सौराष्ट्र की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला शहर है भावनगर
गुजरात के भावनगर शहर को तालाबों और मंदिरों का घर भी कहा जाता है। गुजरात के पश्चिम भाग में स्थित इस शहर की स्थापना सन् 1743 में भावसिंहजी गोहिल द्वारा की गयी थी। इतिहास में उल्लेख मिलता है कि उनके पूर्वज राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र से यहाँ आए थे। उस समय यह एक फलता-फूलता बंदरगाह था। भावनगर लगभग दो शताब्दी तक बड़ा बन्दरगाह बना रहा और यहाँ से अफ्रीका, मोजांबिक, जंजीबार, सिंगापुर और खाड़ी के देशों के साथ व्यापार चलता था। अब तो घोंघा और अलंग बंदरगाह पर जहाज़ तोड़ने का बहुत बड़ा उद्योग विकसित हो चुका है जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यह शहर 1947 तक एक रियासत की राजधानी था जिसका बाद में भारतीय संघ में विलय हो गया था।
भावनगर का विक्टोरिया पार्क पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है माना जाता है। इसके अलावा पर्यटकों के लिए शत्रुंजय हिल पर स्थित जैन मंदिर पलिताना और वेलवदर अभ्यारण्य है। दरबारगढ़ (शाही निवास) भावनगर के मध्य में स्थित है। बताया जाता है कि भावनगर के शासकों ने मोतीबाग़ और नीलमबाग़ महल को अपना स्थाई निवास बनाया था। यहां गाँधी स्मृति संग्रहालय है जहां गांधीजी से संबंधित पुस्तकें और गांधीजी के फोटो देखे जा सकते हैं। यहाँ पर सौराष्ट्र की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाली सामग्री का अच्छा-खासा संग्रह है। इसके अलावा भावनगर में बर्टन पुस्तकालय और तक्तेश्वर मंदिर भी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
भावनगर देश का एक महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक एवं औद्योगिक केंद्र भी है क्योंकि यहाँ कताई और बुनाई मिलें हैं। इसके अलावा यहाँ धातु-शिल्प, टाइल व ईंट बनाने के कारख़ाने, लोहे का ढलाईख़ाना और रासायानिक संयंत्र भी हैं। यहाँ केंद्रीय लवण एवं समुद्री रसायन शोध संस्थान भी है। इसके अलावा बंदरगाह पर स्थित लॉक गेट पूरे एशिया में अनोखा माना जाता है। साथ ही भावनगर में पढ़ाई के अनेकों अच्छे और बड़े संस्थान हैं जिनमें पढ़ाई के लिए देशभर से छात्र आते हैं।
भावनगर आने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि यह शहर देश के अन्य भागों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा गुजरात राज्य परिवहन की बसें और प्राइवेटबसें इस शहर को गुजरात के अन्य शहरों से जोड़ती हैं।
-प्रीटी
Bhavnagar is the city representing the culture of saurashtra