नयी दिल्ली। कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) की समाधान प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंचने के साथ ही बोलीकर्ताओं ने ‘चुनौती व्यवस्था’ लाए जाने समेत निविदा प्रक्रिया से जुड़े कई बिंदुओं पर चिंताएं जताई हैं। सूत्रों के मुताबिक, ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) की तरफ से बोली प्रक्रिया में एक नया खंड ‘चुनौती व्यवस्था’ लाए जाने के फैसले ने बोलीदाताओं को परेशान कर दिया है। इस व्यवस्था के तहत कर्जदाताओं को किसी भी समाधान योजना का मनचाहे ढंग से विरोध करने की अधिकार दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि बोलीदाता निविदा प्रक्रिया के अंतिम चरण में आकर इस नए खंड को लाए जाने पर चिंतित हैं। उनका मानना है कि ‘समाधान योजना के लिए अनुरोध’ (आरएफआरपी) के दस्तावेज में इस व्यवस्था का कोई उल्लेख नहीं किया गया था। आरसीएल ने सभी बोलीदाताओं को दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प के तहत कंपनियां रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) और उसकी आठ अनुषंगी कंपनियां या क्लस्टर के लिए समेकित रूप से बोली लगा सकती हैं। वहीं दूसरे विकल्प के तहत आरसीएल की अपनी अनुषंगी कंपनियों के लिए अलग से बोली लगाने की छूट दी गई थी।
आरसीएल के मातहत आठ कारोबार संचालित किए जाते रहे हैं जिनमें सामान्य बीमा, जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, प्रतिभूति व्यवसाय और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण शामिल हैं। लेकिन बोली प्रक्रिया के अंतिम चरण में आकर चुनौती व्यवस्था का प्रावधान करने से नाराज हिंदुजा, ओकट्री और टॉरेंट जैसे बोलीदाताओं ने गंभीर सवाल उठाए हैं। इसके अलावा ऋणदाताओं की तरफ से इस नए खंड की रूपरेखा को अभी तक परिभाषित नहीं किए जाने से भी बोलीदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बनी है। दूसरी तरफ रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी (आरजीआईसी) के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों ने इसके शेयरों को लेकर चिंता जताई है। सूत्रों के मुताबिक, आरजीआईसी के शेयर कर्जदाताओं के कब्जे में न होकर फिलहाल आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज (आईटीएसएल) के पास हैं।
अक्टूबर की शुरुआत में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने आरसीएल की समाधान प्रक्रिया की समयसीमा को तीसरी बार बढ़ाते हुए 31 जनवरी, 2023 तक कर दिया। पहले यह समयसीमा एक नवंबर को ही खत्म होने वाली थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 29 नवंबर, 2021 को कर्ज भुगतान में चूक और कंपनी परिचालन से जुड़े गंभीर मुद्दों को देखते हुए आरसीएल के निदेशक मंडल को बर्खास्त कर दिया था। इसके साथ ही दिवाला प्रक्रिया के संचालन के लिए वाई नागेश्वर राव को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया गया था।
Bidders of reliance capital worried about introduction of a new provision in the tender
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero