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भजनलाल के पोते ने विरासती गढ़ बचाया, दादा के बाद ‘भव्य’ जीत दर्ज कर पहली बार आदमपुर में कमल खिलाया

भजनलाल के पोते ने विरासती गढ़ बचाया, दादा के बाद ‘भव्य’ जीत दर्ज कर पहली बार आदमपुर में कमल खिलाया

भजनलाल के पोते ने विरासती गढ़ बचाया, दादा के बाद ‘भव्य’ जीत दर्ज कर पहली बार आदमपुर में कमल खिलाया

किसी दौर में ये कहा जाता था- हरियाणा के तीन लाल, देवी लाल, बंसी लाल, भजन लाल, हालांकि ये तीनों लाल अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन अपने वक्त में इन तीनों ने हरियाणी की राजनीति की तस्वीर बदल दी थी। अब इनके परिवार इनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। एक दौर था जब हरियाणा की राजनीति में भजनलाल के परिवार की तूती बोलती थी। भजनलाल 9 बार विधायक और तीन बार सीएम रहे। अब भजनलाल के परिवार की तीसरी पीढ़ी सियासत की नई सीढियों को चढ़ने के लिए तैयार है। हम आदमपुर उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले भव्य बिश्नोई के बारे में बात कर रहे हैं। 

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आदमपुर में क्यों हुए उपचुनाव
हरियाणा की आदमपुर सीट से रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार भव्य बिश्नोई ने जीत हासिल की है। बिश्नोई भाजपा नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे हैं जिन्होंने अगस्त में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट छोड़ दी थी। भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई के पिता भाजपा के कुलदीप बिश्नोई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह पीएम मोदी की नीतियों की, सीएम खट्टर की कार्यशैली की, आदमपुर के चौधरी भजनलाल परिवार के भरोसे की जीत है. मैं आदमपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने एक बार फिर हम पर भरोसा किया। भव्य बिश्नोई ने आदमपुर उपचुनाव में 15,740 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। ये जीत अपने आप में बहुत खास है क्योंकि इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार की तीसरी पीढ़ी के नेता का राजनीति में उदय होने जा रहा है। बीजेपी भी पहली बार आदमपुर में भगवा लहराने में कामयाब हो  गई। हिसार की आदमपुर सीट पर भाजपा का कमल खिल गया है। 54 साल के इतिहास में पहली बार भाजपा ने यह सीट जीती।

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हरियाणा की राजनीति में भजनलाल के परिवार की तूती बोलती थी
1980 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले भजन लाल सीएम बनते ही कांग्रेस के खेमे में चले गए थे। साल 2005 में कांग्रेस ने भजनलाल को साइड करके सीएम का पद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंपा। ये भजनलाला के लिए एक बड़ा झटका था। वो कांग्रेस के खिलाफ हो गए। 2007 में हरियाणा जनहित कांग्रेस की उन्होंने नींव रखी। जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर भजन लाल सत्ता तक पहुंचे। सेंटर ऑफ पावर के तौर पर भी रहे। लेकिन बाद में जननेता के तौर पर वो नहीं उभर पाए। भजनलाल ने बड़े बेटे चंद्रमोहन की जगह छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को आगे बढ़ाया। वो तीन बार विधायक और दो  बार सांसद रहे। 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई का कद बढ़ गया और वो खुद को सीएम प्रोजेक्ट करने लगे। उसी वक्त उनके खेमे के छह में से पांच विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थामकर उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को भारी नुकसान हुआ। जिसके बाद 2016 में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस के हाथ को थाम लिया। अब बारी थी भजनलाल की तीसरी पीढ़ी यानी कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य की राजनीति में एंट्री की। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। 

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कौन हैं भव्य बिश्नोई
भव्य ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस लंदन से बैचलर ऑफ साइंस इन गवर्नमेंट एंड इकोनॉमिक्स, हावर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस इन कंटेम्परेरी इंडिया की पढ़ाई की है। भव्य बिश्नोई ने 2019 में कांग्रेस की टिकट पर हिसार लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें वो तीसरे स्थान पर रहे थे। 
 

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