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संतान की सुख-समृद्धि तथा लंबी आयु के लिए रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत
By DivaNews
16 October 2022
संतान की सुख-समृद्धि तथा लंबी आयु के लिए रखा जाता है अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय समाज में प्रत्येक त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है। ऐसे प्रत्येक अवसर पर की जाने वाली पूजा तथा व्रत में कोई न कोई विशेष उद्देश्य निहित होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष में तो वैसे भी तिथि-त्यौहारों की भरमार रहती है। जिस प्रकार सम्पूर्ण भारत में पति की दीर्घायु की कामना के लिए ‘करवा चौथ’ व्रत मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार करवा चौथ के चार दिन पश्चात् संतान की सुख-समृद्धि तथा लंबी आयु की कामना के लिए ‘अहोई अष्टमी’ व्रत रखा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती की पूजा का विधान है। दरअसल माता पार्वती संतान की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रताप से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत के प्रताप से बच्चों की रक्षा होती है, वहीं इसे संतान प्राप्ति के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है। अहोई अष्टमी व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान फल की प्राप्ति होती है और जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से यह व्रत रखती हैं, उनके बच्चे दीर्घायु होते हैं। जिन महिलाओं की संतान का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता हो, बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हों, ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य लाभ तथा दीर्घायु प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है। हालांकि इस व्रत के संबंध में यह नियम भी माना जाता है कि एक साल यह व्रत करने के बाद यह व्रत आजीवन नहीं टूटना चाहिए अर्थात् प्रतिवर्ष किया जाना चाहिए।
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