हज यात्रा के लिए वीआईपी कोटा खत्म कर मोदी ने मुस्लिमों को बड़ी सौगात दी है
हज जाने वालों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। उसने 2012 से शुरू हुआ हज यात्रियों का वीआईपी कोटा खत्म कर दिया। इस कोटे में पांच हजार सीट सुरक्षित की हुईं थी। कोटे के खत्म हो जाने पर अब हज जाने वालों को पांच हजार सीट और उपलब्ध होंगी। अब वीआईपी कोटे की सीटों को भी आम मुस्लिम को सीधे आवंटित किया जाएगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री स्मृति ईरानी ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, अल्पसंख्यक मंत्री के साथ-साथ हज कमेटी को आवंटित हज यात्रियों के लिए आरक्षित किये गए सभी वीआईपी कोटे को खत्म कर दिया गया है। साल 2012 में 5000 सीटें वीआईपी के लिए आरक्षित की गई थीं।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि हज में वीआईपी कोटा खत्म करने का फैसला हो चुका है। प्रधानमंत्री जी ने अपने कार्यकाल के प्रथम दिन ही वीआईपी कल्चर खत्म करने का संकल्प राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत किया था। स्मृति ईरानी ने कहा, ‘‘हज कमेटी और हज यात्रा को लेकर संप्रग सरकार के समय वीआईपी कल्चर स्थापित किया गया था। इसके अंतर्गत संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों के पास हज का विशेष कोटा होता था।'' उन्होंने बताया, ‘‘अब प्रधानमंत्री जी ने अपना कोटा राष्ट्र को समर्पित किया ताकि इसमें वीआईपी संस्कृति नहीं रहे और आम हिंदुस्तानी को सुविधा मिले। राष्ट्रपति जी, उप राष्ट्रपति और मैं (केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री) स्मृति ईरानी ने भी अपना कोटा छोड़ा है। हमने हज कमेटी से चर्चा की कि आप वीआईपी कल्चर छोड़ दें और कोटा समाप्त कर दें। सभी राज्यों की हज कमेटियों ने इसका समर्थन किया।
उल्लेखनीय है कि ‘वीआईपी कोटे' के तहत राष्ट्रपति के पास 100 हज यात्रियों का कोटा होता था तो प्रधानमंत्री के पास 75, उप राष्ट्रपति के पास 75 और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के पास 50 का कोटा होता था। इसके अतिरिक्त हज कमेटी के सदस्यों/पदाधिकारियों के पास 200 हजयात्रियों का कोटा होता था। ये कोटाधारक अपनी सीट पर अपने नजदीकी, रिश्तेदार, वीआईपी और प्रभावशाली लोगों को भेजते थे। इस कोटे के खत्म हो जाने के बाद ये पांच हजार सीट भी अब आम सिस्टम से आवंटित होंगी। हज के लिए भारत का कोटा करीब दो लाख हजयात्रियों का है।
हज यात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों के लिए ये अच्छी खबर है। भाजपा को अपना विरोधी समझने वाले मुस्लिम समाज के लिए केंद्र की मोदी सरकार का यह अच्छा निर्णय है। यह निर्णय ऐसा है कि विपक्ष भी इसकी आलोचना नहीं कर सकेगा। भले ही तारीफ करने की जगह चुप्पी साध जाए। वह ज्यादा से ज्यादा इतना ही कह सकेगा, कि आगामी चुनाव को देखते हुए राजनैतिक लाभ के लिए यह निर्णय लिया गया है। जाति−धर्म की राजनीति करने वाले आज भी यह कहते रहते हैं कि भाजपा की नीतियां मुस्लिम विरोधी हैं। उसका काम मुस्लिम वोटर को बरगलाकर उनका वोट लेना है, जबकि केंद्र की जनकल्याण की योजना में कहीं ऐसा नहीं है। भारत शासन द्वारा केन्द्रीय वित्त बजट 2018 में आयुष्मान भारत की घोषणा की गई जिसके तहत 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपए प्रतिवर्ष के स्वास्थ्य बीमा कवच से जोड़ा गया। इस योजना का हिंदू−मुस्लिम सभी बराबर लाभ उठा रहे हैं।
लेखक के कई जानकार मुस्लिम ऐसे हैं, जिन्होंने इस योजना का लाभ लिया। एक ने अपनी बाईपास सर्जरी कराई तो दूसरे ने इस योजना में घुटना बदलवाया। प्रधानमंत्री आवास योजना का सभी जाति और धर्म के लोगों को समान लाभ मिल रहा है। कोरोना काल में शुरू हुआ निःशुल्क राशन हिंदू−मुस्लिम को समान रूप से मिल रहा है। निःशुल्क शौचालय ओर निःशुल्क गैस के कनेक्शन में कहीं से भेदभाव की शिकायत नहीं मिली। भ्रष्टाचार जहां समाज में जड़ तक अपनी पैठ बना चुका है, यह इसमें नहीं दिखा, ऐसा दावा नहीं किया जा सकता, किंतु धर्म−जाति देखकर कहीं किसी भेदभाव का पता नहीं चला।
-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
By abolishing vip quota for haj pilgrimage modi has given a big gift to muslims