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अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का बिल कर्नाटक विधानसभा में पेश

अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का बिल कर्नाटक विधानसभा में पेश

अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने का बिल कर्नाटक विधानसभा में पेश

कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए आरक्षण बढ़ाने के अध्यादेश के स्थान पर मंगलवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया। कर्नाटक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (राज्य के अधीन शैक्षणिक संस्थाओं में सीट और सेवाओं में नियुक्तियों या पदों का आरक्षण) विधेयक, 2022 समान शीर्षक वाले अध्यादेश की जगह लेगा। इस अध्यादेश के माध्यम से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए तीन प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत कर दिया गया है।

यह अध्यादेश 23 अक्टूबर को जारी किया गया था। राज्य मंत्रिमंडल ने आठ अक्टूबर को एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाने के लिए अपनी औपचारिक मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मुताबिक चूंकि मामला अत्यावश्यक था और राज्य विधानमंडल के दोनों सदन सत्र में नहीं थे, इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए 23 अक्टूबर की अधिसूचना के तहत अध्यादेश जारी किया गया था। इस अध्यादेश के सभी प्रावधान एक नवंबर से प्रभावी हो गए। इस विधेयक का उद्देश्य उक्त अध्यादेश को प्रतिस्थापित करना है।

एससी/एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने का निर्णय कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिशों के बाद लिया गया था। विपक्षी दलों को इस विधेयक को लेकर सरकार की मंशा के बारे में संदेह है, क्योंकि आरक्षण में बढ़ोतरी 1992 के इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन होगी। आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि के फैसले को संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत खरा उतरना होगा।

यह विधेयक कर्नाटक में आरक्षण को 56 प्रतिशत तक ले जाता है। विपक्षी दल सरकार से सवाल कर रहे हैं कि वे इसे कैसे लागू करेंगे। इससे पहले दिन में विपक्ष के नेता सिद्दारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस ने अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के समक्ष सदन में प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण वृद्धि के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए स्थगन प्रस्ताव की अपील की। सिद्दारमैया ने कहा कि सरकार का कदम राजनीति से प्रेरित था और इसमें उत्पीड़ित वर्गों के लिए कोई वास्तविक चिंता नहीं है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने संसद में आरक्षण के मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा था कि आरक्षण को 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं बढ़ाया जा सकता। सिद्दारमैया ने कहा, ‘‘ हम आरक्षण बढ़ाने के खिलाफ नहीं हैं, हम इसके समर्थन में हैं, लेकिन एक संवैधानिक संशोधन होना चाहिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए आरक्षण वृद्धि को नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा किए बिना अध्यादेश जारी कर दिया गया, जो वैध और लागू करने योग्य नहीं है। इसलिए इस पर चर्चा की जरूरत है।

Bill to increase reservation for sc

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