Prabhasakshi NewsRoom: China में कोरोना से त्राहिमाम, दवाएं नहीं हैं तो आलू और नींबू लूट रहे हैं लोग
कोरोना वायरस भस्मासुर बनकर अपने ही जनक चीन को भस्म करने में लगा हुआ है। एक तो महामारी, ऊपर से तानाशाही होने से चीनी जनता का इस समय बुरा हाल है। अस्पतालों और मुर्दाघरों में लाइनें लगी हुई हैं। दवाइयों की कमी हो रही है जिससे लोग घरेलू उपाय आजमाने को मजबूर हो रहे हैं। चीन के बाजारों में लोग नींबू और चैरी लूट ले रहे हैं ताकि अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकें। यही नहीं बुखार की दवाएं कम हो जाने से आलू की भी लूट हो रही है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि बच्चों के बुखार को उतारने में आलू का उपयोग किया जा रहा है। दुनिया के सामने मुश्किल यह है कि चीन वायरस के प्रकार और उसके उपचार के लिए उठाये जा रहे कदमों के बारे में दुनिया से जानकारी साझा नहीं कर रहा है जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों को यह तय करने में मुश्किल हो रही है कि यदि कोरोना की यह लहर अन्य देशों में फैली तो कैसे निबटना है। चीन की ओर से जो डाटा साझा किया भी जा रहा है उस पर दुनिया भरोसा नहीं कर रही है क्योंकि चीन ने कोरोना को लेकर हमेशा झूठ ही बोला है।
चीन में कोरोना से बुरा हाल है लेकिन वह कह रहा है कि कोरोना से कोई नहीं मर रहा। इस बीच, चीनी स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन में कोरोना वायरस संक्रमण की एक नई लहर के परिणामस्वरूप कोरोना के नए स्वरूप सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि इस घातक वायरस से निपटने के लिए अधिकारियों को अस्पतालों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क स्थापित करना पड़ेगा। पेकिंग यूनिवर्सिटी फर्स्ट अस्पताल के श्वसन विशेषज्ञ वांग गुआंगफा ने चेतावनी दी कि अगले पखवाड़े में बीजिंग में कोविड-19 के गंभीर मामले बढ़ सकते हैं। वांग ने सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ को बताया कि कि कोरोना संक्रमण की नई लहर से घिरे बीजिंग में चिकित्सा संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अस्पतालों में वायरस से निपटने की सभी तैयारियां करनी चाहिए।’’
हम आपको बता दें कि चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सभी चीनी शहर वर्तमान में अत्यधिक संक्रामक ओमीक्रॉन स्वरूप से प्रभावित हैं, मुख्य रूप से बीए.5.2 और बीएफ.7 तेजी से फैल रहे हैं। बीजिंग में शवदाह गृहों में भीड़ बढ़ने की खबरें सामने आ रही है। आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कई चीनी दवा कंपनियां सर्दी और बुखार की दवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। फिर भी दवाओं की भारी कमी है। इस बीच यह भी खबर है कि चीन जर्मनी से कोरोना वैक्सीन मंगवा रहा है।
उधर, विभिन्न आंकड़ों के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि चीन में सख्त ‘जीरो कोविड नीति’ को वापस लिये जाने के बाद संक्रमण के मामलों में भारी वृद्धि और बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जतायी गयी है। ये आंकड़े अन्य हालिया आंकड़ों से भी मेल खाते हैं, जिनमें ‘द लांसेट’ पत्रिका की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट भी शामिल है। इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन में पाबंदियों में ढील दिये जाने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती हैं। ‘द लांसेट’ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘मौतों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है। यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बुजुर्गों और कमजोर लोगों को कितनी संख्या में कोविड-रोधी टीके लगाये गये हैं।’’
दूसरी ओर, चीन की दादागिरी अब भी जारी है। चीन ने कहा है कि कोविड-19 में “श्वसन प्रणाली के विफल होने” से होने वाली मौतों को ही आधिकारिक आंकड़ों में शामिल किया जाएगा। माना जा रहा है कि कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़े दुनिया से छिपाने के लिए चीन ने यह कदम उठाया है। देखा जाये तो चीन में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिए परोक्ष तौर पर ओमीक्रोन के उपस्वरूप बीएफ.7 को जिम्मेदार बताया जा रहा है। हम आपको बता दें कि बीएफ.7, ओमीक्रोन के स्वरूप बीए.5 का एक उपस्वरूप है और यह काफी संक्रामक है। इसकी ‘इनक्यूबेशन’ अवधि कम है। यह पुन: संक्रमित करने या उन लोगों को भी संक्रमित करने की उच्च क्षमता रखता है, जिनका (कोविड-19) टीकाकरण हो चुका है। जापान, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और चीन में इस वेरिएंट से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है खासतौर पर चीन में तो इस वेरिएंट ने कहर ढाया हुआ है।
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