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जनवरी के महीने में मनाया जाता है क्रिसमस, खुद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी लिया हिस्सा

जनवरी के महीने में मनाया जाता है क्रिसमस, खुद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी लिया हिस्सा

जनवरी के महीने में मनाया जाता है क्रिसमस, खुद रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी लिया हिस्सा

देश और दुनिया भर में क्रिसमस का त्योहार 25 दिसंबर को मनाया जाता है। मगर काफी कम लोग जानते हैं कि रूढ़ीवादी ईसाई लोग हर साल 6-7 जनवरी को क्रिसमस का त्योहार मनाते है। यानी पश्चिमी सभ्यता द्वारा क्रिसमस मनाए जाने को दो सप्ताह बाद इस त्योहार को मनाया जाता है।

यूक्रेन, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, रूस और बेलारूस, बोस्निया और हर्जेगोविना के कुछ हिस्सों और मिस्र और इथियोपिया जैसे अफ्रीकी देशों सहित यूरोप के कई देशों में 6 जनवरी को क्रिसमस ईव के तौर पर मनाया गया है। दरअसल अलग अलग कैलेंडरों के कारण इस त्योहार के दिन में ये अंतर आया है। कैथोलिक और रूढ़िवादी ईसाई ईसा मसीह के जन्म को दर्शाने के लिए अलग अलग कैलेंडरों का उपयोग करते हैं।

रूसी राष्ट्रपति ने भी लिया हिस्सा
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मास्को में रूढ़िवादी चर्च में क्रिसमस मास में हिस्सा लिया। पुतिन ने क्रेमलिन कैथेड्रल में अपना क्रिसमस ईव मास आयोजित किया था। यहां उन्होंने रूसी सेना को वापस करने के लिए चर्च के "विशाल, जटिल और वास्तव में निस्वार्थ कार्य" पर आभार व्यक्त किया। एक बयान में कहा कि , "समाज को एकजुट करने, हमारी ऐतिहासिक स्मृति को संरक्षित करने, युवाओं को शिक्षित करने और परिवार की संस्था को मजबूत करने में रूसी रूढ़िवादी चर्च और अन्य ईसाई संप्रदायों के विशाल रचनात्मक योगदान को ध्यान में रखते हुए यह बहुत खुशी की बात है।"

जानें इस क्रिसमस को मनाने का इतिहास
जानकारी के मुताबिक वर्ष 1582 में पोप ग्रेगरी XIII द्वारा पेश किया गया ग्रेगोरियन कैलेंडर आमतौर पर सबसे अधिक उपयोग में लाया जाने वाला कैलेंडर है। इसी कैलेंडर के आधार पर कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाते है। शुरुआत में ये कहा गया था कि कैलेंडर में ईस्टर सबसे महत्वपूर्ण त्योहार होगा। इससे पहले उपयोग होने वाले जूलियन कैलेंडर में ईस्टर आमतौर पर स्प्रिंग के आसापस पड़ता था।

वहीं रूढ़िवादी ईसाईयों ने वर्ष 1923 में ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया था। हालांकि कुछ ग्रीक ऑर्थोडॉक्स और यूक्रेन के ईसाई आज भी जूलियन कैलेंडर का ही उपयोग करते है। बता दें कि जूलियन कैलेंडर एक सौर कैलेंडर है जो 46 ईसा पूर्व में जूलियस सीजर द्वारा लागू किया गया था। ये कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से पूरे 13 दिन बाद पूरा होता है।

माना जाता है कि दो सप्ताह का अंतर एक गलत गणना के आधार पर हुआ था। पहली बार जूनियन कैलेंडर तैयार हुआ था, इसके बाद सदियों बीतने के साथ सौर वर्ष के साथ इसका अंतर बढ़ा है। माना जा रहा है कि वर्ष 2100 तक रूढिवादी क्रिसमस का त्योहार 6-7 की जगह आठ जनवरी को मनाया जाएगा।

ऐसे मनाते हैं रूढ़िवादी क्रिसमस
रूढ़िवादी क्रिसमस का त्योहार 6 जनवरी से शुरू होात है। इसे पूर्वी यूरोपीय ईसाई पारंपरिक तौर से मनाते है। परंपरा के मुताबिक तब तक उपवास किया जाता है जब तक रात में आकाश में पहला तारा ना दिख जाए। तारा देखने को ही यीशु के जन्म का प्रतीक माना जाता है। तारा दिखने के बाद मसीह का जन्म हुआ कहकर अभिवादन किया जाता है।

कहा जाता है कि यीशू के जन्म के बाद तीन बुद्धिमान पुरुषों का भी जन्म हुआ था। बता दें कि रूढ़िवादी क्रिसमस ईव के मौके पर पारंपरिक खाना खाते हैं। इसमें मांस और शराब का सेवन नहीं किया जाता है। इस दौरान कुल 12 व्यंजन बनाए जाते है। कई जगहों पर कुटिया नामक डिश बनाई जाती है जिसे गेहूं, खसखस, किशमिश, अखरोट और शहद मिलाकर बनाया जाता है। क्रिसमस के दिन के दोपहर के भोजन में विभिन्न प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं।

बता दें कि क्रिसमस की शुरुआत सात जनवरी को हुई। कुछ रूढ़िवादी ईसाई क्रिसमस की पूर्व संध्या पर आधी रात को सामूहिक रूप से जाना पसंद करते हैं। बता दें कि पश्चिमी क्रिस्मस के विपरीत, रूढ़िवादी परंपरा में उपहार देने की प्रथा नहीं है। रूढ़िवादी ईसाई आमतौर पर 19 दिसंबर, सेंट निकोलस डे या 31 दिसंबर को नए साल की पूर्व संध्या पर उपहार देते हैं। अधिकांश पूर्वी यूरोप में, नए साल की पूर्व संध्या पर उपहारों का आदान-प्रदान करने का रिवाज है।

यूरोप के रूढ़िवादी ईसाई देशों में, ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग दिन-प्रतिदिन के जीवन में किया जाता है। वहीं त्योहारों को यहां जूलियन कैलेंडर के मुताबिक ही मनाया जाता है। जूलियन कैलेंडर के अनुसार, नया साल 13 से 14 जनवरी के बीच होता है, जिसमें 19 जनवरी को एपिफेनी का दिन होता है।

वहीं पश्चिमी बाल्कन में रूढ़िवादी ईसाई क्रिसमस की पूर्व संध्या को एक ओक के पेड़ के एक हिस्से को काटने के लिए जंगल में जाकर चिह्नित करते हैं, जिसे आमतौर पर "बदनजक" कहा जाता है। इसे घर लाया जाता है और इसमें आग लगाई जाती है। इसकी पत्तियों वाली शाखा को सजावट के लिए उपयोग किया जाता है। जानकारी के मुताबिक यूक्रेन में 6 और 19 जनवरी के बीच "वर्टेप" का आयोजन होता है जो मुख्य तौर से एक कठपुतली थियेटर है जो सड़क पर प्रदर्शन करते है। 

Christmas is celebrated in the month of january russian president putin himself participated

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