मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कहा कि मानव ने प्रकृति का शोषण कर प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ दिया है और समझदारी के साथ संसाधनों का दोहन करना ही इस सृष्टि की रक्षा करेगा। उन्होंने तीन दिवसीय ‘सुजलाम कॉन्फ्रेंस’ का उदघाटन करते हुए यह बात कही।उज्जैन में मुख्य सम्मेलन में जल की पवित्रता पर भारतीय और देशज विमर्श तैयार करने तथा इसके वैज्ञानिक पहलुओं को विश्व पटल पर रखने को लेकर चर्चा की जाएगी। मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जो पंच महाभूतों (आकाश, जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी) को समर्पित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सुजलाम कॉन्फ्रेंस’ में जल तत्व के बारे में जो विचार एवं कार्य-योजना बनेगी, उसी पर राज्य सरकार कार्य करेगी। चौहान ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश की धरती पर हमने जल-संरक्षण का प्रयास किया है और विगत वर्षों में 4 लाख से अधिक जल संरचनाएं तैयार की गई हैं। राज्य की जन अभियान परिषद ने 313 नदियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।’’ मुख्यमंत्री ने लोगों से पानी का संतुलित इस्तेमाल करने, इसका संरक्षण करने, जैविक खेती करने और पर्यावरण को बचाने का आह्वान किया।
चौहान ने कहा, ‘‘धरती को बचाना ही होगा, तभी हमारा अस्तित्व बचेगा। पंचभूतों का संतुलन यदि नहीं रहेगा तो धरती का संतुलन बिगड़ जायेगा।’’ इस कार्यक्रम में 313 नदियों से एकत्रित किये गये जल को आम के पेड़ पर अर्पित किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, ‘‘हमारे देश में संतों ने इस सभ्यता को बचाने के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन दे दिया।देश में पेड़-पौधों तक की रक्षा के लिये धर्म का बंधन लगाया गया है।’’ शेखावत ने कहा, ‘‘जिस देश में जल को जगदीश मानने की परम्परा थी, उस देश में आज जल-स्त्रोत सर्वाधिक प्रदूषित हैं। हमें अब इस पर विचार करना चाहिये कि वर्ष 2050 में हम अपने लोगों को अन्न और जल की उपलब्धता कैसे करवायेंगे।’’ शेखावत ने कहा, ‘‘हम सब सौभाग्यशाली हैं कि पंचभूतों की अवधारणा हमारे देश में विकसित हुई।’’ उन्होंने दावा किया कि ‘नमामि गंगे’ अभियान से मात्र 5 वर्षों में सम्पूर्ण गंगा नदी के पानी को स्नान योग्य बना दिया गया है। शेखावत ने कहा कि आने वाले समय में सभी के लिए जल की निर्बाध उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती होगी।
Chouhan said we have disturbed the natural balance by exploiting nature
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