नई क्षमताओं का विकास होने से भारत के टायर उद्योग का कुल कारोबार अगले तीन साल में एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। उद्योग संगठन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटीएमए) ने बुधवार को यह अनुमान लगाया। उद्योग ने नई क्षमता के निर्माण और उत्पादन को बढ़ाने के लिए बीते तीन वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एटीएमए ने एक बयान में कहा, ‘‘अगले कुछ वर्षों तक हमारी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी।उसमें बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नई क्षमताओं का भी आने वर्षों में विकास होगा।’’
आर्थिक गतिविधियों में तेजी और अवसंरचना विकास पर जोर को देखते हुए मांग और मजबूत होने की उम्मीद है। एटीएमए ने कहा, ‘‘नई क्षमता उद्योग को अगले तीन साल में कारोबार को बढ़ाकर एक लाख करोड़ रुपये का करने में मदद करेगी। अभी मौजूदा कारोबार 75,000 करोड़ रुपये है।’’ संगठन के चेयरमैन सतीश शर्मा ने कहा, ‘‘चुनौतीपूर्ण समय में, सभी प्रमुख टायर श्रेणियों में निवेश किया गया है। वाहन क्षेत्र के अलग-अलग खंडों का आकार भी महामारी-पूर्व के स्तर तक पहुंच चुका है या पहुंच रहा है और इससे टायर की मांग बढ़ रही है।’’ शर्मा कहा कि भारत में नीति और नियामकीय माहौल भी उद्योग में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुराने वाहनों को चलन से बाहर करना और 15 साल पुराने सरकारी वाहनों के पंजीयन का नवीकरण नहीं होने से नए वाहनों की मांग पैदा होगी जिससे टायर समेत संबंधित क्षेत्रों को लाभ मिलेगा और आर्थिक वृद्धि की गति भी बढ़ेगी।
Atma said indian tire industry to be worth rs 1 lakh crore in next three years
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