
Gyan Ganga: जब विभीषण ने समझाया तो रावण क्यों और कैसे बौखलाया ?
read moreGyan Ganga: जब विभीषण ने समझाया तो रावण क्यों और कैसे बौखलाया ?
read moreपांडवों द्वारा बनाया गया था महाराष्ट्र का यह खास मंदिर केशवराज मंदिर सिर्फ आध्यात्मिकक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि मंदिर के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता भी बस देखते ही बनती है। यह मंदिर महाराष्ट्र में स्थित है और दापोली से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस मंदिर की विशेषता के बारे में बता रहे हैं-
read moreवाल्मीकि जयंतीः शरद पूर्णिमा को जन्मे रत्नाकर बने थे महर्षि वाल्मीकि शरद पूर्णिमा के दिन महर्षि वाल्मीकि की जयंती होती है। महर्षि वाल्मीकि का प्रारंभिक नाम रत्नाकर था। इनका जन्म पवित्र ब्राह्मण कुल में हुआ था लेकिन दस्युओं के संसर्ग में रहने के कारण ये लूटपाट और हत्या करने लग गये थे। यही उनकी आजीविका का साधन बन गया था। इन्हें जो भी मार्ग में मिलता उसकी सम्पत्ति लूट लिया करते थे। एक दिन रत्नाकर की भेंट देवर्षि नारद से हो गई। उन्होंने नारद जी से कहा, “तुम्हारे पास जो कुछ है उसे निकालकर रख दो, नहीं तो जीवन से हाथ धोना पड़ेगा।“
read moreगुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर है बेहद प्राचीन कामाख्या मंदिर एक बेहद की पॉपुलर मंदिर है और गुवाहाटी के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। इसकी गिनती भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। देवी कामाख्या को समर्पित यह कामाख्या मंदिर 51 शक्ति पीठों में सबसे पुराने में से एक है। यह गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कामाख्या मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं-
read moreGyan Ganga: पूतना राक्षसी के मरते ही पूरे ब्रज में सुगंध क्यों फैल गयी थी?
read moreGyan Ganga: रावण को समझाने के लिए विभीषण ने कौन-सी कहानी सुनाई थी?
read moreGyan Ganga: विभीषण ने रावण को अपनी बात समझाने के लिए क्या प्रयास किये थे?
read moreतंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है बिहार में स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ यूं तो देशभर में माता का पूजन किया जाता है और कई स्थानों पर उनके मंदिर स्थित हैं। लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ कई मायनों में बेहद ही विशिष्ट है। यह मुजफ्फरपुर शहर के कच्ची सराय रोड पर स्थित है और मुख्य रूप से तान्त्रिक पूजा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन व पूरी श्रद्धा से यहां पर माता के समक्ष अपनी कोई मनोकामना रखते हैं, तो वह अवश्य पूरी होती है। यह एक बेहद प्राचीन मंदिर हैं, जहां पर केवल स्थानीय या राज्य के लोग ही दर्शन हेतु नहीं आते हैं, बल्कि देश के कोने-कोने से भक्तगण यहां पर माता के दर्शन करते हैं। नवरात्रि के शुभ अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस अति विशिष्ट मंदिर के बारे में बता रहे हैं-
read moreइस मंदिर में एक बार ही होते हैं भोले बाबा के दर्शन यूं तो देशभर में भगवान शिव के कई मंदिर स्थित है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के चित्रकूट गांव से 25 किलोमीटर दूर भगवान शिव को कारू बाबा के नाम से पूजा जाता है। यहां पर भोले बाबा का एक मंदिर स्थित है और यह मंदिर स्वयं में बेहद ही अद्भुत है। दरअसल, यहां पर स्थित भगवान कारू बाबा के दर्शन भक्तगण को साल में एक बार ही होते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस अद्भुत मंदिर के बारे में बता रहे हैं-
read moreGyan Ganga: भगवान श्रीकृष्ण आखिर क्यों राक्षसी पूतना से नजरें नहीं मिला रहे थे?
read moreनवरात्रि में जागरण करवा रहे हैं तो तारा रानी की कथा सुनने पर ही मनोकामना पूर्ण होगी नवरात्रि पर्व में देश के विभिन्न हिस्सों में माता के जागरण और चौकियों का आयोजन किया जाता है। आज के युग में माता के जागरण का स्वरूप भी बदलता जा रहा है। जागरणों में आजकल गायक फिल्मी गानों की तर्ज पर माता की भेटें ज्यादा गाते हैं और भक्तगणों को भी लगता है कि बस नाचो गाओ और प्रसाद लेकर आ जाओ। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। इस आयोजन की जो शुद्धता है उसे बनाये रखना चाहिए। माता के जागरण को फैन्सी स्वरूप देने वाले आजकल के कई गायक जागरण के अंत में तारा रानी की कथा नहीं सुनाते जोकि गलत है। प्राचीन काल से माता के जागरण में महारानी तारा देवी की कथा कहने−सुनने की परंपरा चली आई है। यह बात सभी को ध्यान रखनी चाहिए कि बिना इस कथा के जागरण को संपूर्ण नहीं माना जाता है। कलयुग में दुर्गा शक्ति की पूजा से ही भक्तों के मन की मनोकामना पूर्ण होती है और मन को शांति मिलती है। इसलिए यदि जागरण करवा रहे हैं या जागरण में भाग ले रहे हैं तो तारा रानी की कथा अवश्य सुनें।
read moreबेहद प्रसिद्ध है राजस्थान में स्थित मां शाकंभरी देवी का मंदिर देवी का पूजन पूरे देश में कई रूपों में किया जाता है। लेकिन राजस्थान के सांभर इलाके में मां दुर्गा के एक रूप शाकंभरी देवी का पूजन किया जाता है। यहां पर देवी शाकंभरी का एक मंदिर भी है, जहां पर लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर सांभर झील के किनारे पर है, यह स्थान राजस्थान में जयपुर से 90 किमी दूर है। तो चलिए जानते हैं देवी के इस रूप और मंदिर के बारे में-
read more‘तिरुमाला ब्रह्मोत्सवम’ जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य और महत्व तिरुमाला तिरुपति मंदिर में मनाया जाने वाला ब्रह्मोत्सवम प्रमुख वार्षिक त्यौहारों में से एक माना जाता हैं। नौ दिनों तक मनाया जाने वाला यह धार्मिक उत्सव भगवान वेंकटेश को समर्पित है। इस त्यौहार का भव्य और शानदार तरीके से आयोजन किया जाता है। इस पर्व में सम्मिलित होने के लिए पूरे देश भर से भक्तगण आते हैं और भगवान वेंकटेश के दर्शन करते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति भगवान वेंकेटेश्वर के स्नान अनुष्ठान का दर्शन करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष ब्रह्मोत्सवम 26 सितम्बर से लेकर 5 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। क्यों मनाया जाता है ब्रह्मोत्सवम ?
read moreनवरात्रि के नौ दिनों में होता है नयी शक्ति का संचार कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता हैं।
read moreGyan Ganga: वासुदेवजी से मुलाकात के दौरान नंदबाबा ने क्या कहा था सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे !
read moreसिखों के पहले गुरु नानक देव जिन्होंने दिया था एक ओंकार शब्द, जानिए सिख धर्म के तीन स्तंभों के बारे में 22 सितंबर 1539 को, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का 70 वर्ष की आयु में वर्तमान पाकिस्तान के करतारपुर में निधन हो गया था। उनका विश्राम स्थान अब गुरुद्वारा दरबार करतारपुर साहिब है। गुरु नानक देव अपनी महान शिक्षाओं के कारण सबसे अधिक पूजनीय गुरुओं में से एक माने जाते हैं। गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 को ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान में एक हिंदू परिवार में हुआ था। गुरु नानक की जयंती को दुनिया भर में सिखों द्वारा गुरु नानक गुरुपर्व के रूप में मनाया जाता है। उनकी पुण्यतिथि पर आइए एक नजर डालते हैं उनके जीवन और शिक्षाओं पर, जो आज भी हर सिख के दिल में जिंदा हैं।
read moreGyan Ganga: रावण ने अपनी सभा में सिर्फ चाटुकारों की मंडली क्यों बिठा रखी थी?
read moreदिल्ली के इन शिव मंदिरों के एक बार जरूर करें दर्शन हिंदू धर्म के अनुयायियों की भगवान शिव अटूट आस्था है। उन्हें सर्वाेच्च भगवान माना जाता है जिनके पास ब्रह्मांड को बनाने, नष्ट करने और बदलने की शक्ति है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त भगवान शिव की पूजा व आराधना करता है, उसके सभी दुख व कष्ट दूर हो जाते हैं। यूं तो देशभर में उनके कई मंदिर हैं, लेकिन दिल्ली में मौजूद कई शिव मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध हैं। दिल्ली एक ऐसी जगह है जो अपनी विरासत और संस्कृति के लिए जानी जाती है। इसलिए, अगर आप यहां आए हैं तो आपको इन शिव मंदिरों का भी दौरा अवश्य करना चाहिए-
read moreरामबारात पर्व में निहित है विशेष अर्थ और इसका महत्व उत्तर भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में से एक रामबारात पर्व भी है। मूलरूप से यह रामलीला नाटक का ही एक हिस्सा है। इसमें भगवान राम की बारात को बहुत धूम-धाम से निकाला जाता है। इस पर्व को सबसे पहले आगरा में मनाया गया था। आज इस पर्व को मनाते हुए 125 वर्ष पूरे हो चुके हैं। तीन दिनों तक चलने वाला रामबारात का यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख उत्सवों में से एक है। इस उत्सव का सबसे भव्य आयोजन आगरा में देखने को मिलता है। इस दौरान मेलों का भी आयोजन किया जाता है, जिसके कारण रामबारात का उत्सव देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं।
read moreनिर्माण एवं सृजन के देवता हैं भगवान विश्वकर्मा भगवान विश्वकर्मा सृजन के आदि देव माने जाते हैं जिन्होंने अपने महानतम कर्म से स्वर्णिम इतिहास रचा। प्राचीन ग्रंथों में विश्वकर्मा को प्रजापति, आदित्वदेव ,शिल्पी, त्रिदाचार्य आदि नामों से पुकारा गया है। विश्वकर्मा के अवतार विभिन्न युगों एवं मनवन्तरों में हुए हैं। देव, राक्षस, गंधर्व, मानव आदि योनियों में इनके अवतारों का वर्णन मिलता है।
read moreशिल्पशास्त्र के आविष्कारक और सर्वश्रेठ ज्ञाता माने जाते हैं भगवान विश्वकर्मा विश्वकर्मा पूजा एक ऐसा त्योहार है जहां शिल्पकार, कारीगर, श्रमिक भगवान विश्वकर्मा का त्योहार मनाते हैं। कहा जाता है कि हिंदू भगवान ब्रह्मा के पुत्र विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया था। विश्वकर्मा को देवताओं के महलों का वास्तुकार भी कहा जाता है। इसलिए भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। विश्वकर्मा दो शब्दों से विश्व (संसार या ब्रह्मांड) और कर्म (निर्माता) से मिलकर बना है। इसलिए विश्वकर्मा शब्द का अर्थ है। दुनिया का निर्माता यानि की दुनिया का निर्माण करने वाला।
read moreGyan Ganga: साधु मण्डली ने नंद बाबा को क्या आशीर्वाद दिया था?
read moreभारत के इन प्राचीन गणेश मंदिरों की अलग है महिमा भगवान गणेश को विघ्नहर्ता माना जाता है। प्रथम पूज्य गणेश का सुमिरन करने से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं। गणपति जी शिव और पार्वती के पुत्र हैं और उन्हें सौभाग्य, सफलता, शिक्षा, ज्ञान, ज्ञान और धन का स्वामी और बुराइयों का नाश करने वाला माना जाता है। भारत में कई प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित हैं और भक्तगण यहां आकर पूरी श्रद्धा-भाव से उनका पूजन करते हैं। इनमें से कुछ बेहद ही प्राचीन हैं और इसलिए इनकी महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारत के कुछ प्राचीन गणपति मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
read moreGyan Ganga: विशाल सागर के तट पर पहुँचते ही वानर सेना क्या करने लगी थी?
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