
Gyan Ganga: प्रभु गैया चराते-चराते वृन्दावन से निकले और ताल वन में पहुँच गए सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
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read moreGyan Ganga: भगवान श्रीराम को देखकर अचानक ठिठक क्यों गये थे विभीषण?
read moreGyan Ganga: माखन खिलाने से पहले कन्हैया से क्या कहती थीं गोपियां?
read moreGyan Ganga: अपना भेद लेने आये व्यक्ति से भी आपत्ति क्यों नहीं जताई थी श्रीराम ने?
read moreGyan Ganga: परमात्मा को तो हम मानते हैं किन्तु परमात्मा की बात नहीं मानते हैं सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
read moreवाराणसी का महाश्मशान : ‘मणिकर्णिका’ जहां जलती चिताओं के बीच होता है नृत्य वैसे तो बनारस के सभी 84 गंगा घाट अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। सबका अपना एक अलग ही इतिहास है अलग ही महत्ता है सभी की अपनी विशेषतायें है। किसी घाट की सुबह प्रसिद्व है तो किसी की शाम, किसी गंगा घाट की आरती लोगो को भाती है तो किसी गंगा घाट का स्नान लोगो आनंददायी लगता है। कुछ घाट ऐसे है जहां केवल दाह संस्कार किये जाते है। उन्ही घाटों में से एक है 'मणिकर्णिका घाट
read moreभारत में स्थित हैं यह प्रसिद्ध शनि मंदिर, दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं लोग भगवान शनि देव हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। शनि देव को छायापुत्र के नाम से भी जाना जाता है। वे सूर्य और छाया के पुत्र हैं और यम के भाई और न्याय के देवता हैं। कहा जाता है कि शनिदेव सभी को उनके विचार, वाणी और कर्म के आधार पर फल देते हैं। देशभर में लोग भगवान शनिदेव का पूजन करते हैं और कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत में स्थित शनिदेव के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
read moreGyan Ganga: भगवान जो भी करते हैं अच्छा ही करते हैं, यह बिलकुल सही बात है सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
read moreGyan Ganga: कर्मों का फल निश्चित रूप से हर किसी को भोगना ही पड़ता है भगवान श्रीराम जी ने सुग्रीव के मन की थाह पा ली थी। वे तो समझ गए थे कि सुग्रीव के मन में श्रीविभीषण जी के संबंध में अतिअंत ही नकारात्मक विचारों ने आकार ले रखा है। सुग्रीव यह तो देख ही नहीं पा रहे कि कैसे-कैसे श्रीविभीषण जी ने हमें समर्पित होकर, रावण के विरुद्ध लोहा लिया है। रावण के प्रति खुले रूप में विद्रोह करना, साक्षात मृत्यु को दावत थी। लेकिन हमारी खातिर श्रीविभीषण जी ने, अपनी नन्हीं जान की भी चिंता नहीं की। वे अपना सब राज-पाट, यश व वैभव को लात मार कर, हमारी शरणागत होने पधारे हैं। लगता है सुग्रीव को अपने साथ हुए, बालि के अन्याय भूल गए हैं। सुग्रीव को अपने साथ घटित प्रत्येक हिंसा व अत्याचार तो याद है, लेकिन वैसा ही अत्याचार, श्रीविभीषण जी के साथ भी घटा है, इसका उन्हें आभास तक नहीं है। संसार में जीव का यही स्वभाव, उसे आध्यात्मिक व नैतिक स्तर पर, ऊँचा उठने में बाधक बनाये रखता है। जीव दूसरे का सुख व प्रसन्नता देख, स्वयं में वह सुखद अनुभव ढूंढ़ने का तो अथक प्रयास करता है। लेनिक स्वयं को मिली पीड़ा का अनुभव, कभी भी किसी अन्य प्राणी में महसूस करने का प्रयास नहीं करता।
read moreGyan Ganga: भगवान श्रीराम ने विभीषण के बारे में सुग्रीव से क्या पूछा था?
read moreGyan Ganga: भगवान की परीक्षा लेने के लिए ब्रह्माजी ने क्या लीला रची थी?
read moreGyan Ganga: विभीषण जब सुग्रीव से पहली बार मिले तो दोनों ने क्या बात की?
read moreदक्षिण भारत में स्थित हैं यह खूबसूरत कृष्ण मंदिर भगवान कृष्ण पूरे देश में पूजनीय हैं और देशभर में लोगों ने अपनी आस्था के प्रतीक श्रीकृष्णा के लिए कई मंदिर बनवाए हैं। यूं तो हर राज्य में भगवान कृष्ण के कई मंदिर स्थित हैं, लेकिन दक्षिण भारत में कृष्ण मंदिरों की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है। दक्षिण भारत के कुछ कृष्ण मंदिर हैं जहां भगवान कृष्ण के भक्त और समर्पित अनुयायी दर्शन हेतु आते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही कृष्ण मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो दक्षिण भारत में स्थित हैं-
read moreजयंती विशेषः ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि थे गुरुनानक देव जी विभिन्न धर्म-संप्रदायों की भारतभूमि ने मानव जीवन का जो अंतिम लक्ष्य स्वीकार किया है, वह है परम सत्ता या संपूर्ण चेतन सत्ता के साथ तादात्म्य स्थापित करना। यही वह सार्वभौम तत्व है, जो मानव समुदाय को ही नहीं, समस्त प्राणी जगत् को एकता के सूत्र में बांधे हुए हैं। इसी सूत्र को अपने अनुयायियों में प्रभावी ढंग से सम्प्रेषित करते हुए ‘सिख’ समुदाय के प्रथम धर्मगुरु नानक देव ने मानवता का पाठ पढ़ाया। गुरू नानक जी की जयंती या गुरुपूरब/गुरु पर्व सिख समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला सबसे सम्मानित दिन है। जिसका अर्थ है ‘गुरुओं का उत्सव’। गुरुनानक देव नैतिकता, पवित्रता, कड़ी मेहनत और सच्चाई का संदेश देते हैं। यह दिन महान आस्था और सामूहिक भावना और प्रयास के साथ, पूरे विश्व में उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक जी का जीवन प्रेम, ज्ञान और वीरता से भरा था।
read moreभारत की दिव्य विभूति और महान संत गुरु नानक देव जी महान सिख संत व गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई में रावी नदी के किनारे स्थित राय भोई की तलवंडी में हुआ था जो ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है और भारत विभाजन में पाकिस्तान के भाग में चला गया। इनके पिता मेहता कालू गांव के पटवारी थे और माता का नाम तृप्ता देवी था। उनकी एक बहन भी थी जिसका नाम नानकी था। बचपन से ही नानक में प्रखर बुद्धि के लक्षण और सासांरिक चीजों के प्रति उदासीनता दिखाई देती थी। पढ़ाई- लिखाई में इनका मन कभी नहीं लगा। सात वर्ष की आयु में गांव के स्कूल में जब अध्यापक पंडित गोपालदास ने पाठ का आरंभ अक्षरमाला से किया लेकिन अध्यापक उस समय दंग रह गये जब नानक ने हर एक अक्षर का अर्थ लिख दिया। गुरु नानक के द्वारा दिया गया यह पहला दैविक संदेश था।
read moreGyan Ganga: गोलचक्र में ब्रजवासियों के साथ बैठककर भगवान श्रीकृष्ण ने क्या किया?
read moreगुरु नानक देव जी वह 10 शिक्षाएं जो हर किसी का जीवन संवार देती हैं गुरु नानक देवजी सिखों के पहले गुरु थे। अंधविश्वास और आडंबरों के कट्टर विरोधी गुरु नानक का प्रकाश उत्सव (जन्मदिन) कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है हालांकि उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था। पंजाब के तलवंडी नामक स्थान में एक किसान के घर जन्मे नानक के मस्तक पर शुरू से ही तेज आभा थी। तलवंडी जोकि पाकिस्तान के लाहौर से 30 मील पश्चिम में स्थित है, गुरु नानक का नाम साथ जुड़ने के बाद आगे चलकर ननकाना कहलाया। गुरु नानक के प्रकाश उत्सव पर प्रति वर्ष भारत से सिख श्रद्धालुओं का जत्था ननकाना साहिब जाकर वहां अरदास करता है।
read moreGyan Ganga: क्या लंका नगरी का त्याग करते हुए विभीषण के मन में कोई पश्चाताप था?
read moreGyan Ganga: भगवान श्रीकृष्ण ने ग्वाल-बालों की अघासुर से कैसे रक्षा की थी?
read moreGyan Ganga: विभीषण ने किस तरह रावण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूँका था?
read moreदेवताओं को अमृतपान कराकर अमर किया था धन्वन्तरि ने दीवाली से दो दिन पूर्व ‘धनतेरस’ नामक त्यौहार मनाया जाता है, जो इस वर्ष 22 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। हालांकि कुछ लोगों द्वारा यह पर्व 23 अक्तूबर को भी मनाया जाएगा। दरअसल इस बार धनतेरस मनाने की तिथि को लेकर भ्रम बना रहा है। धनतेरस के प्रचलन का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है तथा इस दिन आरोग्य के देवता भगवान धन्वन्तरि एवं धन व समृद्धि की देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
read moreGyan Ganga: भगवान कृष्ण ने कैसे किया असुर अघासुर का उद्धार?
read moreGyan Ganga: रावण बार-बार लात मार रहा था, फिर भी क्यों अपना सीस झुकाये जा रहे थे विभीषण?
read moreGyan Ganga: माखन नहीं खाने को लेकर माँ यशोदा को कान्हा ने क्या सफाई दी थी?
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