज में एक साथ तभी रह पाते हैं जब वास्तविक प्रेम एवं संवेदना को जीने का अभ्यास करते हैं। उसका अभ्यास सूत्र है-साथ-साथ रहो, तुम भी रहो और मैं भी रहूं। या ‘तुम’ या ‘मैं’ यह बिखराव एवं विघटन का विकल्प है। ‘हम दोनों साथ नहीं रह सकते’ यह नफरत एवं द्वेष का प्रयोग है। विरोध में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। जो व्यक्ति दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करना नहीं जानता, वह परिवार एवं समाज में रह कर शांतिपूर्ण जीवन नहीं जी सकता।

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प्रकृति की चेतावनी को बार-बार नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है
Currentaffairs प्रकृति की चेतावनी को बार-बार नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है

प्रकृति की चेतावनी को बार-बार नजरअंदाज करना बहुत भारी पड़ सकता है यदि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़ते तापमान का असर आने वाले दिनों में तेजी से देखा जाएगा। संभावना तो यहां तक व्यक्त की जा रही है कि यही हालात रहे तो जीवन-दायिनी गंगा-जमुना नदी में जल स्तर कम होगा और हालात यहां तक हो सकते हैं कि गंगा-जमुना के बहाव क्षेत्र में तेजी से पानी का स्तर कम होगा। यहां तक कि इस क्षेत्र में पानी का संकट तक आ सकता है। यह चेतावनी आज की नहीं है अपितु भूविज्ञानियों व पर्यावरणविदों द्वारा लंबे समय से दी जाती रही है। प्रकृति लगातार डेढ़-दो दशक से चेताती जा रही है पर अनदेखा किया जा रहा है। हालिया दशकों में हिमालय पर्वत माला श्रृंखला में सर्वाधिक भूगर्भीय हलचल देखने को मिल रही है। साल में एक दो नहीं अपितु आये दिन धरती हिलने लगी है। भूस्खलन होने लगे हैं। साल में एक दो बार तो बड़े भूस्खलन आम होते जा रहे हैं। देवभूमि आज भूगर्भीय हलचल का केन्द्र बन गई है। हिमालय श्रृंखला के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। यहां तक कि हिमालयी श्रृंखला से निकलने वाली नदियों के उद्गम स्थल लगातार पीछे खिसकते जा रहे हैं। पिछले सालों में विनाश के भयावह हालातों से हम रूबरू हो चुके हैं।

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महंगाई कम करना सिर्फ सरकार के हाथ में नहीं है, जनता भी इस काम में योगदान दे सकती है
Currentaffairs महंगाई कम करना सिर्फ सरकार के हाथ में नहीं है, जनता भी इस काम में योगदान दे सकती है

महंगाई कम करना सिर्फ सरकार के हाथ में नहीं है, जनता भी इस काम में योगदान दे सकती है अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। जैसे, भारत में वर्तमान में 50 लाख परिवारों की आय 35000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। आगे आने वाले 10 वर्षों में यह संख्या 5 गुना बढ़कर 250 लाख परिवार होने जा रही है। इससे भारत में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग द्रुत गति से बढ़ने जा रहा है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2278 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जो 10 वर्षों के दौरान दुगनी से भी अधिक होकर 5242 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी।    वर्तमान के सेवा क्षेत्र के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 3.

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साक्षात्कारः वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने श्रद्धा मर्डर मामले की कमजोरियों को उजागर किया
Currentaffairs साक्षात्कारः वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने श्रद्धा मर्डर मामले की कमजोरियों को उजागर किया

साक्षात्कारः वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एपी सिंह ने श्रद्धा मर्डर मामले की कमजोरियों को उजागर किया निर्भया कांड के आरोपियों का केस लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ.

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भारत बना जी-20 का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री ने लेख के माध्यम से सामने रखा भारत का एजेंडा
Currentaffairs भारत बना जी-20 का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री ने लेख के माध्यम से सामने रखा भारत का एजेंडा

भारत बना जी-20 का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री ने लेख के माध्यम से सामने रखा भारत का एजेंडा जी20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए। हम इन उपलब्धियों से लाभान्वित होंगे तथा यहां से और आगे की ओर बढ़ेंगे। अब, जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण किया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूं- क्या जी20 अभी भी और आगे बढ़ सकता है?

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अगला दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी
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अगला दशक ही नहीं बल्कि अगली पूरी सदी ही भारत की होगी अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। इस सम्बंध में उक्त प्रतिवेदन में कई कारण गिनाए गए हैं। भारत में केंद्र सरकार ने विनिर्माण के क्षेत्र में बड़े आकार की कई नई इकाईयों को स्थापित करने के उद्देश्य से हाल ही के समय में कई निर्णय लिए हैं, जिनका उचित परिणाम अब दिखाई देने लगा है। इनमें शामिल हैं, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, कम्पनियों द्वारा अदा की जाने वाली कर की राशि को 25 प्रतिशत तक कम करना और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना तथा ईज आफ डूइंग बिजिनेस के क्षेत्र में कई निर्णय लेना आदि। इसके चलते चीन से विनिर्माण के क्षेत्र में कई इकाईयां भारत में अपना कार्य प्रारम्भ करने जा रही हैं। भारत में वर्तमान में चीन की तुलना में श्रम लागत भी बहुत कम है।  कोरोना महामारी के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों के कामकाज में एक विशेष परिवर्तन दिखाई दिया था। इन संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को कार्यालय में न आकर, अपने घर से कार्य करने की छूट प्रदान की थी। यह परिवर्तन भारत के हित में कार्य करता दिख रहा है क्योंकि कर्मचारी यदि कार्यालय के स्थान से घर में ही कार्य कर सकता है तो उसे सिलिकोन वैली (कैलिफोर्निया) में रहने की क्या जरूरत, वह तो मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, दिल्ली एवं पुणे में रहकर भी अपना कार्य बहुत आसानी से कर सकता है। इससे कम्पनी को बहुत बचत हो सकती है क्योंकि अमेरिका में वेतन का स्तर भारत की तुलना में बहुत अधिक रहता है। इस प्रकार, बहुत बड़े स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियां अपने कार्य को मुंबई में निवास कर रहे भारतीय इंजीनियरों से करवाने पर गम्भीरता से विचार कर रही हैं। बल्कि कुछ कम्पनियों ने तो तकनीकी कार्य को भारत में आउट्सॉर्स करना शुरू भी कर दिया है। इससे भारत में तकनीकी कार्य के क्षेत्र में रोजगार के बहुत अधिक अवसर निर्मित होने की प्रबल संभावनाएं बन रही हैं। इससे भारत में अधिक आय वाले परिवारों की संख्या में भारी वृद्धि दृष्टिगोचर होगी। भारत में वर्तमान में 50 लाख परिवारों की आय 35000 अमेरिकी डॉलर से अधिक है। आगे आने वाले 10 वर्षों में यह संख्या 5 गुना बढ़कर 250 लाख परिवार होने जा रही है। इससे भारत में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग द्रुत गति से बढ़ने जा रहा है। वर्ष 2022 की दीपावली के दौरान भारत में विभिन्न कम्पनियों द्वारा निर्मित उत्पादों की हुई बिक्री, इस दृष्टि से सबसे स्पष्ट उदाहरण बताया जा रहा है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति आय 2278 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है जो 10 वर्षों के दौरान दुगनी से भी अधिक होकर 5242 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष हो जाएगी।इसे भी पढ़ें: भारत में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सेवाएं बढ़ने से अर्थव्यवस्था को रहा है बड़ा लाभभारत में शीघ्र ही विनिर्माण क्षेत्र एवं पूंजीगत क्षेत्र में निवेश बहुत भारी मात्रा में बढ़ने जा रहा है। यह न केवल केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं विभिन्न सरकारी संस्थानों के माध्यम से होगा बल्कि निजी क्षेत्र एवं विदेशी निवेशकों द्वारा का भी इसमें भारी योगदान होगा। वर्तमान में, भारत में स्थापित विनिर्माण इकाईयों द्वारा उनकी उत्पादन क्षमता का 75 प्रतिशत के आसपास उपयोग किया जा रहा है। इस क्षमता के उपयोग होने के बाद सामान्यतः नई विनिर्माण इकाईयों की स्थापना प्रारम्भ हो जाती हैं। विनिर्माण इकाईयों की स्थापना, ऊर्जा की खपत में क्रांतिकारी सुधार, डिजिटल क्रांति एवं आधारभूत संरचना के क्षेत्र में अत्यधिक निवेश से भारत में विकास को रफ्तार मिलेगी।     अभी तक चीन पूरे विश्व के लिए एक विनिर्माण केंद्र बन गया था और अमेरिका उत्पादों के उपभोग का मुख्य केंद्र बन गया था। परंतु, आगे आने वाले 10 वर्षों के दौरान स्थिति बदलने वाली है। भारत चीन से भी आगे निकलकर विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है, जिससे भारत में उत्पादों का उपभोग तेजी से बढ़ेगा। अतः भारत न केवल उत्पादों के उपभोग का प्रमुख केंद्र बन जाएगा बल्कि विश्व के लिए एक विनिर्माण केंद्र भी बन जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत पूर्व में ही वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है।    भारत में वर्तमान में ऋण व सकल घरेलू उत्पाद अनुपात 57 प्रतिशत है। जबकि चीन में 225 प्रतिशत एवं अमेरिका में 200 प्रतिशत है। भारत में बैंकों द्वारा प्रतिभूति आधारित ऋण प्रदान किए जाते हैं अतः जिनके पास प्रतिभूति का अभाव होता है, उन्हें बैंकों से ऋण लेने में परेशानी आती है, हालांकि केंद्र सरकार ने इस प्रकार के ऋणों पर अब अपनी गारंटी देना प्रारम्भ किया है परंतु फिर भी बैंकों से ऋणों का उठाव तुलनात्मक रूप से कम ही है। अब आने वाले समय में शीघ्र ही भारतीय बैंकों द्वारा रोकड़ प्रवाह आधारित ऋण प्रदान किए जाएंगे जिससे ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में तीव्र वृद्धि दृष्टिगोचर होगी। इस अनुपात में सुधार से न केवल उत्पादों की मांग में वृद्धि होगी बल्कि बैंकों के तुलन पत्र का आकार भी बढ़ेगा।  वर्तमान के सेवा क्षेत्र के निर्यात में वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 3.

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दिल्ली नगर निगम चुनाव में कई वार्डों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं
Currentaffairs दिल्ली नगर निगम चुनाव में कई वार्डों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं

दिल्ली नगर निगम चुनाव में कई वार्डों में मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में पुरानी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका अहम रहने के आसार हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में मुसलमानों की आबादी करीब 13 फीसदी है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यक समुदाय से 24 उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि यहां सत्तारुढ़ आम आम आदमी पार्टी (आप) ने सात और भारतीय जनता पार्टी ने चार मुस्लिम चेहरों पर भरोसा जताया है।

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दिल्ली में निर्णायक स्थिति में हैं पूर्वांचली मतदाता, इसीलिए हर पार्टी इन्हें रिझाने में लगी है
Currentaffairs दिल्ली में निर्णायक स्थिति में हैं पूर्वांचली मतदाता, इसीलिए हर पार्टी इन्हें रिझाने में लगी है

दिल्ली में निर्णायक स्थिति में हैं पूर्वांचली मतदाता, इसीलिए हर पार्टी इन्हें रिझाने में लगी है राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस समय नगर निगम चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। सभी राजनीतिक दल समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुँच रहे हैं। दिल्ली में आबादी के हिसाब से देखा जाये तो पंजाबी के बाद पूर्वांचली समाज के लोग सर्वाधिक तादाद में हैं इसलिए हर दल पूर्वांचल के लोगों को रिझाने में लगा हुआ है। भाजपा ने तो उत्तर प्रदेश और बिहार से अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की टीम को दिल्ली में पूर्वांचल बहुल इलाकों में चुनाव प्रचार में लगाया हुआ है वहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की ओर से भी पूर्वांचली मतदाताओं से बड़े-बड़े वादे कर उनका समर्थन हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

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भारत का डर दिखाकर अपनी ही जनता को लूट-लूट कर मालामाल हो रहे हैं पाक सेना के अधिकारी
Currentaffairs भारत का डर दिखाकर अपनी ही जनता को लूट-लूट कर मालामाल हो रहे हैं पाक सेना के अधिकारी

भारत का डर दिखाकर अपनी ही जनता को लूट-लूट कर मालामाल हो रहे हैं पाक सेना के अधिकारी पाकिस्तान की फौज लोकतंत्र को कुचलने और आतंकवाद को प्रश्रय देने के लिए तो पूरी दुनिया में विख्यात है ही, अब उस पर दुनिया की सबसे भ्रष्ट फौज होने का भी आरोप लगा है। पाकिस्तान को अस्तित्व में आए 75 से ज्यादा साल हो चुके हैं लेकिन इस देश में आधे से अधिक समय तक सेना का ही शासन रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के सुरक्षा और विदेश नीति मामलों में सेना का दखल शुरू से ही काफी अधिक रहा है। इस बात का फायदा उठाते हुए पाकिस्तानी सेना ने अपनी अवाम को हमेशा यही अहसास दिलाया कि भारत से हम ही तुम्हारी रक्षा कर सकते हैं इसलिए नेताओं से ज्यादा हम पर विश्वास करो। जनता इसी के चलते सरकार से ज्यादा सेना पर ही विश्वास करती रही और इसी विश्वास का फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना के अधिकारी जनता को लूटते रहे हैं।

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