यूपी में हो रहे उपचुनावों में बसपा की गैर-मौजूदगी का सीधा लाभ भाजपा को हो सकता है
Currentaffairs यूपी में हो रहे उपचुनावों में बसपा की गैर-मौजूदगी का सीधा लाभ भाजपा को हो सकता है

यूपी में हो रहे उपचुनावों में बसपा की गैर-मौजूदगी का सीधा लाभ भाजपा को हो सकता है उत्तर प्रदेश में तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं किंतु सपा को अपनी मुलायम सिंह की परंपरागत सीट बचाने की ही चिंता है। प्रदेश के चुनाव से उसे कुछ लेना−देना नही हैं। मायावती की बसपा ही नहीं, कांग्रेस और आप भी चुनावी समर से गायब हैं। यूपी में इस वक्त मैनपुरी, रामपुर, खतौली तीन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। मैनपुरी लोकसभा सीट है तो खतौली और रामपुर विधान सभा सीट। सपा ने खतौली सीट अपने  गठबंधन के साथी रालोद को सौंप दी है। मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा सीट में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच है। खतौली में रालोद और भाजपा में सीधा मुकाबला है। इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस और आप का कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है।

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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में साकार हो रहा है लोकल फॉर वोकल का सपना
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अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में साकार हो रहा है लोकल फॉर वोकल का सपना अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस साल देश में आजादी का अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला की अपनी विशिष्ट पहचान है और समूचे देश की झलक इस व्यापार मेले में देखने को मिल जाती है। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली में देशी विदेशी दर्शकों को मिनी भारत की झलक कराता है। इस बार खास बात यह है कि लोकल, वोकल और ग्लोबल को इस मेले में साकार किया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि इस दफा व्यापार मेले में 95 प्रतिशत उत्पाद स्वेदशी या यों कहें के देश में ही बने हुए उत्पाद मिल रहे हैं। इसका सीधा सीधा अर्थ हो जाता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में लोकल फोर वोकल की थीम साकार हो रही है तो देशी विदेशी दर्शकों को यह उत्पाद भा भी खूब रहे हैं। इसे स्वदेशी या यों कहें कि लोकल को प्रोत्साहित करने का प्रमुख माध्यम माना जा सकता है तो यह भी साफ हो जाता है कि देशवासी स्वदेशी उत्पादों को भी हाथोंहाथ लेते हैं।

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भारत में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सेवाएं बढ़ने से अर्थव्यवस्था को रहा है बड़ा लाभ
Currentaffairs भारत में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सेवाएं बढ़ने से अर्थव्यवस्था को रहा है बड़ा लाभ

भारत में ग्रामीण इलाकों में डिजिटल सेवाएं बढ़ने से अर्थव्यवस्था को रहा है बड़ा लाभ आज विश्व के लगभग सभी विकसित एवं विकासशील देश आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। इन समस्त अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक चमकते सितारे के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार तेज गति से हो रहे सुधार के चलते आज भारत का नाम पूरे विश्व में बड़े ही आदर और विश्वास के साथ लिया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक फण्ड एवं विश्व बैंक जैसी वित्तीय संस्थाएं भी भारतीय अर्थव्यवस्था में अपनी अपार श्रद्धा जता चुकी हैं। इन वित्तीय संस्थानों का कहना है कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास बहुत ही मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है।  ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए 6 विकास सूचक उच्च मानक वाले माने जाते हैं। इन विकास सूचकों में शामिल हैं- ट्रैक्टर एवं दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि, उर्वरकों की बिक्री में वृद्धि, कृषि क्षेत्र में बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली ऋणराशि में वृद्धि, मनरेगा योजना के अंतर्गत रोजगार की मांग में वृद्धि, कृषि और कृषि आधारित उत्पादों के निर्यात में वृद्धि और चावल एवं गेहूं का भंडारण करने की स्थिति (बफर मानक पर आधारित)। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहिले 6 माह के दौरान उक्त समस्त उच्च मानकों में वृद्धि दर बहुत अधिक रही है। जनवरी से सितम्बर 2022 की अवधि के दौरान 5.

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जलवायु संकट से निबटने में खतरनाक साबित हो सकती है अमीर देशों की उदासीनता
Currentaffairs जलवायु संकट से निबटने में खतरनाक साबित हो सकती है अमीर देशों की उदासीनता

जलवायु संकट से निबटने में खतरनाक साबित हो सकती है अमीर देशों की उदासीनता जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए अमीर एवं शक्तिशाली देशों की उदासीनता एवं लापरवाह रवैया एक बार फिर मिस्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-27) में देखने को मिली। दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या जितनी गंभीर होती जा रही है, इससे निपटने के गंभीर प्रयासों का उतना ही अभाव महसूस हो रहा है। कॉप-27 में मौसम में अप्रत्याशित बदलाव के कारण गरीब देशों को हुए नुकसान पर चर्चाएं हुईं, इस तरह का नुकसान गरीब देश ही भुगतते हैं। इस सम्मेलन में इसकी भरपाई के लिए धन मुहैया कराने समेत अन्य अहम मुद्दों को लेकर गतिरोध ने इस कड़वे यथार्थ एवं खौफनाक सच को फिर रेखांकित कर दिया कि अमीर एवं शक्तिशाली देश इस वैश्विक समस्या के प्रति उदासीन है। गंभीर से गंभीरतर होते इस संकट को लेकर सम्मेलन के समापन पर ‘नुकसान और क्षति’ कोष स्थापित करने पर सहमति भले ही बन गई, लेकिन यह कोष कब तक बनेगा, कौन इसमें सहयोगी होंगे और किस तरह काम करेगा, यह स्पष्ट नहीं है।

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बढ़ती आबादी बड़ा खतरा है, अब भी नहीं चेते तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा
Currentaffairs बढ़ती आबादी बड़ा खतरा है, अब भी नहीं चेते तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा

बढ़ती आबादी बड़ा खतरा है, अब भी नहीं चेते तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के मुताबिक दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई है, जिसे सात से आठ अरब होने में केवल 12 वर्ष का समय लगा है जबकि दुनिया की आबादी को 1 से 2 अरब होने में 100 साल से भी ज्यादा लगे थे। हालांकि दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ने को संयुक्त राष्ट्र मानवता की उपलब्धियों के प्रमाण के रूप में देख रहा है और यह सही भी है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान शिक्षा तक पहुंच का विस्तार, स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति, लैंगिक असमानता में कमी इत्यादि कारकों का है लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं हैं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी एक अरब बढ़ने में भारत की हिस्सेदारी 17.

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15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है
Currentaffairs 15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है

15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है अमेरिका में डेमोक्रेट सांसद और सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ऐलान करते हुए कहा है कि वह हाउस लीडरशिप और स्पीकरशिप त्याग रही हैं। 15 साल तक इस पद पर रहीं नैन्सी पेलोसी के इस ऐलान से दुनिया हैरान है क्योंकि वह इतने लंबे समय तक अमेरिका में प्रमुख राजनीतिक पद पर बनी रहीं साथ ही विदेशों में भी उन्होंने विभिन्न मुद्दों को लेकर जिस तरह अपने देश का प्रतिनिधित्व किया उसका व्यापक प्रभाव रहा था। हाल ही में जब चीन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए नैन्सी पेलोसी ताइवान के दौरे पर गयी थीं तो पूरी दुनिया आश्चर्य से देखती रह गयी थी।

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श्रीलंका के बिगड़ते हालात इस द्विपीय राष्ट्र को और कमजोर कर देंगे
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श्रीलंका के बिगड़ते हालात इस द्विपीय राष्ट्र को और कमजोर कर देंगे भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका एक बार फिर से विरोध प्रदर्शनों का सामना कर रहा है जिससे देश के हालात एक बार फिर से खराब होने का अंदेशा है। दरअसल आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को दोबारा अपने पैरों पर खड़े होने के लिए जितनी मदद चाहिए उतनी उसे मिल नहीं पा रही है। श्रीलंका की सरकार के पास भी सीमित संसाधन है जिससे वह लोगों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है और इसके चलते लोगों का आक्रोश भड़कता जा रहा है। श्रीलंका के लोगों को लगता है कि अस्थायी सरकार उनके मसलों का हल नहीं निकाल सकती इसीलिए वहां जल्द से जल्द चुनाव कराये जाने चाहिए ताकि देश पर छाया संकट दूर हो सके।

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अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है
Currentaffairs अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है

अपनी बेटियों को लव जिहाद के खतरे से आगाह करना हर माँ-बाप का कर्तव्य है यह बेहद दुख की बात है कि देश में लव जिहाद की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। लव जिहाद में फंस कर कई लड़कियां अपनी जान गंवा चुकी हैं तो अनेक युवतियां नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यह सब तब हो रहा है जबकि लव जिहाद के खिलाफ सख्त कानून बनाए जा चुके हैं। कड़ी सजा का प्रावधान है। लव जिहाद की घटनाएं काफी हद तक धर्म और धर्मांतरण से भी जुड़ी है। लव जिहाद का एंगिल सीधे तौर पर हिन्दू युवतियों और मुस्लिम युवाओं से जुड़ा मसला बनता जा रहा है। जहां मुस्लिम युवक अपना धर्म और नाम छिपाकर हिन्दू युवतियों को अपने प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का कृत्य करते हैं। प्यार ऐसा ‘रोग’ होता है जिसे युवक-युवतियां जमाने से छिपाकर करती हैं। बस इसी बात का फायदा लव जिहादी उठाते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि लव जिहाद के खिलाफ कानून तो अपना काम करे ही, हम सबको भी अपनी किशोर उम्र की बेटियों को समय-समय पर लव जिहादियों के मंसूबों और लव जिहादी इस कृत्य को कैसे अंजाम देते हैं, इसके प्रति जागरूक करते रहता चाहिए। बेटियों से खुलकर बात करनी चाहिए। वह लव जिहादियों के द्वारा नहीं छली जाएं इसके लिए माँ-बाप को उनके दोस्त बनकर रहना चाहिए जिससे वह कोई बात माँ-बाप या घर वालों से कोई बात नहीं छिपाएं। लव जिहाद की गंभीरता का अंदाजा सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी से लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मांतरण को ‘बहुत गंभीर’ मुद्दा करार देते हुए 14 नवंबर 2022 को केंद्र से कहा कि वह इसे रोकने के लिए कदम उठाए और इस दिशा में गंभीर प्रयास करे।

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प्रदूषण जनित रोग बन रहे हैं बड़ी समस्या, विश्व में 90 लाख लोग गंवा चुके हैं जान
Currentaffairs प्रदूषण जनित रोग बन रहे हैं बड़ी समस्या, विश्व में 90 लाख लोग गंवा चुके हैं जान

प्रदूषण जनित रोग बन रहे हैं बड़ी समस्या, विश्व में 90 लाख लोग गंवा चुके हैं जान प्रदूषण विश्व के लिए टाइम बम की घड़ी की तरह खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है। दुनियाभर के लोगों को लिए वायु प्रदूषण बेहद ही खतरनाक है। प्रदूषण के चलते पूरी दुनिया में हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई धूम्रपान और एचआईवी से ज्यादा बड़ी है। कनाडा मैकगिल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन की नवीतम रिपोर्ट में वायु प्रदूषण के खतरे को उजागर किया है। इसके अनुसार सूक्ष्म प्रदूषण कण हर साल दुनियाभर में 15 लाख (1.

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सरसंघचालक मोहन भागवत जी के बयानों पर विवाद करने की बजाय उनके संबोधनों की गहराई को समझना चाहिए
Currentaffairs सरसंघचालक मोहन भागवत जी के बयानों पर विवाद करने की बजाय उनके संबोधनों की गहराई को समझना चाहिए

सरसंघचालक मोहन भागवत जी के बयानों पर विवाद करने की बजाय उनके संबोधनों की गहराई को समझना चाहिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा है कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है और सभी भारतीयों का डीएनए एक है। इस बयान पर विवाद खड़ा करने की बजाय इसकी गहराई को देखना चाहिए। भागवत जी ने छत्तीसगढ़ में दिये गये अपने संबोधन में सही ही कहा है कि हिंदुत्व ने सब विविधताओं को हजारों वर्षों से भारत की भूमि में एक साथ चलाया है। भागवत ने जी अपनी बात को आधार देते हुए कहा है कि जो भारत को अपनी माता मानता है, मातृभूमि मानता है, जो भारत में विविधता में एकता वाली संस्कृति को जीना चाहता है, उसके लिए प्रयास करता है, वह पूजा किसी भी तरह से करे, भाषा कोई भी बोले, खान-पान, रीति-रिवाज कोई भी हो, वह हिंदू ही है। वाकई यह सही बात है कि एकमात्र हिंदुत्व नाम का विचार दुनिया में ऐसा है जो विविधताओं को एकजुट करने में विश्वास करता है।

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रेगिस्तान के जहाज ऊंट के संरक्षण की दिशा में राजस्थान सरकार ने की अभिनव पहल
Currentaffairs रेगिस्तान के जहाज ऊंट के संरक्षण की दिशा में राजस्थान सरकार ने की अभिनव पहल

रेगिस्तान के जहाज ऊंट के संरक्षण की दिशा में राजस्थान सरकार ने की अभिनव पहल राजस्थान सरकार एक बार फिर रेगिस्तान के जहाज ऊंट के संरक्षण और विकास के लिए गंभीर नजर आने लगी है। दरअसल राजस्थान ही नहीं देश में भी ऊंटों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। यह सब तो तब है जब देश में ऊंट की घटती संख्या को लेकर सरकारों से लेकर गैरसरकारी संगठन तक गंभीर हैं। राजस्थान की सरकार ने तो कुछ सालों पहले से ही ऊंट को राज्य पशु घोषित कर रखा है। ऊंटों के संरक्षण और उनको तस्करी से बचाने के लिए लाख प्रयास किए जा रहे हैं पर परिणाम अधिक उत्साहजनक नहीं रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऊंटों के संरक्षण और विकास के लिए अभिनव पहल की है। राजस्थान में अब मादा ऊंट व बच्चे की पहचान पर पशुपालक को दो किश्तों में दस हजार रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे। इस अभिनव योजना में पशु चिकित्सक द्वारा मादा ऊंट व बच्चे को टैग लगाकर पहचान पत्र दिया जाएगा। इस पहचान को दिए जाने के बाद संबंधित पशुपालक को पांच हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके बाद जब ऊंट का बच्चा एक वर्ष का हो जाएगा तब उसके टैग को दिखाने पर दूसरी किश्त के पांच हजार रुपए दिए जाएंगे। पशु चिकित्सक को भी इसके लिए 50 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए दस करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

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साक्षात्कारः इश्लीन कौर ने कहा- मधुर आवाज कुदरत की देन होती है
Currentaffairs साक्षात्कारः इश्लीन कौर ने कहा- मधुर आवाज कुदरत की देन होती है

साक्षात्कारः इश्लीन कौर ने कहा- मधुर आवाज कुदरत की देन होती है प्रतिभाएं मौके की तलाश में होती हैं, चाहें कितनी भी मुसीबत या चुनौतियां क्यों ना आएं, उन्हें परवाह नहीं होती। गायकी के क्षेत्र में ऐसी ही एक प्रतिभा पंजाब के बठिंडा से ईश्लीन के रूप में उभरकर सबको मनमोहित कर रही हैं। महज 17 वर्ष की इस बालिका की गायकी के दीवाने सभी वर्ग के लोग हैं। पंजाबी चैनल एमएच-1 के शो ‘निक्की आवाज पंजाब दी’ में उन्होंने खलबली मचा कर मंच लूटा। अपनी गायकी से इशलीन कौर ने अभी तक कई पुरस्कार जीते हैं। अभी पिछले ही दिनों उनका एक गाना लॉन्च हुआ है। मखमली गायकी को लेकर ईश्लीन कौर से पत्रकार डॉ.

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किसी भाषा का विरोध करना ठीक नहीं, सभी भारतीय भाषाओं का समान सम्मान होना चाहिए
Currentaffairs किसी भाषा का विरोध करना ठीक नहीं, सभी भारतीय भाषाओं का समान सम्मान होना चाहिए

किसी भाषा का विरोध करना ठीक नहीं, सभी भारतीय भाषाओं का समान सम्मान होना चाहिए आज दो खबरों ने बरबस मेरा ध्यान खींचा। एक तो मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ के बयान ने और दूसरा गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने!

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वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां नौकरियों में कर रही हैं बड़ी कटौती, क्या अब भी MNC के पीछे भागेंगे हमारे युवा?
Currentaffairs वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां नौकरियों में कर रही हैं बड़ी कटौती, क्या अब भी MNC के पीछे भागेंगे हमारे युवा?

वैश्विक सोशल मीडिया कंपनियां नौकरियों में कर रही हैं बड़ी कटौती, क्या अब भी MNC के पीछे भागेंगे हमारे युवा?

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अमेरिका में मध्यावधि चुनाव परिणाम ने डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है
Currentaffairs अमेरिका में मध्यावधि चुनाव परिणाम ने डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है

अमेरिका में मध्यावधि चुनाव परिणाम ने डोनाल्ड ट्रंप की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है अमेरिका में मध्यावधि चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली रिपब्लिकन पार्टी की एकतरफा लहर की जो संभावना जताई जा रही थी वह गलत साबित हुई है। पूर्वानुमानों के विपरीत जो बाइडन कई दशकों के अमेरिकी इतिहास में ऐसे राष्ट्रपति बन गये हैं जिनके नेतृत्व वाली पार्टी ने मध्यावधि चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रदर्शन से खुश जो बाइडन अपने अगले कार्यकाल को लेकर भी बहुत आशान्वित नजर आ रहे हैं लेकिन देखना होगा कि उम्र उनका साथ देती है या नहीं। चुनावों के अब तक सामने आये परिणाम यह भी दर्शा रहे हैं कि अमेरिकी जनता ने बीच का रास्ता अपनाया है और किसी एक पार्टी को वह प्रचंड बहुमत देने से बची है।

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भारतीय संस्कृति का वाहक है हमारे देश का जनजाति समाज
Currentaffairs भारतीय संस्कृति का वाहक है हमारे देश का जनजाति समाज

भारतीय संस्कृति का वाहक है हमारे देश का जनजाति समाज भारत भूमि का एक बड़ा हिस्सा वनों एवं जंगलों से आच्छादित है। भारतीय नागरिकों को प्रकृति का यह एक अनोखा उपहार माना जा सकता है। इन वनों एवं जंगलों की देखभाल मुख्य रूप से जनजाति समाज द्वारा की जाती रही है। जनजाति समाज की विकास यात्रा अपनी भूख मिटाने एवं अपने को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से केवल वनों के इर्द गिर्द चलती रहती है। वास्तविक अर्थों में इसीलिए जनजाति समाज को धरतीपुत्र भी कहा जाता है। प्राचीन काल से केवल प्रकृति ही जनजाति समाज की सम्पत्ति मानी जाती रही है, जिसके माध्यम से उनकी सामाजिक, आर्थिक एंव पारिस्थितिकीय आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहती है। ऐसा कहा जाता है कि अनादि काल से जनजाति संस्कृति व वनों का चोली दामन का साथ रहा है और जनजाति समाज का निवास क्षेत्र वन ही रहे हैं। इस संदर्भ में यह भी कहा जा सकता है कि वनों ने ही जनजातीय जीवन एंव संस्कृति के उद्भव, विकास तथा संरक्षण में अपनी आधारभूत भूमिका अदा की है। भील वनवासियों का जीवन भी वनों पर ही आश्रित रहता आया है। जनजाति समाज अपनी आजीविका के लिए वनों में उत्पन्न होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का उपयोग करते रहे हैं।  भारतीय वन क्षेत्रों में पाए जाने वाले प्रमुख वनस्पतियों, पेड़ों एवं उत्पादित वस्तुओं में शामिल रहे हैं बबूल, बेर, चन्दन, धोक, धामन, धावडा़, गुदी, हल्दू, इमली, जामुन, कजरी, खेजडी़, खेडा़, कुमटा, महुआ, नीम, पीपल, सागवान, आम, मुमटा, सालर, बानोटीया, गुलर, बांस, अरीठा, आंवला, गोंद, खेर, केलडी, कडैया, आवर, सेलाई वृक्षों से करा, कत्था, लाख, मौम, धोली व काली मुसली, शहद, आदि। इनमें से कई वनस्पतियों की तो औषधीय उपयोगिता है। कुछ जड़ी बूटियों जैसे आंवला का बीज, हेतडी़, आमेदा, आक, करनीया, ब्राह्मी, बोहडा़, रोंजडा, भोग पत्तियां, धतुरा बीज, हड, भुजा, कनकी बीज, मेंण, अमरा, कोली, कादां, पडूला, गीगचा, इत्यादि का उपयोग रोगों के निवारण के लिए किया जाता रहा है। आमेदा के बीजों को पीसकर खाने से दस्त बंद हो जाते हैं। अरण्डी के तेल से मालिश एवं पत्तों को गर्म करके कमर में बांधने से दर्द कम हो जाता है। बुखार को ठीक करने के लिए कड़ा वृक्ष के बीजों को पीस कर पीते हैं। जोड़ों में दर्द ठीक करने के लिए ग्वार व सैजने के गोंद का उपयोग करते हैं। फोड़े फुन्सियों एवं चर्म रोग को ठीक करने के लिए नीम के पत्तों को उबालकर पीते हैं। इसके अलावा तुलसी, लौंग, सोठ, पीपल, काली मिर्च का उपयोग बुखार एवं जुखाम ठीक करने के लिए किया जाता है।

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साक्षात्कारः अभिनेता अभिजीत सिन्हा से फिल्म ‘होटल मर्डर केस’ पर बातचीत
Currentaffairs साक्षात्कारः अभिनेता अभिजीत सिन्हा से फिल्म ‘होटल मर्डर केस’ पर बातचीत

साक्षात्कारः अभिनेता अभिजीत सिन्हा से फिल्म ‘होटल मर्डर केस’ पर बातचीत बॉलीवुड एक्टर अभिजीत सिन्हा वास्तविक सब्जेक्ट पर काम करने किए जाने जाते हैं। ऐसे विषय जो जीवित इंसान से वास्ता रखते हैं, इनके द्वारा अभिनीत ‘अदृश्य’ फिल्म को आज भी दर्शक नहीं भूले हैं। वैसी ही उनकी एक और फिल्म पिछले सप्ताह रिलीज हुई, फिल्म का नाम है ‘होटल मर्डर केस’। जिसमें उन्होंने पुलिस अफसर का रोल निभाया हैं। फिल्म की कहानी बिहार में घटी एक पूर्व घटना पर आधारित है, जिसमें सस्पेंस और थ्रिलर दोनों का मिक्स है। फिल्म की पटकथा और अपने रोल के संबंध में एक्टर अभिजीत सिन्हा ने पत्रकार डॉ.

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तेजी से फैल रहा है पोर्न का मकड़जाल, इससे चर्च के फादर, नन और आने वाली पीढ़ी को बचाना एक बड़ी चुनौती
Currentaffairs तेजी से फैल रहा है पोर्न का मकड़जाल, इससे चर्च के फादर, नन और आने वाली पीढ़ी को बचाना एक बड़ी चुनौती

तेजी से फैल रहा है पोर्न का मकड़जाल, इससे चर्च के फादर, नन और आने वाली पीढ़ी को बचाना एक बड़ी चुनौती पोर्न की मादकता, नशे और मायाजाल से आने वाली पीढ़ी और समाज को बचाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसी चुनौती जिसके कारण हमारी नई पीढ़ी अपराध और नशे की ओर जा रही है। किशोर छेड़छाड़, रेप जैसी घटनाओं में शामिल हो रहे हैं। कोरोना काल में शुरू हुई ऑनलाइन पढ़ाई से स्कूल जाने वाले हर बच्चे में मोबाइल पहुंच गया। मोबाइल के हाथ में आने के बाद शुरू हो गया ऑनलाइन गेम और पोर्न का शिकंजा। इससे बचना और बच्चे और किशोरों को बचाकर रखना परिवारजनों के सामने एक बड़ी चुनौती बन गया है। पोर्न के जाल को लेकर हम भारतीय ही नही, गुरू पोप फ्रांसिस भी चिंतित नजर आए। उन्होंने तो हाल में यहां तक कह दिया कि चर्च के फादर और नन भी पॉर्न देखते हैं।

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गुजरात में इस बार कौन-से वे बड़े मुद्दे हैं जो किसी भी राजनीतिक पार्टी के भाग्य का निर्धारण करेंगे
Currentaffairs गुजरात में इस बार कौन-से वे बड़े मुद्दे हैं जो किसी भी राजनीतिक पार्टी के भाग्य का निर्धारण करेंगे

गुजरात में इस बार कौन-से वे बड़े मुद्दे हैं जो किसी भी राजनीतिक पार्टी के भाग्य का निर्धारण करेंगे गुजरात विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। हर राजनीतिक दल जनता के बीच नये-नये वादे लेकर पहुँच रहा है। लेकिन जनता के कई ऐसे मुद्दे हैं जिनका निराकरण अब तक नहीं हुआ है। जनता इस इंतजार में है कि क्या उसके मन की बात को भी कोई पार्टी अपने चुनावी घोषणापत्र में जगह देगी। इसके अलावा जनता को इस बात का भी इंतजार है कि इस बार कौन-सी पार्टी किस चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ेगी। मसलन मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन-कौन होंगे?

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नर-नारी समानता के इस युग में हो रहे बदलाव मात्र बाहरी एकरूपता प्रतीत हो रहे हैं
Currentaffairs नर-नारी समानता के इस युग में हो रहे बदलाव मात्र बाहरी एकरूपता प्रतीत हो रहे हैं

नर-नारी समानता के इस युग में हो रहे बदलाव मात्र बाहरी एकरूपता प्रतीत हो रहे हैं न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने मुखपृष्ठ पर एक खबर छापी है कि अमेरिका में कई आदमी अब औरतों का वेश धारण करने लगे हैं और औरतें तो पहले से ही वहां आदमियों की वेशभूषा पहनते रही हैं। उनका कहना है कि कपड़ों में भी औरत-मर्द का भेद क्या करना?

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जानलेवा होता जा रहा है डेंगू का डंक, सावधानी बरतेंगे तभी बचे रहेंगे
Currentaffairs जानलेवा होता जा रहा है डेंगू का डंक, सावधानी बरतेंगे तभी बचे रहेंगे

जानलेवा होता जा रहा है डेंगू का डंक, सावधानी बरतेंगे तभी बचे रहेंगे डेंगू के लगातार बढ़ते मामले स्वास्थ्य विभाग के लिए देश के अनेक हिस्सों में गंभीर चिंता का सबब बन रहे हैं। कई जगहों से डेंगू के कारण लोगों की जान जाने की खबरें भी निरन्तर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखण्ड, पंजाब हो या हरियाणा, दिल्ली हो या राजस्थान, बिहार हो या झारखण्ड, हर राज्य में डेंगू का डंक कहर बरपा रहा है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ने से सोशल मीडिया पर प्लेटलेट्स की मांग वाले संदेशों की संख्या काफी बढ़ गई है। दरअसल डेंगू होने पर मरीज की प्लेटलेट्स काफी कम हो जाती है और प्लेटलेट्स बहुत ज्यादा कम होने पर मरीज की जान को खतरा हो सकता है। दिल्ली में तो डेंगू के मरीजों की संख्या पिछले साल के मुकाबले सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है।

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मोरबी की घटना ने गुजरात सरकार के सारे किये कराये पर पानी फेर दिया है
Currentaffairs मोरबी की घटना ने गुजरात सरकार के सारे किये कराये पर पानी फेर दिया है

मोरबी की घटना ने गुजरात सरकार के सारे किये कराये पर पानी फेर दिया है गुजरात के मोरबी में जो पुल टूटा है, उसमें लगभग पौने दौ सौ लोगों की जान चली गई और सैंकड़ों लोग घायल हो गए। मृतकों के परिजनों को केंद्र और गुजरात की सरकारें 6-6 लाख रुपए का मुआवजा दे रही हैं और घायलों को 50-50 हजार का लेकिन यहां मूल प्रश्न यह है कि क्या सरकार की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी ही है?

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