पिछले दिनों हुए कुछ विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने छह सीट पर उम्मीदवार उतारे थे और चार पर जीत हासिल की है। इस तरह गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूती मिली है। भाजपा ने बिहार में अपने पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार के महागठबंधन को कड़ी चुनौती पेश की है तो ओडिशा में भी बीजू जनता दल (बीजद) के विजय रथ को रोका है। गत तीन नवंबर को छह राज्यों में सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संपन्न हुए जिनमें कांग्रेस को एक पर भी सफलता नहीं मिली।
इनमें हरियाणा की आदमपुर, उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ, ओडिशा की धामनगर, महाराष्ट्र की अंधेरी (पूर्व), तेलंगाना की मुनुगोड़े और बिहार की मोकामा तथा गोपालगंज विधानसभा सीट हैं। रविवार को घोषित इन उपचुनाव के परिणाम में तेलंगाना राष्ट्र समिति मुनुगोडे में जीतने में सफल रही।इस सीट पर हुए उपचुनाव को अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले एक तरह से सेमी-फाइनल के रूप में देखा जा रहा था। तेलंगाना राष्ट्र समिति ने अपनी पहचान क्षेत्रीय दल से राष्ट्रीय दल की बनाने के लिए पिछले दिनों नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) किया है। महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की प्रत्याशी ऋतुजा लटके ने मुंबई की अंधेरी (पूर्व) सीट पर विजय प्राप्त की है। इससे पहले यहां से उनके पति विधायक थे जिनका हाल में निधन हो गया। इस सीट पर भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे।
रोचक बात यह रही कि इस सीट पर दूसरे सर्वाधिक वोट (14.79 प्रतिशत) ‘नोटा’ (इनमें से कोई नहीं) के विकल्प को गये। भाजपा ने कहा है कि तीन नवंबर को हुए उपचुनावों के परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर जनता की मुहर की तरह हैं। पार्टी ने उत्तर प्रदेश में गोला गोकर्णनाथ, ओडिशा में धामनगर तथा बिहार में गोपालगंज सीटों पर विजय हासिल की है। इन सभी सीटों पर दिवंगत विधायकों के परिजनों को खड़ा किया गया था।
हरियाणा में भी आदमपुर सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पौत्र तथा भाजपा उम्मीदवार भव्य बिश्नोई ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को करीब 16,000 मतों के अंतर से हरा दिया। इस सीट पर आम आदमी पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी। भव्य के पिता कुलदीप बिश्नोई ने कुछ दिन पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी और उनके विधानसभा से इस्तीफे के बाद उपचुनाव जरूरी था। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को मोकामा में सफलता मिली है लेकिन उसके उम्मीदवार की जीत का अंतर पहले से कम हो गया है। वहीं पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद के गृह जिले गोपालगंज की इसी नाम वाली विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपना प्रतिनिधित्व कायम रखा है।
जनता दल (यू) ने भाजपा से अलग होकर करीब तीन महीने पहले ही महागठबंधन के तहत बिहार में सरकार बनाई थी जिसके बाद यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पहला शक्ति-परीक्षण था। चुनाव परिणाम के बाद भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा, ‘‘सभी विपक्षी ताकतों के साथ आने के बावजूद लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकासोन्मुखी नेतृत्व पर अपनी मुहर लगा दी है। इससे स्पष्ट है कि बिहार की जनता का विश्वास भाजपा के साथ है।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की गोला गोकर्णनाथ और हरियाणा की आदमपुर सीटों पर भाजपा की जीत उसकी ‘डबल-इंजन’ वाली सरकारों के प्रति जनता के समर्थन को झलकाती है।
गोला गोकर्णनाथ में भाजपा के अमन गिरि ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और समाजवादी प्रत्याशी को 34,000 मतों के अंतर से हराया। अमन के पिता और पार्टी विधायक अरविंद गिरि का छह सितंबर को निधन हो गया था जिसके बाद सीट खाली हुई। ओडिशा की धामनगर सीट पर दिवंगत पूर्व विधायक बिष्णु चरण सेठी के बेटे और भाजपा प्रत्याशी सूर्यबंशी सूरज ने बीजद की अंबाती दास को 9,881 मतों के अंतर से पराजित किया। तेलंगाना में मुनुगोड़े सीट से टीआरएस (अब बीआरएस) उम्मीदवार के. पी. रेड्डी ने भाजपा प्रत्याशी के. राज गोपाल रेड्डी को 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। राज गोपाल रेड्डी ने कांग्रेस छोड़ने के बाद भाजपा के टिकट पर पुन: चुनाव का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
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