नयी दिल्ली। जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंता के बीच कोयला को अच्छा ईंधन स्रोत नहीं माना जा रहा है क्योंकि जीवाश्म ईंधन से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में इसकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि यूक्रेन-रूस युद्ध ने वैश्विक स्तर पर पैदा हुए ऊर्जा संकट से इस साल कोयले का इस्तेमाल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। भारत कोयले की खपत में वैश्विक वृद्धि के लिहाज से सबसे आगे रहा। तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि के कारण देश ने सबसे आसानी से उपलब्ध कोयले का रुख किया। भारत दुनिया में ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इस साल कोयले की खपत और उत्पादन के रुझान से संकेत मिलता है कि नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लक्ष्य के बावजूद यहां कोयले की उपयोगिता आगे भी बनी रहेगी।
भारत में कोयले की खपत 2007 के बाद से छह प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी है और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का अनुमान है कि इस साल वैश्विक स्तर पर ईंधन की मांग में सबसे बड़ी वृद्धि भारत से हुई। वृद्धि के लिहाज से यह आंकड़ा करीब सात प्रतिशत या सात करोड़ टन था। देश में बिजली क्षेत्र कोयले पर अत्यधिक निर्भर है और कोयले की मांग बढ़ने में सबसे अधिक योगदान इसी क्षेत्र का है। भारत की कुल बिजली मांग में कोयला-आधारित बिजली उत्पादन की हिस्सेदारी 73 प्रतिशत है और निकट भविष्य में भी इसके बिजली का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बने रहने का अनुमान है। आईईए को उम्मीद है कि वर्ष 2025 में भारत की कोयले की मांग बढ़कर 122 करोड़ टन हो जाएगी जिसमें से 92 प्रतिशत हिस्सा बिजली उत्पादन में जाएगा।
बिजली की मांग भी सात फीसदी की दर से बढ़ रही है। सरकार भी घरेलू स्तर पर कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है ताकि गर्मियों में कोयला की किल्लत की स्थिति से बचा जा सके। वर्ष 2021 में कोयले का उत्पादन पहली बार 80 करोड़ टन तक पहुंचा था और 2025 तक इसके बढ़कर एक अरब तक टन से अधिक हो जाने का अनुमान है। कोयला मंत्रालय अगले वित्त वर्ष में देश के कोयला उत्पादन को एक अरब टन तक बढ़ाने की योजना बना रहा है और इसका लक्ष्य आने वाले वर्ष 2023 में उच्चतम उत्पादन और प्रेषण को हासिल करना है। मंत्रालय नए साल में कोयला गैसीकरण के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करने का भी इरादा रखता है।
कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पीटीआई-के साथ बातचीत में कहा कि एक अरब टन का कोयला उत्पादन विभिन्न स्रोतों से आएगा, जिसमें सरकारी स्वामित्व वाली सीआईएल, वाणिज्यिक खदानें और कैप्टिव कोयला ब्लॉक शामिल हैं। जोशी ने कहा, जहां तक कोयले का सवाल है, हम चाहते हैं कि कोयले का सबसे ज्यादा उत्पादन और प्रेषण हो। देश में कोयले का कुल उत्पादन एक अरब टन होगा। जोशी ने कहा कि सरकार खनन अधिनियम में कुछ और संशोधन करना चाहती है, जो संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग में रखे जा सकते हैं। इसके अलावा मंत्रालय की वित्त वर्ष 2024-25 में 500 खनिज ब्लॉकों को बेचने की भी योजना है।
Coal utility to remain despite indias ambitious renewable energy goals
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