साल 2022 किस मुख्यमंत्री के लिए दोबारा लाया कुर्सी और किसकी छीन ली सत्ता?
राष्ट्रीय स्तर पर साल 2022 की प्रमुख राजनीतिक घटनाएं तो वैसे कई रहीं लेकिन यदि हम राज्यों के हिसाब से देखें तो कई को नये मुख्यमंत्री मिले तो कुछ राज्यों में मुख्यमंत्रियों ने सत्ता में वापसी कर नया रिकॉर्ड भी बनाया। यह साल इस मायने में महत्वपूर्ण था कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने थे। उस समय कोरोना के ओमीक्रॉन स्वरूप का संक्रमण तेजी से फैल रहा था इसलिए चुनाव आयोग को बड़े कठिन नियमों के साथ चुनाव कराने पड़े थे।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। योगी अपनी बुलडोजर बाबा की छवि के चलते भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने में कामयाब रहे। इसके साथ ही योगी ने लगभग तीन दशक से ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश में चले आ रहे उस मिथक को भी तोड़ दिया कि प्रदेश में कोई मुख्यमंत्री सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी नहीं कर पाता। योगी मॉडल की लोकप्रियता देश के अन्य राज्यों में भी पहुँच चुकी है।
वहीं उत्तराखण्ड में भाजपा ने पिछले साल पुष्कर सिंह धामी को जब राज्य की कमान सौंपी थी तो यही लक्ष्य था कि पार्टी की फिर से सत्ता में वापसी हो। उत्तराखण्ड का जबसे गठन हुआ है तबसे एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को राज्य की जनता सत्ता सौंपती रही लेकिन पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा ने रिवाज को बदल दिया और भाजपा का राज कायम रहा। पुष्कर सिंह धामी हालांकि अपना विधानसभा चुनाव हार गये लेकिन भाजपा ने चुनावों के दौरान उनके कुशल नेतृत्व और राज्य के विकास के लिए उनकी कड़ी मेहनत को देखते हुए उन्हें ही मुख्यमंत्री बनाया।
गोवा में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया और सत्ता में वापसी की। इस बार गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने के लिए आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस तो मैदान में थीं ही साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के बेटे भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। लेकिन जनता ने प्रमोद सावंत पर ही भरोसा जताया।
मणिपुर में भी दोबारा कमल खिला और मुख्ममंत्री एन. बिरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार दोबारा सत्ता में लौटी। पूर्वोत्तर में शांति और विकास के चलते लोगों ने भाजपा में अपना विश्वास जताया।
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने कमाल कर दिया। दो तिहाई बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बनाई। आम आदमी पार्टी ने एक सर्वे के आधार पर भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। पंजाब में चुनावों से पहले नेतृत्व परिवर्तन करना कांग्रेस को भारी पड़ा था और उसके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तो दोनों विधानसभा सीटों से हारे ही साथ ही पंजाब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी विधानसभा चुनाव हार गये थे। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को भी चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा था।
पांच राज्यों के चुनावों के बाद भाजपा ने त्रिपुरा में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया। वहां पार्टी संगठन और सरकार में बढ़ते मतभेदों और कुछ विधायकों के मुख्यमंत्री के खिलाफ उतरने के बाद भाजपा ने बिप्लब देव को हटा कर राज्यसभा सदस्य रहे माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया।
इसके बाद दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में गुजरात में भाजपा ने रिकॉर्ड सातवीं जीत हासिल कर भूपेंद्र पटेल को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कहा था कि इतने वोट दीजिये कि नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ दे, परिणाम के बाद ऐसा ही हुआ। भाजपा ने गुजरात के गठन के बाद से अब तक की सबसे बड़ी चुनावी जीत हासिल करने का रिकॉर्ड बनाया।
वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार जयराम सिंह ठाकुर पार्टी को दोबारा सत्ता में नहीं ला सके। वहां कांग्रेस को बहुमत मिला और सुखविंदर सिंह सुक्खु मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपनी सरकार में मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री बनाया है।
इसके अलावा बिहार की बात करें तो वहां चुनाव तो नहीं हुए लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जरूर पाला बदल लिया। उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ कर महागठबंधन के समर्थन से सरकार बनाई। उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को अपनी सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया है।
इसी प्रकार महाराष्ट्र में भी राजनीतिक उलटफेर के चलते उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गयी और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों की बगावत के चलते उद्धव ठाकरे सरकार गिरना इस साल के बड़े राजनीतिक घटनाक्रमों में शुमार रहा।
2022 brought back chair for which cm and whose power was taken away