भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस साल मई से नीतिगत रेपो दर में की गई बढ़ोतरी के साथ ही सभी प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी बाहरी बेंचमार्क आधारित ऋण दरों (ईबीएलआर) को क्रमिक रूप से 1.9 प्रतिशत बढ़ाया है। हालांकि, जमा दरों को बढ़ाने के मामले में इन बैंकों की रफ्तार धीमी रही है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए मई से अब तक चार चरणों में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कुल 1.9 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ब्याज दरों के संबंध में विचार करने के लिए अगले महीने की शुरुआत में फिर से बैठक करेगी।
माना जा रहा है कि इस बैठक में एमपीसी एक बार फिर रेपो दर को बढ़ाने का फैसला कर सकती है। आरबीआई के एक लेख के अनुसार, बैंकों ने मई, 2022 से अक्टूबर, 2022 के अंत तक ईबीएलआर में 1.9 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसके अलावा, बैंकों ने मई से अक्टूबर 2022 तक कोष की सीमांत लागत आधारित त्रण दर (एमसीएलआर) में 0.85 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। यह वृद्धि एक साल की एमसीएलआर के लिए हुई है। हालांकि, इसके मुकाबले बैंकों ने सावधि जमा पर ब्याज दरों में काफी कम बढ़ोतरी की। मई से अक्टूबर, 2022 तक नई जमाओं पर औसत सावधि जमा दरों में 0.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बैंकों ने खुदरा जमा दरों की तुलना में अपनी थोक जमा दरों में अधिक वृद्धि की है।
Banks increase eblr by 19 percent with increase in repo rate
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