जी-7 ने यूक्रेन के प्रतिरोध को समर्थन दिया, चीन को लेकर जताया संदेह दुनिया के सात विकसित देशों के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को रूस के हमले के खिलाफ यूक्रेन के प्रतिरोध को समर्थन दिया और उसकी रक्षा की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने साथ ही वैश्विक संकट के बीच चीन पर, उसकी बढ़ती आक्रमकता को लेकर संदेह भी जताया। जी-7 देशों के विदेश मंत्रियों ने जर्मनी के शहर म्युएन्स्टर में अपनी दो दिवसीय वार्ता संपन्न की। सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में यूक्रेन, रूस, चीन और ईरान एवं उत्तर कोरिया के हालिया घटनाक्रम पर एक रुख अपनाया गया। हमले को लेकर रूस को नतीजे भुगतने की चेतावनी देने के करीब एक साल बाद जी-7 देशों के मंत्रियों ने क्रेमलिन (रूसी सरकार का मुख्यालय) को दंडित करने का समर्थन किया जिनमें आने वाले हफ्तों में रूसी तेल निर्यात की कीमत तय करने जैसे उपाय शामिल हैं। उन्होंने यूक्रेन के पुन:निर्माण के लिए नयी व्यवस्था बनाकर मदद करने का वादा किया। साथ ही युद्ध की वजह से खाद्य और ऊर्जा संकट से जूझ रहे देशों की मदद की भी प्रतिबद्धता जताई। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘ हम यूक्रेन को वित्तीय, मानवीय, रक्षा, राजनीतिक, प्रौद्योगिकी और कानूनी सहायता देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं जहां के लोग अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने की वजह से मुश्किल का सामना कर रह हैं, उन्हें मदद की जरूरत है।’’ मंत्रियों ने आरोप लगाया कि रूस अहम बिजली संयंत्रों, जलापूर्ति एवं अन्य संरचनाओं को निशाना बनाकर ‘‘असैन्य लोगों को आतंकित करने का प्रयास कर रहा है। ’’ उन्होंने युद्ध बंद करने की भी मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘हम रूस के साथ उन देशों, व्यक्तियों और संस्थानों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना जारी रखेंगे जो मॉस्को की ओर से जारी आक्रामक युद्ध के लिए सैन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं।’ जी-7 समूह में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। जी-7 समूह देशों के मंत्रियों ने ईरान की, कथित तौर पर ड्रोन सहित रूस को हथियार मुहैया कराने और सरकार विरोधी प्रदर्शनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आलोचना की।
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