मोरबी के नायक के दम पर सीट बचाना चाहेगी बीजेपी, पुल हादसे के बाद समीकरण बदलने के आसार
कच्छ जिले के अंतर्गत आने वाली मोरबी विधानसभा सीट कई वर्षों से भाजपा के गढ़ वाली सीट रही है। इस सीट पर वर्ष 1980 से 2020 तक कुल 10 चुनाव हुए हैं जिनमें से सात में भाजपा का कब्जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस सिर्फ दो बार चुनाव जीती है, जिसमें वर्ष 1980 और 2017 की जीत शामिल है। इस सीट पर वर्ष 2020 में उपचुनाव हुए थे जिसमें भाजपा ने वापसी की थी। मान जा रहा है कि इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।
मोरबी में 31 अक्टूबर को हुए पुल हादसे के बाद ये चुनाव काफी अहम रोल अदा कर सकता है। घटना के बाद जनता किस सोच के साथ मतदान करेगी ये काफी दिलचस्प रहेगा। गुजरात की इस सीट पर वर्ष 2017 में कांग्रेस नेता ब्रिजेस मेरजा ने जीत हासिल की थी। उन्हें 89,396 वोट मिले थे जबकि भाजपा के अमृतिया कांतीलाल शीवलाल को 85,977 वोट मिले थे। इस सीट पर 2020 में उपचुनाव हुए थे, जहां कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।
ये उम्मीदवार हैं मैदान में
बता दें कि इस सीट पर मोरबी पुल हादसे के बाद स्थानीय लोगों का रुख वर्तमान प्रशासन से उखड़ा हुआ है। वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी नेता बृजेश मेरजा के पास है। वो गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री भी है। इस बार बीजेपी ने कांतिलाल अमृतिया को चुनाव मैदान में उतारा है, जो पांच बार के पूर्व बीजेपी विधायक है। ये वो ही नेता है जिन्होंने मोरबी पुल ढहने के पीड़ितों को बचाने के लिए मच्छू नदी में छलांग लगाई थी। उनके अलावा आम आदमी पार्टी ने पंकज रनसरिया और कांग्रेस ने जयंतीलाल जेराजभाई पटेल को मैदान में उतारा है।
बीजेपी उम्मीदवार बने थे मोरबी के हीरो
बीजेपी के उम्मीदवार कांतिलाल अमृतिया ने मोरबी पुल हादसे के बाद लोगों को बचाने के लिए मच्छू नदी में छलांग लगा दी थी। उन्होंने नदी में कूदकर कई लोगों की जान बचाई थी। इसके बाद वो मोरबी के हीरो के तौर पर उभरे थे।
जानें मतदाताओं का हाल
इस सीट पर कुल 2,86,686 मतदाता हैं। इनमें से 1,48,695 पुरूष और 1,37,988 महिला मतदाता हैं। ये सभी मतदाता मिलकर मोरबी विधानसभा सीट पर खड़े उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे।
Bjp would like to save the seat of morbi where the equation can change after bridge accident