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‘विधायक खरीद मामला’ सीबीआई को सौंपने के अदालत के आदेश पर भिड़े बीआरएस, भाजपा

‘विधायक खरीद मामला’ सीबीआई को सौंपने के अदालत के आदेश पर भिड़े बीआरएस, भाजपा

‘विधायक खरीद मामला’ सीबीआई को सौंपने के अदालत के आदेश पर भिड़े बीआरएस, भाजपा

तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा “विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला” सीबीआई को स्थानांतरित करने के आदेश को लेकर मंगलवार को राज्य में सत्तारूढ़ बीआरएस पार्टी और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी, जिसकी जांच वर्तमान में राज्य पुलिस का एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा है। उच्च न्यायालय ने एसआईटी और पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच को भी रद्द कर दिया।

अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने आज एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस घटना के बारे में बहुत शोर मचाया है। “विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले” को “फार्महाउस फाइल्स मूवी” करार देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि “फिल्म” केसीआर द्वारा उनकी अपनी पटकथा, निर्देशन और कहानी के साथ निर्मित की गई थी। रेड्डी ने आरोप लगाया, “मामले में कुछ भी नहीं है। यह झूठा मामला है, बिना किसी बात के सनसनी पैदा की जा रही है।”

उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि जब जांच प्रारंभिक चरण में थी तब भी मुख्यमंत्री के पास मामले की वीडियो और ऑडियो फाइलें कैसे आईं और उन्होंने उसे विभिन्न मीडिया घरानों को वितरित किया। उन्होंने सोमवार को बयान में कहा कि राव ने राष्ट्रीय नेताओं को इसमें घसीट कर एक जघन्य अपराध किया है। एक झूठे मामले के लिए जो उनकी कल्पना पर आधारित है। उन्होंने सार्वजनिक धन बर्बाद किया और सरकारी मशीनरी के खुले दुरुपयोग का सहारा लेने के अलावा संस्थानों को कमजोर कर दिया।

उन्होंने कहा कि फैसले को केसीआर जैसे लोगों के लिए एक आंख खोलने वाला काम करना चाहिए जो सत्ता से मद में डुबे होते हैं और सोचते हैं कि वे कुछ भी और सब कुछ कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत राष्ट्र समिति (पूर्व में टीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामाराव ने एक बयान में जानना चाहा कि जब अदालत ने सीबीआई को जांच सौंपी तो भाजपा क्यों खुश है।

केटीआर ने कहा, “अगर आपका इससे कोई लेना-देना नहीं है, तो आपने कई बार अदालतों में इस मामले की जांच को रोकने की कोशिश क्यों की, किशन रेड्डी गारू? अगर केस सीबीआई को सौंपा गया तो आप इतने खुश क्यों हैं? क्या यह इसलिए है क्योंकि मामला एक ऐसे संगठन को सौंप दिया गया है जो आपकी जेब में है?” मामले में तीन लोगों -रामचंद्र भारती उर्फ सतीश शर्मा, नंदू कुमार और सिम्हायाजी स्वामी -को पहले से ही आरोपी (ए1 से ए3) के रूप में नामजद किया गया था।

बीआरएस विधायक पायलट रोहित रेड्डी सहित चार विधायकों ने 26 अक्टूबर को उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। तीनों को तब गिरफ्तार किया गया था जब वे कथित रूप से सत्तारूढ़ बीआरएस के चार विधायकों को भाजपा में शामिल होने के लिए लुभाने की कोशिश कर रहे थे। हाल ही में उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी। तेलंगाना सरकार ने नौ नवंबर को विधायकों की खरीद-फरोख्त के कथित प्रयास की जांच के लिए सात सदस्यीय एसआईटी का गठन करने का आदेश दिया था।

Brs bjp clash over courts order to hand over mla procurement case to cbi

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