मसौदा श्वेतपत्र में दावा: तटवर्ती क्षेत्रों में भूक्षरण बंदरगाह निर्माण के कारण नहीं है षणगुमुगम और वलियतुरा में तटवर्ती क्षेत्रों में भूक्षरण विझिंजम बंदरगाह के निर्माण कार्यों के कारण नहीं, बल्कि पिछले कुछ वर्षों की तूफानी मौसमी गतिविधियों के कारण हुआ है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों की समिति के समक्ष रखे गए मसौदा श्वेतपत्र में यह जानकारी दी गई है। विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह लिमिटेड (वीआईएसएल) के महाप्रबंधक (पर्यावरण) प्रसाद कुरियन ने बताया कि श्वेतपत्र राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), राष्ट्रीय भू-विज्ञान अध्ययन केन्द्र (एनसीईएसएस) और एल एंड टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है। तीनों संस्थाओं द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, हाल के वर्षों में अक्टूबर से अप्रैल के बीच तूफानों की संख्या बढ़ी है और इसकी ऊंची लहरों के परिणामस्वरूप भूक्षरण हुआ है। विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह लिमिटेड के सीईओ डॉक्टर जयकुमार के अनुसार, मानसून के दौरान तटवर्ती क्षेत्रों में भूक्षरण होता है उसके बाद अक्टूबर से अप्रैल तक के महीनों में जब समुद्र में लहरें बहुत तेज नहीं होती हैं तो वह बीच पर गाद जमा करते हैं। जयकुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, खासतौर से ओक्खी के बाद से यह प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं हो रही है। लेकिन, बंदरगाह परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी दिए जाने के खिलाफ एनजीटी में याचिका देने वाले जोसेफ विजयन इस श्वेतपत्र के मसौदे से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने रिपोर्ट के मसौदे को ‘‘अतार्कीक और अवैज्ञानिक’’ बताया तथा दावा किया कि इसका लक्ष्य परियोजना का बचाव करना है। अपने दावे के समर्थन में विजयन ने कहा कि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिरकार तूफानी गतिविधियों से सिर्फ बंदरगाह का उत्तरी हिस्सा क्यों प्रभावित हो रहा है, उस अवधि में दक्षिणी हिस्से में भूक्षरण क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘पर्यावरण को सिर्फ बलि का बकरा बनाया जा रहा है। मानवीय हस्तक्षेप के कारण जो जगहें संवेदनशील (खतरे की जद में आ गयी हैं) हो गई हैं, वही खराब मौसम की चपेट में आ रही हैं।
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