उत्तर प्रदेश के विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी को जवाबी पत्र लिखकर कहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। इससे पहले चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आजम खान के मामले में ‘त्वरित न्याय’ की मंशा पर सवाल उठाए थे। विधानसभा अध्यक्ष का यह पत्र शुक्रवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ।
हालांकि, इस संदर्भ में महाना से बातचीत नहीं हो सकी, लेकिन विधानसभा सूत्रों ने पत्र की पुष्टि की है। चौधरी ने आजम खान की विधानसभा सदस्यता निरस्त किये जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके ‘त्वरित न्याय की मंशा’ पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या सत्ताधारी दल और विपक्ष के विधायक के लिए कानून की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है? जयंत चौधरी द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को 29 अक्टूबर को लिखे पत्र की प्रति मंगलवार को रालोद ने मीडिया के लिए जारी की थी।
शुक्रवार को सोशल मीडिया के जरिये सामने आये पत्र में महाना ने जयंत चौधरी को जवाब दिया है कि अध्यक्ष के स्तर पर मेरे द्वारा किसी सदस्य को न्यायालय द्वारा दंडित करने की स्थिति मेंसदस्यता रद्द किये जाने का निर्णय नहीं लिया जाता है। पत्र में उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक याचिका पर जुलाई 2013 में आये फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि सदन के किसी सदस्य को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा आठ (3) के अन्तर्गत किसी भी न्यायालय द्वारा दंडित किये जाने पर उसकी सदस्यता निर्णय के दिनांक से स्वतः: समाप्त मानी जाएगी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी निर्णय में यह भी अवधारित किया गया है कि लोक प्रतिनिधित्व 1951 की धारा आठ (4) के अंतर्गत अपील करने के आधार पर ऐसे सदस्य को कोई लाभ प्राप्त नहीं होगा।’’ पत्र में कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष की इस विषय में कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने जयंत चौधरी द्वारा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)के विधायक विक्रम सैनी और आजम खान के संदर्भ में दोहरा मापदंड अपनाने के लगाए आरोप पर कहा, ‘‘यह कहना विधिक रूप से उपयुक्त नहीं है कि विक्रम सिंह सैनी के संदर्भ में मेरे द्वारा कोई निर्णय लिया जाना अपेक्षित है।इसी प्रकार मोहम्मद आजम खान की सदस्यता रद्द करने के संदर्भ में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। अत: मेरे स्तर से इस पूरे प्रकरण में कोई भेदभाव किये जाने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता है। विधानसभा अध्यक्ष के सामने आये पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जहां तक विधान सभा सचिवालय द्वारा किसी माननीय सदस्य को न्यायालय द्वारा दंडित किए जाने के पश्चात रिक्ति घोषित करने का प्रश्न है, यह कार्यवाही निर्णय की प्रति प्राप्त होने के पश्चात सचिवालय द्वारा की जाती है। मेरे द्वारा विक्रम सिंह सैनी के संबंध में विधान सभा सचिवालय को विधि संगत कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये जा चुके हैं।’’
उन्होंने कहा है कि उपयुक्त होता यदि आप प्रस्तुत प्रकरण में मेरा ध्यान आकर्षित करने से पूर्व सही स्थिति ज्ञात कर लेते। गौरतलब है कि भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाये जाने के एक दिन बाद पिछले शुक्रवार को आजम खान की उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विधानसभा सचिवालय ने रामपुर सदर विधानसभा सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने सपा नेता आजम खां को भड़काऊ भाषण देने के मामले में 27 अक्टूबर को दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।
Assembly speaker said i have no role in canceling membership of azam khan
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