पाकिस्तान में चरम पर है फौजी भ्रष्टाचार, यदि वहां सेना सुधर जाये तो वो देश भी सुधर सकता है
Politics पाकिस्तान में चरम पर है फौजी भ्रष्टाचार, यदि वहां सेना सुधर जाये तो वो देश भी सुधर सकता है

पाकिस्तान में चरम पर है फौजी भ्रष्टाचार, यदि वहां सेना सुधर जाये तो वो देश भी सुधर सकता है पाकिस्तान की फौज को दुनिया की सबसे ज्यादा भ्रष्ट फौज माना जाता है। पाकिस्तान का हर महत्वाकांक्षी नौजवान फौज में भर्ती होना चाहता है, क्योंकि वहां मूंछों पर ताव देकर रहना और पैसा बनाना सबसे आसान होता है। पाकिस्तान के लोग फौजियों का जरूरत से ज्यादा सम्मान करते हैं या उनसे बहुत ज्यादा डरते हैं, कहा नहीं जा सकता। अब से लगभग 40 साल पहले जब मैं पहली बार पाकिस्तान गया तो रावलपिंडी में फौज के मुख्यालय के पास एक दुकान में किताबें खरीदने गया। मुझे देखते ही उस दुकान के मालिक और सारे कर्मचारी मुझे सेल्यूट मारने लगे, क्योंकि उन दिनों मैं सफारी सूट पहना करता था और मूंछें भी थोड़ी बड़ी रखता था। किताबें चुनने के बाद जब मैंने बिल मांगा तो मालिक बोला, सर आप कैसी बात कर रहे हैं?

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राजीव गांधी के हत्यारे को गले लगाकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने गलत परम्परा कायम की
Politics राजीव गांधी के हत्यारे को गले लगाकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने गलत परम्परा कायम की

राजीव गांधी के हत्यारे को गले लगाकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने गलत परम्परा कायम की वोटों की फसल काटने के लिए नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका नया प्रमाण है तमिलनाडु के क्षेत्रीय दलों की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई को लेकर मनाया गया जश्न। इसे बहुत बड़ी जीत माना गया। तमिलनाडु देश में एक ऐसा राज्य है, जहां की चुनी हुई डीएमके की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों की रिहाई के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। एमडीएमके, पीएमके, एआइएडीएमके और सत्तारुढ़ डीएमके ने आतंकियों की रिहाई को ऐतिहासिक जीत बताया है। इससे पहले जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों ने आतंकियों का समर्थन करके ऐसी हरकत की है। एआइएडीएमके सहित दूसरे क्षेत्रीय दल भी सत्ता में रहने के दौरान राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा कराने की इस कवायद में पूरी तरह शामिल रहे हैं। इतना ही नहीं वोट बैंक की राजनीति के लिए नैतिकता, आदर्श और सिद्धान्तों की आहुति देते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन से गले मिले। स्टालिन ने यह कृत्य करके यही जताने की कोशिश की है कि हत्यारों ने कोई गलती नहीं की है।

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गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया
Politics गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया

गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया राजनीति में परिवारवाद एक बड़ी बुराई है और भाजपा इसके खिलाफ आक्रामकता से लड़ती रही है। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए विभिन्न दलों की ओर से उतारे गये उम्मीदवारों के नामों पर गौर करें तो वह कहावत याद आ जाती है कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और होते हैं और खाने के कुछ और। देखा जाये तो वंशवाद एक ऐसी परम्परा भी बन चुकी है जिसे हर चुनाव में निभाया जाता है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों की पहली प्राथमिकता यही होती है कि चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले को उम्मीदवार बनाया जाये भले ही वह किसी भी पृष्ठभूमि का क्यों ना हो।

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उपचुनाव परिणाम से तय होगी मुलायम सिंह की विरासत और आजम खान की ताकत
Politics उपचुनाव परिणाम से तय होगी मुलायम सिंह की विरासत और आजम खान की ताकत

उपचुनाव परिणाम से तय होगी मुलायम सिंह की विरासत और आजम खान की ताकत उत्तर प्रदेश की एक लोकसभा और दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव ने राज्य में राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। वैसे तो इन 3 सीटों पर चुनाव नतीजों से किसी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन यह उपचुनाव ऐसे दिग्गज नेताओं के क्षेत्रों में हो रहा है जिनका अपना राजनैतिक कद काफी ऊंचा रहा है। इसमें से एक दिवंगत समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव होना है, जबकि दूसरा चुनाव रामपुर में आजम खान की विधानसभा की सदस्यता निरस्त के जाने के बाद संपन्न होने जा रहा है। आजम खान को एक आपराधिक मामले में 3 साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। बात मैनपुरी लोकसभा सीट के चुनाव की की जाए तो यहां सपा-भाजपा के बीच मुकाबला आमने सामने का है। मैनपुरी से कांग्रेस और बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। इसके अलावा सबसे खास बात यह है कि मैनपुरी लोकसभा चुनाव में चाचा-भतीजे एक साथ बीजेपी प्रत्याशी के लिए चुनौती दे रहे हैं। दोनों के बीच की राजनीतिक दूरियां काफी घट गई हैं। सपा ने यहां से मुलायम की बड़ी बहू डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है तो भारतीय जनता पार्टी ने मुलायम सिंह के पुराने वफादार रहे रघुराज शाक्य को मैदान में उतारा है। मैनपुरी में यादव और शाक्य वोटरो का अच्छा खासा दबदबा है। भाजपा लगातार यहां पर अपनी राजनीतिक स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उप चुनाव हो रहा है। यहां से लगातार मुलायम या फिर उनके परिवार के सदस्य चुनाव जीतते रहे हैं।

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भारत में जनसंख्या असंतुलन पैदा कर हिंदुओं पर आघात की साजिश हो रही है
Politics भारत में जनसंख्या असंतुलन पैदा कर हिंदुओं पर आघात की साजिश हो रही है

भारत में जनसंख्या असंतुलन पैदा कर हिंदुओं पर आघात की साजिश हो रही है भारत ने अन्य देशों में हिंदू धर्म को स्थापित करने अथवा उनकी जमीन हड़पने के उद्देश्य से कभी भी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है। परंतु वर्ष 1947 में, लगभग 1000 वर्ष के लम्बे संघर्ष में बाद, भारत द्वारा परतंत्रता की बेड़ियों को काटने में सफलता प्राप्त करने के पूर्व भारत की हिंदू सनातन संस्कृति पर बहुत आघात किए गए और अरब आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा इसे समाप्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी गई थी। परंतु, भारतीय जनमानस की हिंदू सनातन संस्कृति के प्रति अगाध श्रद्धा एवं महान भारतीय संस्कृति के संस्कारों ने मिलकर ऐसा कुछ होने नहीं दिया। भारत में अनेक राज्य थे एवं अनेक राजा थे परंतु राष्ट्र फिर भी एक था। भारतीयों का हिंदू सनातन संस्कृति एवं एकात्मता में विश्वास ही इनकी विशेषता रही है। आध्यात्म ने हर भारतीय को एक किया हुआ है चाहे वह देश के किसी भी कोने में निवास करता हो और किसी भी राज्य में रहता हो। आध्यात्म आधारित दृष्टिकोण है इसलिए हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आध्यात्मवाद ने ही भारत के नागरिकों की रचना की है और आपस में जोड़ा है। परंतु अभी हाल ही में भारत के अंदर एवं वैश्विक स्तर पर कुछ इस प्रकार की घटनाएं घटित हो रही हैं जिसके चलते एक बार पुनः यह आभास हो रहा है कि कहीं यह घटनाएं हिंदू सनातन संस्कृति एवं सनातन चिंतन पर विपरीत प्रभाव तो नहीं डाल रही हैं।

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केरल में बेवजह राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोलकर समय बर्बाद कर रहे हैं मुख्यमंत्री विजयन
Politics केरल में बेवजह राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोलकर समय बर्बाद कर रहे हैं मुख्यमंत्री विजयन

केरल में बेवजह राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोलकर समय बर्बाद कर रहे हैं मुख्यमंत्री विजयन केरल की मार्क्सवादी सरकार का दुराग्रह अपनी चरम सीमा पर पहुंचा हुआ है। सत्तारुढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने अपने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने राज्यपाल को केरल के विश्वविद्यालयों के कुलपति पद से हटाने के लिए एक अध्यादेश तैयार कर लिया है और अब विधानसभा का सत्र बुलाकार वे अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रस्ताव भी पारित करना चाहते हैं। उनसे कोई पूछे कि राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना कौन-सा प्रस्तावित अध्यादेश लागू किया जा सकता है और उनके दस्तखत के बिना कौन-सा विधेयक कानून बन सकता है याने केरल की विजयन सरकार झूठ-मूठ की नौटंकी में अपना समय बर्बाद कर रही है।

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जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्ष का भले है मगर उनके समक्ष चुनौतियों का अंबार लगा है
Politics जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्ष का भले है मगर उनके समक्ष चुनौतियों का अंबार लगा है

जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्ष का भले है मगर उनके समक्ष चुनौतियों का अंबार लगा है जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 9 नवम्बर को देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) का दायित्व संभाल लिया है। वे देश की सबसे बड़ी अदालत में 10 नवम्बर 2024 तक इस सर्वोच्च पद पर आसीन रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते अयोध्या मामले, आईपीसी की धारा 377 के अंतर्गत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता और सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं। नवाचार को प्रोत्साहन देने में भी वह खासे उदार रहे हैं। उन्हीं के निर्देशन में न्यायपालिका के पहले सूचना तकनीकी केंद्र की रूपरेखा तैयार हुई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के डिजिटलीकरण का कार्य भी उन्होंने ही शुरू कराया था।

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राजस्थान में कांग्रेस ने चिंतन शिविर तो कर लिया मगर राज्य में पार्टी की चिंताएं नहीं दूर हुईं
Politics राजस्थान में कांग्रेस ने चिंतन शिविर तो कर लिया मगर राज्य में पार्टी की चिंताएं नहीं दूर हुईं

राजस्थान में कांग्रेस ने चिंतन शिविर तो कर लिया मगर राज्य में पार्टी की चिंताएं नहीं दूर हुईं कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर में आयोजित अपने चौथे चिंतन शिविर में पार्टी के गिरते जनाधार को रोकने व पार्टी की नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव के लिए कई अहम प्रस्ताव पारित किए थे। जिसके लिए चिंतन शिविर में उपस्थित सभी बड़े नेताओं ने एक सुर में समर्थन करते हुए उन्हें सख्ती से लागू करने की बात कही थी। कांग्रेस के चिंतन शिविर को संपन्न हुए कई महीने बीत चुके हैं। मगर फिर भी वहां लिए गए कई प्रस्तावों पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है। राजस्थान कांग्रेस कमेटी चिंतन शिविर की आयोजक थी। मगर राजस्थान में ही उस शिविर में लिए गए प्रस्तावों पर अमल नहीं हो पा रहा है।

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आत्मनिर्भर बनने के अभियान की गति को थोड़ा और बढ़ा लें तो हम चीन को जल्द दे सकते हैं मात
Politics आत्मनिर्भर बनने के अभियान की गति को थोड़ा और बढ़ा लें तो हम चीन को जल्द दे सकते हैं मात

आत्मनिर्भर बनने के अभियान की गति को थोड़ा और बढ़ा लें तो हम चीन को जल्द दे सकते हैं मात भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 में वस्तुओं के आयात के मामले में एक बार पुनः भारत की निर्भरता चीन पर बढ़ी है। हालांकि पिछले 3 साल के दौरान भारत के चीन से आयात लगातार कम हो रहे थे परंतु वित्तीय वर्ष 2021-22 में चीन एवं भारत के बीच 11,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ है जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर की तुलना में कहीं अधिक है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़े यह अच्छी बात हो सकती है परंतु चिंता का विषय यह है कि चीन से भारत में आयात बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत से चीन को निर्यात उस गति से नहीं बढ़ पा रहे है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत में चीन से आयात 9,400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है जो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 6,530 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा था। वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रथम दो माह में भी स्थिति संभलने के स्थान और अधिक बिगड़ी ही है, अर्थात इस दौरान चीन को भारत से निर्यात 31 प्रतिशत से घटा है और भारत में चीन से आयात 12.

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बाल दिवस मनाना तभी सार्थक होगा, जब गरीब बच्चे मजदूरी नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करेंगे
Politics बाल दिवस मनाना तभी सार्थक होगा, जब गरीब बच्चे मजदूरी नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करेंगे

बाल दिवस मनाना तभी सार्थक होगा, जब गरीब बच्चे मजदूरी नहीं बल्कि शिक्षा ग्रहण करेंगे नौनिहालों के प्रति चाचा नेहरू का प्रेम जगजाहिर रहा। इसी नाते उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप मनाया जाना आरंभ हुआ। अब ये सामान्य दिवस नहीं, बल्कि राष्ट्रीय त्यौहार के तौर पर हम मनाते हैं। इस जश्न के साथ ही बाल अधिकारों की बदनुमा तस्वीरें भी सामने आती हैं जो साल दर साल विकराल रूप ले रही है। सामान्य अपराधों के मुकाबले, बाल अपराध कई गुणा बढ़े हैं। एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट में बीते कुछ सालों से बच्चों से असंख्य अपराध चिंतित करते हैं। इसमें सरकारों को दोष दें, या खुद की लापरवाही?

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वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता के साथ बढ़ रही है भारत की धमक
Politics वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता के साथ बढ़ रही है भारत की धमक

वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री की बढ़ती लोकप्रियता के साथ बढ़ रही है भारत की धमक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है और विश्व के लगभग सभी देश प्रधानमंत्री व भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहे हैं। कोरोना महामारी की लड़ाई से थके हुए विश्व में अर्थ व्यवस्थाओं में मंदी और उसके करण उपजी नागरिक समस्याओं के साथ साथ रूस-यूक्रेन युद्ध सहित कई अन्य कारणों से तनाव व्याप्त है। किसी भी समय, किसी भी देश की एक गलती से धरती का बड़ा भाग परमाणु विध्वंस की चपेट में आ सकता है किन्तु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारत की वर्तमान कूटनीति ने स्थितियों को बिगड़ने से बचा रखा है।

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मुलायम परिवार के गढ़ मैनपुरी संसदीय सीट के समीकरण समझिये
Politics मुलायम परिवार के गढ़ मैनपुरी संसदीय सीट के समीकरण समझिये

मुलायम परिवार के गढ़ मैनपुरी संसदीय सीट के समीकरण समझिये समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने पिता की सियासी विरासत बचाने के लिए अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतार कर यह जता दिया है कि वह मैनुपरी को लेकर किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। मुलायम की मृत्यु के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट के लिए होने वाले उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी ने डिंपल यादव को मैदान में उतारा तो मुलायम कुनबे के उन लोगों पर वज्रपात हो गया जो इस सीट पर अपनी दावेदारी कर रहे थे। इसमें भतीजे अखिलेश यादव से नाराज चल रहे शिवपाल यादव भी हैं। इसके अलावा इस सीट पर यादव परिवार से ही धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप यादव जैसे नेताओं के नाम चर्चा भी चर्चा में थे, लेकिन अखिलेश ने पत्नी डिंपल पर भरोसा जताया है। इस तरह नेताजी की खास विरासत को अखिलेश यादव अपने परिवार में ही बनाए रखेंगे। यही नहीं डिंपल को जीत दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी ने बड़ा दांव चलते हुए पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी का जिलाध्यक्ष बना दिया है।      उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट बेहद खास है। यह वह सीट है जो यादव परिवार का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर आज तक बीजेपी जीत दर्ज नहीं कर पाई है। 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी तब भी इस सीट पर उनका जादू नहीं चला। 2014 और 2019 में मैनपुरी से चुनाव लड़े समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव को ही जीत हासिल हुई। बीच में आजमगढ़ के लिए मैनपुरी छोड़ देने पर भी उनके भतीजे तेज प्रताप यादव ने उपचुनाव जीता था। अब उनके निधन के बाद बीजेपी पूरे दमखम से यहां पर कमल खिलाने की कोशिश में लग गई है। मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 कांग्रेस को जीत हासिल हुई। 1977 की सत्ता विरोधी लहर में जनता पार्टी ने कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा दिया। हालांकि 1978 में यहां उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस की इस सीट पर वापसी हुई। 1980 में कांग्रेस ने मैनपुरी लोकसभा सीट एक बार फिर गंवा दी और 1984 में उनके प्रत्याशी को एक बार फिर जीत मिली। यह वह साल था जब कांग्रेस को इस सीट पर आखिरी बार जीत मिली थी। 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन करने के बाद मुलायम सिंह यादव इस सीट से 1996 में चुनाव लड़े और उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की। उसके बाद से लगातार हर चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है।

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आरक्षण से सब खुश तो हैं लेकिन अब विचार करना होगा कि यह व्यवस्था कब तक रहे
Politics आरक्षण से सब खुश तो हैं लेकिन अब विचार करना होगा कि यह व्यवस्था कब तक रहे

आरक्षण से सब खुश तो हैं लेकिन अब विचार करना होगा कि यह व्यवस्था कब तक रहे केंद्र सरकार द्वारा लागू आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए दस प्रतिशत के आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुहर लगा दी। इसने इस आरक्षण को वैध करार दिया है। पीठ के एक न्यायमूर्ति ने साथ ही कहा है कि आरक्षण लंबे समय तक नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का फायदा सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरी में मिलेगा। भाजपा का एनडीए गठबंधन जहां इसे अपनी सरकार की विजय मान कर लाभ लेने में जुट गया है, वहीं कांग्रेसी भी आगे आकर इस निर्णय की प्रशंसा में लगे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के 103वें संवैधानिक संशोधन को बरकरार रखने के फैसले का स्वागत करती है, जो एससी/एसटी/ओबीसी के साथ-साथ अन्य जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा प्रदान करता है।

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आरक्षण जन्म के आधार पर नहीं, जरूरत के आधार पर दिया जाना चाहिए
Politics आरक्षण जन्म के आधार पर नहीं, जरूरत के आधार पर दिया जाना चाहिए

आरक्षण जन्म के आधार पर नहीं, जरूरत के आधार पर दिया जाना चाहिए सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का कौन स्वागत नहीं करेगा कि सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण का आधार सिर्फ गरीबी होगी। यह 10 प्रतिशत आरक्षण अतिरिक्त है। याने पहले से चले आ रहे 50 प्रतिशत आरक्षण में कोई कटौती नहीं की गई है। फिर भी पांच में से दो जजों ने इस आरक्षण के विरुद्ध फैसला दिया है और तमिलनाडु की सरकार ने भी इसका विरोध किया है। जिन दो जजों ने इसके विरुद्ध फैसला दिया है, उनके तर्कों में दम नहीं है। उनका कहना है कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देना संविधान का उल्लंघन करना है।

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मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए मायावती ने जो रणनीति बनाई उसका सर्वाधिक नुकसान अखिलेश को
Politics मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए मायावती ने जो रणनीति बनाई उसका सर्वाधिक नुकसान अखिलेश को

मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए मायावती ने जो रणनीति बनाई उसका सर्वाधिक नुकसान अखिलेश को बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बनाया जा रहा चुनावी प्लान रास नहीं आ रहा है। इसी प्लान का एक हिस्सा मुस्लिम वोटर हैं, जो अभी तक तो समाजवादी पार्टी के साथ है, लेकिन इसी वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा मुस्लिम वोटरों पर डोरे डालने में लगी है। माया का यही मुस्लिम प्रेम उनके विरोधी और अन्य मुस्लिम वोटों के ‘सौदागरों‘ को रास नहीं आ रहा है, जबकि मायावती मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में खींचकर एक बार फिर 2024 के आम चुनाव में वही कारनामा करना चाहती हैं जो उन्होंने 2007 के विधान सभा चुनाव में किया था, जब पहली बार प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की बहुमत वाली सरकार बनी थी। यह और बात है कि तब बीएसपी ने सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का नारा दिया था और इसमें मुस्लिम वोटों का ‘तड़का’ लगाया था। लेकिन हर चुनाव पहले के चुनाव से अलग होता है।

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गुजरात चुनाव में यह 25 विधानसभा सीटें हर बार सुर्खियों में रही हैं, इस बार भी इन पर है सबकी नजर
Politics गुजरात चुनाव में यह 25 विधानसभा सीटें हर बार सुर्खियों में रही हैं, इस बार भी इन पर है सबकी नजर

गुजरात चुनाव में यह 25 विधानसभा सीटें हर बार सुर्खियों में रही हैं, इस बार भी इन पर है सबकी नजर गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में, एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। इस पश्चिमी प्रदेश की कुल 182 सदस्यीय विधानसभा के लिए पहले चरण में 89 सीटों पर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर मतदान होगा। इस चुनाव में निम्नलिखित 25 प्रमुख सीटों पर लोगों की खास निगाहें रहेंगी।

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राजस्थान में भाजपा एकजुट नहीं हुई तो चुनावों की पूरी कमान खुद संभालेगा आलाकमान
Politics राजस्थान में भाजपा एकजुट नहीं हुई तो चुनावों की पूरी कमान खुद संभालेगा आलाकमान

राजस्थान में भाजपा एकजुट नहीं हुई तो चुनावों की पूरी कमान खुद संभालेगा आलाकमान भाजपा आलाकमान के बार-बार चेताने के बावजूद राजस्थान के भाजपा नेता एक दूसरे की टांग खिंचाई करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा राजस्थान में भाजपा संगठन को लेकर बहुत गंभीर नजर आ रहे हैं। उनको पता है कि मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस को हरा पाना मुश्किल है। इसीलिए नड्डा स्वयं भी राजस्थान के दौरे कर रहे हैं और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी लगातार राजस्थान भेज रहे हैं। ताकि राजस्थान में नेताओं के आपसी मतभेद समाप्त हो सकें। मगर नड्डा के प्रयास कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।

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मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर राज्य की संस्कृति, इतिहास और लोकाचार को दर्शाती रिपोर्ट
Politics मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर राज्य की संस्कृति, इतिहास और लोकाचार को दर्शाती रिपोर्ट

मध्य प्रदेश स्थापना दिवस पर राज्य की संस्कृति, इतिहास और लोकाचार को दर्शाती रिपोर्ट मध्य प्रदेश वस्तुतः केवल भौगोलिक हृदयस्थली नहीं बल्कि भारत का मानसस्थल है। यहीं से संपूर्ण भारत में जागरण, चैतन्यता व सांस्कृतिक तेज का भाव संचारित होता है। यह प्रदेश एक तरफ़ से उत्तर प्रदेश, दूसरी तरफ़ से झारखण्ड, तीसरी तरफ़ से महाराष्ट्र, चौथी तरफ़ से राजस्थान, पाँचवी तरफ़ से गुजरात और छठवीं तरफ़ से छत्तीसगढ़ की सीमाओं से घिरा हुआ है। भारत की संस्कृति में मध्य प्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसके प्रकाश की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्य प्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों ओर फैल रहे हैं। यहाँ के वातावरण में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। यहाँ का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनन्द रस घोलकर स्मृति के रुप में चला जाता है। इस प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विन्ध्य-सतपुड़ा, मैकल-कैमूर की उपत्यिकाओं के अन्तर से गूँजते अनेक पौराणिक आख्यान और नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा, केन, धसान, तवा, ताप्ती आदि सर-सरिताओं के उद्गम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएँ यहाँ के जीवन को आप्लावित ही नहीं करतीं, बल्कि परितृप्त भी करती हैं। यहां के गीत, नृत्य, नाट्यकला, वाद्ययंत्र, घुमंतू जातियां, जनजातीय कलाएं, नदियों का संसार मानव हेतु सदा सदा से एक प्रेरणास्त्रोत रहा है। कविवर भवानी प्रसाद मिश्र की कविता "

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गुजरात में मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही रिकॉर्ड खराब है
Politics गुजरात में मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही रिकॉर्ड खराब है

गुजरात में मुस्लिमों को टिकट देने के मामले में भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही रिकॉर्ड खराब है गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हिंदुत्व की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले इस राज्य में तुष्टिकरण की राजनीति कभी नहीं चलती इसलिए चुनावों में मुस्लिमों को लुभाने के प्रयास राजनीतिक दलों की ओर से ज्यादा नहीं किये जाते। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग नजर आ रहे हैं क्योंकि हैदराबाद वाले असद्दुदीन ओवैसी भी अपनी पार्टी को यहां चुनाव लड़ा रहे हैं। उनकी सभाओं में जिस तरह भीड़ उमड़ रही है उसको देखते हुए अन्य दल चौकन्ना हैं खासकर आम आदमी पार्टी। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी इस तैयारी में है कि भाजपा और कांग्रेस से ज्यादा मुस्लिमों को टिकट दिया जाये। हालांकि अभी पार्टी ने कोई निर्णय नहीं लिया है लेकिन इस बात पर मंथन चल रहा है। जहां तक भाजपा और कांग्रेस की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार उतारे जाने की बात है तो भाजपा इस बार भी शायद ही किसी मुस्लिम को टिकट दे जबकि कांग्रेस की ओर से हाल ही में अल्पसंख्यक सम्मेलनों के आयोजनों के जरिये इस बात के संकेत दिये गये हैं कि मुस्लिम उम्मीदवार अच्छी खासी संख्या में उतारे जायेंगे।

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हिंदुओं की आस्था के केंद्र सोमनाथ में चुनावों के दौरान कभी नहीं हुआ ध्रुवीकरण
Politics हिंदुओं की आस्था के केंद्र सोमनाथ में चुनावों के दौरान कभी नहीं हुआ ध्रुवीकरण

हिंदुओं की आस्था के केंद्र सोमनाथ में चुनावों के दौरान कभी नहीं हुआ ध्रुवीकरण हिंदुओं की आस्था का केंद्र माने जाने वाले सोमनाथ में राजनेताओं का भी खूब जमावड़ा लगता है ताकि देश की बहुसंख्यक आबादी को आकर्षित किया जा सके। सोमनाथ में बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों को देखें तो 1995 में राष्ट्रपति रहने के दौरान पंडित शंकर दयाल शर्मा यहां आये थे और पुनर्निर्मित सोमनाथ मंदिर को राष्ट्र को समर्पित किया था। इसके अलावा 90 के दशक में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी रथ यात्रा भी सोमनाथ से ही शुरू की थी। यही नहीं, नरेंद्र मोदी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली तो उन्होंने सोमनाथ में श्रद्धालुओं की सुविधाओं के विस्तार और मंदिर के सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया। इसके बावजूद एक बड़ी सच्चाई यह है कि सोमनाथ में कभी धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हो पाया।

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संविधान की शपथ लेने वाले केजरीवाल को यह कैसे नहीं मालूम कि देश संविधान से चलता है धर्म से नहीं
Politics संविधान की शपथ लेने वाले केजरीवाल को यह कैसे नहीं मालूम कि देश संविधान से चलता है धर्म से नहीं

संविधान की शपथ लेने वाले केजरीवाल को यह कैसे नहीं मालूम कि देश संविधान से चलता है धर्म से नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक प्रेस वार्ता में एक अजीबोगरीब बयान देते हुए भारतीय रुपये पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की फोटो लगाने की मांग की। गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने हिंदुत्व कार्ड खेलते हुए तर्क दिया कि नोट पर एक तरफ गांधीजी और दूसरी तरफ लक्ष्मी-गणेश की फोटो होगी तो इससे पूरे देश को उनका आशीर्वाद मिलने के साथ आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी। निश्चित ही लक्ष्मीजी को समृद्धि की देवी माना गया है तो वहीं गणेशजी सभी विघ्न को दूर करते हैं। लेकिन प्रश्न है कि धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसे सवाल खड़े होना देश के लिए क्या अच्छी बात हैं?

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