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हाटी समुदाय की मांग पूरी करने के बाद भाजपा को आगामी चुनावों में कितना मिलेगा फायदा

हाटी समुदाय की मांग पूरी करने के बाद भाजपा को आगामी चुनावों में कितना मिलेगा फायदा

हाटी समुदाय की मांग पूरी करने के बाद भाजपा को आगामी चुनावों में कितना मिलेगा फायदा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है। यह विधेयक हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लिए है। इस विधेयक के मुताबिक, अब हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिया जाएगा। पीएम मोदी की सरकार ने उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के भी कुछ समुदाय को एसटी एक्ट में शामिल किया है। मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक कदम से आने वाले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को काफी फायदा मिल सकता है। आइये जान लेते है कि मोदी सरकार द्वारा एसटी एक्ट में शामिल करने वाले हाटी समुदाय के बारे में और भाजपा पार्टी को इससे मिलने वाले फायदे के बारे में।
 

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हाटी समुदाय: हिमाचल प्रदेश
हाटी समुदाय हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में रहता है। इस समुदाय के लोग 1967 से खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 1967 में उत्तराखंड के जौनसार बावर के हाटी समुदाय को 'अनुसूचित जनजाति' की सूची में शामिल किया गया था। दोनों राज्यों में यह समुदाय गिरि और टोंस नदियों द्वारा विभाजित है। लेकिन उनकी परंपराएं समान हैं। हाटी एक घनिष्ठ समुदाय है। कस्बों में "हाट" नामक छोटे बाजारों में घर में उगाई गई सब्जियां, फसल, मांस और ऊन आदि बेचने की उनकी विशेष परंपरा के कारण उन्हें यह नाम दिया गया है। ये समुदाय दोबारा खबरों में इसलिए बनी हुई है क्योंकि हाल ही में केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र के हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने पर विचार कर रही थी। हाटी समुदाय के पुरूष पारंपरिक रूप से सफेद टोपी पहना करते हैं। 
 
जानकारी के लिए बता दें कि 1814 में जौनसार बावर के अलग होने तक हिमाचल प्रदेश के ट्रांस-गिरी क्षेत्र और उत्तराखंड के जौनसार बावर में रहने वाले हाटी कभी सिरमौर की शाही संपत्ति का हिस्सा थे। हाटियों को खुम्बली नामक एक पारंपरिक परिषद द्वारा शासित किया जाता है, जो हरियाणा के खाप की तरह सामुदायिक मामलों को तय करती है। सिरमौर और शिमला क्षेत्रों में लगभग नौ विधानसभा सीटों पर उनकी अच्छी उपस्थिति है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश की कुल जनजातीय जनसंख्या 3,92,126 है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 5.7% है।
 
क्या थी उनकी मांगें?
जनजातीय स्थिति:
वे 1967 से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, जब उत्तराखंड के जौनसार बावर में रहने वाले लोगों को आदिवासी का दर्जा दिया गया था, जिसकी सीमा सिरमौर जिले से लगती है।
 

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क्या भाजपा को मिलेगा फायदा?
केन्द्र सरकार द्वारा हाटी समुदाय को एससी एक्ट का दर्जा देने के बाद अब ये माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को इससे काफी फायदा मिल सकता है। बता दें कि हाटी समुदाय सिरमौर जिले के चार विधानसभा क्षेत्र में रहता है। ये चार विधानसभा क्षेत्र है- शिलाई, पावटा साहिब, रेणुका और पच्छाद। केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए इस फैसले से ट्रांस गिरी क्षेत्र की 154 पंचायतों की करीब तीन लाख जनसंख्या लाभान्वित हो जाएगी। अब इन चार सीटों पर भाजपा को काफी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बता दें कि इस फैसले से विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदे के साथ-साथ चुनाव परिणाम में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इन सीटों के अलावा 9 और सीटें है जो चुनाव के तौर पर काफी अहम माने जा रहे है। इस आगामी चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने हाटी समुदाय की करीब 50 साल पुरानी मांग को पूरी कर दी है जिसके कारण भाजपा को काफी फायदा पहुंच सकता है। 
 
बता दें कि साल 2009 में भाजपा ने पहली बार विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में हाटी समुदाय को एससी एक्ट की मांग को मान्यता देने को लेकर शामिल किया था। भाजपा ऐसा करने वाली पहली पार्टी बनी। अपने घोषणापत्र में हाटी समुदाय की मांग को शामिल करने के बाद भाजपा पार्टी को काफी फायदा पहुंचा था और इसके बाद बीजेपी कई बार इस मुद्दे को लेकर सामने आई। फिर साल 2014 में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सिरमौर के नाहन में एक रैली के दौरान हाटी को एसटी का दर्जा देने का वादा किया था। 

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