ट्रेड मार्क होती ज़िंदगी (व्यंग्य) बड़ी दुकानवाला चाहे असली सा महसूस करवाने वाले, नकली स्वाद का प्रभावशाली विज्ञापन छपवाए या अपने व्यवसाय में पारदर्शिता होने का विज्ञापन बनवाए, विज्ञापन पढने या देखने वालों को सब कुछ कहां समझ आता है। अधिकांश ग्राहक सब खा पी जाते हैं। उन्हें इतना कुछ खिला, पिला, बेच दिया है कि नकली और नकली पीकर उनकी जीभ को असली का स्वाद भूल गया है। सब जानते हैं कि क़ानून बहुत सख्त है और लागू है। सभी कम्पनियां, सभी कायदे क़ानून, बड़े सलीके से फॉलो करती हैं। विज्ञापन में स्पष्ट और साफ़ छाप देती हैं कि हमारी फ्रूट पॉवर केवल एक ट्रेड मार्क है और इसकी वास्तविक प्रकृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।
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