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कश्मीर में फ़ारसी भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहत लगाई गई अनूठी प्रदर्शनी

कश्मीर में फ़ारसी भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहत लगाई गई अनूठी प्रदर्शनी

कश्मीर में फ़ारसी भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहत लगाई गई अनूठी प्रदर्शनी

कश्मीर में फ़ारसी भाषा को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के तहत हाल ही में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इंफोटेक कश्मीर और हेल्प फाउंडेशन की ओर से संयुक्त रूप से किये गये इस आयोजन में 20वीं सदी के प्रसिद्ध फारसी लेखक और कवि ख्वाजा मुहम्मद अमीन दरब की दुर्लभ पांडुलिपियों के अलावा कश्मीरी संस्कृति से जुड़ी महत्वपूर्ण चीजें प्रदर्शित की गयी थीं। इस प्रदर्शनी में ख्वाजा मुहम्मद अमीन दरब द्वारा लिखित 11 पुस्तकों सहित लगभग 73 दुर्लभ पांडुलिपियों को प्रदर्शन के लिए रखा गया।

हम आपको बता दें कि इतिहास में उल्लेख मिलता है कि 14वीं से 19वीं शताब्दी तक कश्मीर में प्रशासन की भाषा के रूप में फारसी को महत्व दिया गया और उस समय तमाम लेखन फारसी में लिखे गए। इसलिए ईरान उपक्षेत्र कहे जाने वाले कश्मीर में इस अनूठी प्रदर्शनी का आयोजन अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है।

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इस प्रदर्शनी में नील आर्मस्ट्रांग के चंद्र अवतरण का कालक्रम तो प्रदर्शित किया ही गया साथ ही 1923 में राजगद्दी पर बैठने पर डोगरा महाराजा हरि सिंह को श्रीनगर के व्यापारियों का बधाई संदेश भी दर्शाया गया है। इस प्रदर्शनी के संयोजक सलीम बेग का कहना है कि इन दुर्लभ पांडुलिपियों को जन-जन तक पहुँचाया जाना चाहिए ताकि नई पीढ़ी इस महान इतिहास से परिचित हो सके और उस पर गर्व कर सके। इस प्रदर्शनी के दौरान एक कार्यशाला का भी आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कार्यशाला के समापन पर प्रभासाक्षी से बातचीत करते हुए छात्रों ने कहा कि फारसी भाषा के बारे में हमें जानकर बहुत अच्छा लगा और कई नई चीजें पता लगीं।

Art exhibition on persian language in kashmir

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