बीजू जनता दल (बीजद) को 2009 के बाद से उपचुनाव में इस महीने की शुरुआत में पहली हार मिलने के बाद ओडिशा में पदमपुर विधानसभा सीट पर पांच दिसंबर को होने वाला उपचुनाव सत्तारूढ़ पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का मामला बन गया है। धामनगर उपचुनाव में छह नवंबर को मिली जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली पार्टी से यह ग्रामीण सीट हथियाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। कांग्रेस को भी इस बार जीत का भरोसा है और वह किसानों के मुद्दों को लेकर भाजपा तथा बीजद दोनों पर निशाने साध रही है।
मतदाताओं को लुभाने के लिए तीना प्रमुख दल पदमपुर के किसानों के मुद्दे उठा रहे हैं जहां 82 प्रतिशत आबादी कृषक समुदाय से आती है। ‘‘अपर्याप्त’’ न्यूनतम समर्थन मूल्य, केंदु पत्ते तोड़ने वालों की ‘‘कम’’ मजदूरी, धान की खरीद में ‘‘कुप्रबंधन’’, फसल बीमा के दावों के निपटारे में ‘‘देरी’’ और सूखाग्रस्त किसानों के लिए सब्सिडी का भुगतान किसानों के प्रमुख मुद्दे हैं। नेता मौजूदा बारगढ़ से अलग कर पदमपुर जिला बनाने की मांग और स्थानीय युवाओं के पलायन के मुद्दे भी उठा रहे हैं। केंद्र पर ओडिशा के लोगों की मांग को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधने के लिए पदमपुर से गुजरने वाली बारगढ़-नुआपाड़ा रेल परियोजना ‘‘रोकने’’ का मुद्दा उठाया जबकि भाजपा ने आरोप लगाया कि नवीन पटनायक सरकार के ‘‘सहयोग न करने’’ के कारण यह प्रस्तावित योजना लागू नहीं की जा सकी।
बीजद के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह उपचुनाव हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम हाल में तटीय धामनगर सीट पर उपचुनाव हारे हैं। पार्टी 2024 के आम चुनाव से पहले एक और हार बर्दाश्त नहीं कर सकती।’’ बीजद ने इस सीट पर विधायक रहे बिजय रंजन सिंह बरिहा की बड़ी बेटी बर्षा सिंह बरिहा को उम्मीदवार बनाया है। उनके पिता के निधन के बाद ही इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ रहा है। वहीं, भाजपा ने पार्टी की ओडिशा इकाई के कृषक मोर्चा के प्रमुख प्रदीप पुरोहित को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने सत्य भूषण साहू को प्रत्याशी बनाया है जो पहले तीन बार इस सीट पर जीत चुके हैं।
भाजपा और बीजद दोनों प्रचार अभियान में अपने आदिवासी नेताओं को शामिल कर रहे हैं क्योंकि इस सीट पर आदिवासी समुदाय के वोट अहम हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र के 2.57 लाख से अधिक मतदाताओं की 29 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। तीनों प्रमुख दल प्रवासी कामगारों को लुभाने की कड़ी मशक्कत कर रहे हैं और उनके लिए योजनाएं लाने का वादा कर रहे हैं ताकि उन्हें अपने पैतृक स्थानों पर ही आजीविका के अवसर मिल सकें।
After first defeat in odisha by election winning padampur seat is question of bjds reputation
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