FIFA World Cup 2022 में दिखा एशियाई टीमों का दम, बदला टूर्नामेंट का रुख
फीफा विश्व कप 2022 का आयोजन इस बार कतर में किया जा रहा है जो बेहद खास है। इस बार संभावना लग रही है कि फीफा विश्व कप विजेता कोई एशियाई टीम बन सकती है। 20 नवंबर से शुरू हुए फीफा विश्व कप का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है।
इस टूर्नामेंट में जापान और दक्षिण कोरिया जैसी टीमें भी नॉकआउट में जगह बनाने में कामयाब रही है। इन दोनों टीमों के अलावा कोई अन्य एशियाई टीम ग्रुप स्टेज की परीक्षा को पार करने में सफलता हासिल नहीं कर सकी है। इस वर्ल्ड कप के दूसरे दिन ही सऊदी अरब की टीम ने बड़ा उलटफेर करते हुए अर्जेंटीना की टीम को 2-1 से मात दी थी। वहीं जर्मनी की टी भी जापान के हाथों हार का स्वाद चख चुकी है। इस फीफा विश्व कप के दौरान ग्रुप स्टेज में एशियाई टीमों का प्रदर्शन भी दमदार रहा है।
इस बार ईरान की टीम ग्रुप बी का हिस्सा थी, जहां इंग्लैड के खिलाफ पहले मैच में टीम ने छह गोल किए थे। इसके अगले मैच में ईरान की टीम मजबूती से खेलते हुए वेल्स की टीम को हराने में सफल रही थी। वहीं ग्रुप सी में सऊदी अरब की टीम ने अर्जेंटीना की टीम को 2-1 से मात दी थी। टूर्नामेंट का ये सबसे बड़े उलटफेर में से एक था। वहीं जापान ने पहली मैच में जर्मनी और स्पेन को मात दी है। वहीं ग्रुप एच में दक्षिण कोरिया ने पुर्तगाल को हराया था। कतर के अलावा एशियाई देशों का प्रदर्शन भी काफी हैरान करने वाला रहा है। इस टूर्नामेंट में दो पूर्वी देशों का सामना एशियाई देशों से है।
फुटबॉल विश्लेषकों के मुताबिक मौजूदा हालात में इस नतीजे असंभव माना जा रहा है। मगर ऐसा ही खेल दिखता रहा तो आने वाले वर्षों में ये स्थिति भी काफी सामान्य लगने लगेगी। फुटबॉल में एशियाई टीमों को अगर किसी बड़े देश से हार का सामना करना पड़ेगा तो ये भी बड़ी बात हो सकती है। इसके पीछे एशियाई देशों में हुई प्रगति का भी खास रोल रहा है।
दरअसल पिछले कुछ वर्षों में एशियाई देशों ने तकनीकी रूप से काफी प्रगति की है। इसमें जापान, कोरिया जैसे देशों का नाम सबसे ऊपर आता है। एशिया के कई देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। इन देशों में फुटबॉलरों को जमीनी स्तर से ऊपर लाने का काम भी तेजी से चल रहा है। वर्षों तक ट्रेनिंग मिलने के बाद खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में शामिल किया जा रहा है। ऐसे में कई फुटबॉल खिलाड़ियों को तैयार किया जा रहा है। सत्तर के दशक के बाद जापान ने फुटबॉल में समय के साथ साथ काफी प्रगति की है। जापान के कोच रह चुके ब्राजील के दिग्गज जिको ने ही जापान में घरेलू फुटबॉल के परिदृश्य को बदल दिया है।
जापान में फुटबॉल संघ में लंबे समय तक काम किया और आज इसका परिणाम फीफा विश्व कप के दौरान टीम के प्रदर्शन से देखने को मिल रहा है। बता दें कि वो एफसी गोवा को भी कोचिंग दे चुके है। उनका मकसद फुटबॉल कल्चर को बदलना था। जापान की टीम छह विदेशी लीगों में खेल चुकी है तभी जर्मनी और स्पेन को हराने में टीम को सफलता मिली है। जापान की टीम के दो गोल स्कोरर खिलाड़ी रित्सु जोन और ताकुमा असानो जर्मनी की घरेलू लीग में लंबे समय से खेलते रहे है। वहीं कोरियन टीम के सोन ह्युंग मिन की बात करें तो वो भी ईपीएल क्लब टोटेनहम हॉटस्पर में शामिल है।
कोरियाई टीम के खिलाड़ियों ने भी इस टूर्नामेंट में दिलचस्प प्रदर्शन किया है। कोरियाई फुटबॉलर कई अन्य देशों की टीम के साथ भी खेलते हैं। वहीं जापान के फुटबॉलर ताकुमी मिनामिनो अब लिवरपूल के जरिए फ्रेंच क्लब मोनाको में खेलते हैं। ऐसी ही स्थिति सऊदी अरब की भी है। सऊदी अरब की राष्ट्रीय टीम के 9 फुटबॉल खिलाड़ी अल-हिलाल में खेलते हैं। इतना ही नहीं वर्ल्ड कप से पहले जब बाकी फुटबॉलर क्लब फुटबॉल खेलने में व्यस्त हैं तो सऊदी अरब के फुटबॉलर एक महीने से तैयारी में जुटे हुए हैं।
जापान और कोरिया ऐसी टीमें रही हैं जिन्होंने टूर्नामेंट में कई अवसरों का लाभ लिया है। टीमों ने बड़ी टीमों के खिलाफ छोटे मौकों का भी अच्छे से इस्तेमाल किया है। अर्जेंटीना और जर्मनी के पास भी कई मौके आए थे मगर विरोधी टीमों के खिलाफ इन मौकों को भुना नहीं सके थे। इस टूर्नामेंट में अर्जेंटीना, जर्मनी, स्पेन या पुर्तगाल की टीमों ने सऊदी अरब, जापान, दक्षिण कोरिया जैसी एशियाई टीमों को हल्के में लिया है।
Asian teams showed strength in fifa world cup 2022 and changed tournament direction