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दुनिया की 25 फीसदी आबादी रोजाना मिर्च खाती, तीखेपन का विज्ञान

दुनिया की 25 फीसदी आबादी रोजाना मिर्च खाती, तीखेपन का विज्ञान

दुनिया की 25 फीसदी आबादी रोजाना मिर्च खाती, तीखेपन का विज्ञान

रॉबर्टो सिल्वेस्ट्रो, पीएचडी शोधार्थी, जीव विज्ञान, यूनिवर्सिटी डु क्यूबेक ए चिकोटिमी (यूक्यूएसी) सगुनेय (कनाडा), छह नवंबर (द कन्वरसेशन) दुनिया की 25 फीसदी आबादी फिलहाल रोजाना मिर्च खाती है। तीखापन या इसकी धारणा, दुनियाभर के अधिकतर व्यंजनों में होती है। जीनस कैप्सिकम (परिवार सोलानेसी) मिर्च दुनिया के सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है, जो हजारों व्यंजनों में इस्तेमाल होता है और कभी-कभी इसे एक अलग व्यंजन के रूप में भी खाया जाता है।

वन पारिस्थितिकी-भौतिक विज्ञानी के रूप में हम अन्य जीवित प्राणियों और आसपास के वातावरण के साथ संवाद करने के लिए पौधों द्वारा विकसित अनुकूलन लक्षणों का अध्ययन करते हैं। मिर्च और तीखापन पर शोध बहुविषयक विज्ञान का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। पिछले दशकों में कई शोधकर्ताओं ने इस सबसे अनोखी और वांछनीय मौखिक संवेदना के बारे में विशिष्ट जानकारी प्रदान की है। एक संक्षिप्त इतिहास वर्ष 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस के नयी दुनिया की तलाश तक मिर्च दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात थी।

कई मूल सिद्धांतों ने दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों को ‘‘उस’’ स्थान के रूप में चिह्नित किया जहां से मिर्च आई थी। एक फाईलोजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि उनका संबंध पश्चिमी से उत्तर-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के एंडीज के साथ एक क्षेत्र से है। ये पुरानी मिर्च जंगली ‘‘छोटे लाल, गोल, बेरी जैसे फल’’ थे। इंसानों के भोजन का हिस्सा बनने का सबसे पहला प्रमाण मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले का है। 16वीं शताब्दी में मिर्च यूरोप पहुंची। वर्तमान में, मिर्च की पांच घरेलू प्रजातियां हैं। खायी जाने वाली प्रजातियों में कैप्सिकम एनम, सी चिनेंस, सी फ्रूटसेन्स, सी बैकाटम और सी प्यूब्सेंस हैं।

सबसे अधिक किस्मों वाली प्रजाति सी. एन्युम है, जिसमें न्यू मैक्सिकन जलपीनो और बेल मिर्च शामिल हैं। इसके बजाय हैबनेरोस और स्कॉच बोनट सी. चिनेंस से, जबकि टबैस्को मिर्च सी. फ्रूटसेन्स संबंधित हैं हैं। साउथ अमेरिकन अजीज सी बैकाटम हैं, जबकि पेरूवियन रोकोटो और मैक्सिकन मंजानो सी प्यूब्सेंस हैं। आजकल, वैश्विक बाजार के लिए सालाना 30 लाख टन से अधिक मिर्च का उत्पादन किया जाता है जो कि चार अरब डॉलर से अधिक का कारोबार है।

मिर्च क्यों जलन पैदा करती है? तीखापन भोजन में कैप्साइसिन के कारण होने वाली जलन है। जब हम मसालेदार खाना खाते हैं, तो कैप्साइसिन हमारे मुंह में टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स को उत्तेजित करता है और एक प्रतिक्रिया को बढ़ाता है। टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स का उद्देश्य थर्मोरेसेप्शन यानी गर्मी का पता लगाना है। इसका मतलब है कि वे हमें जलन वाले भोजन का सेवन करने से रोकने वाले हैं। जब टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स कैप्साइसिन के जरिये सक्रिय होता है, तो हमें जो अनुभूति होती है, वह पानी के क्वथनांक के आसपास, कुछ गर्म होने की भावना से जुड़ी होती है।

हालांकि, यह दर्द हमारे भ्रमित तंत्रिका रिसेप्टर्स के एक भ्रामक दुष्प्रभाव से ज्यादा कुछ नहीं है। मसालेदार भोजन के बारे में वास्तव में ‘‘हॉट’’ कुछ भी नहीं है। सभी मिर्च समान नहीं होती आप जो मिर्च खा रहे हैं उसके हिसाब से तीखापन अलग-अलग होता है। फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने 1912 में मिर्च के तीखेपन को मापने के लिए एक पैमाना बनाया। स्कोविल हीट यूनिट्स (एसएचयू) में मापा गया यह पैमाना मिर्च खाने वाले लोगों द्वारा अनुभव की जाने वाली कैप्साइसिनोइड संवेदनशीलता पर आधारित है।

मानक स्कोविल पैमाने पर कैरोलिना मिर्च (एसएचयू जीरो के साथ) सबसे नीचे है। जलपीनो मिर्च 2,500 से 10,000 तक कहीं भी हो सकती है। तुलनात्मक रूप से, टबैस्को मिर्च 25,000 से 50,000 इकाइयों के बीच होती है, और हैबनेरोस मिर्च 100,000 से 350,000 के बीच होती है। दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कैरोलिना रीपर का तीखापन 22 लाख यूनिट तक हो सकता है। बीयर स्प्रे (दो प्रतिशत कैप्साइसिन) का तीखापन 33 लाख यूनिट और शुद्ध कैप्साइसिन स्कोविल का तीखापन 16 लाख तक हो सकता है।

मनोवैज्ञानिक पॉल ब्लूम ने लिखा है: ‘‘दार्शनिकों ने अक्सर मनुष्यों की परिभाषित विशेषता- भाषा, तर्कसंगतता, संस्कृति आदि की तलाश की। मैं इसके साथ रहूंगा: मनुष्य एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसे टबैस्को सॉस पसंद है।’’ ब्लूम सही थे। एक भी प्राणी ऐसा नहीं है जो मिर्च का आनंद लेता है, लेकिन हम मिर्च खाने वाले प्राणियों की एकमात्र प्रजाति नहीं हैं। चूहे और गिलहरी की तरह स्तनधारी वही मसालेदार भोजन रिसेप्टर्स साझा करते हैं जो मनुष्यों के पास होते हैं, और वे खाद्य स्रोतों के रूप में तीखी मिर्च से बचते हैं।

पक्षी मिर्च खाते हैं-लेकिन वे असल में तीखापन महसूस नहीं कर सकते। पक्षियों के पास मनुष्यों से अलग रिसेप्टर्स होते हैं और वे कैप्साइसिन के प्रभावों को दर्ज करने में जैविक रूप से असमर्थ होते हैं। कैप्साइसिन के विकास का कारण बताना इतना आसान नहीं है। कुछ लोगों का तर्क है कि मिर्च खाने के प्रति कुछ पक्षियों का अनुकूलन है। चूहा-गिलहरी की तरह पक्षी बीजों को चबाते या पचाते नहीं हैं, और वे उन्हें बहुत दूर ले जाते हैं।

जलन कम करना चीनी की एक पर्याप्त मात्रा वाले पेय पदार्थ मदद कर सकते हैं क्योंकि मिठास के स्वाद को सक्रिय करना मूल रूप से हमारे मस्तिष्क को भ्रमित करता है। बहुत अधिक उत्तेजना अंतत: मिर्च के तीखेपन को कम कर देगी। एक गिलास दूध, कुछ चम्मच दही या आइसक्रीम से भी जलन तुरंत कम हो जाती है। तो अगली बार जब आप कोई हॉट सॉस या चटपटा व्यंजन चखना चाहें तो एक गिलास दूध ऑर्डर करना न भूलें।

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