संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन (सीओपी15) में देशों द्वारा प्रकृति की रक्षा के लिए समझौता किए जाने के बीच एक याचिका में 2030 तक कम से कम 50 प्रतिशत भूमि व जल संरक्षण के लिए अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने का आह्वान किया गया है। दुनिया भर के करीब 32 लाख नागरिकों ने इस याचिका का समर्थन किया है। कनाडा में सीओपी15 जैव विविधता सम्मेलन में शिरकत करने वाले 196 देशों में से भारत सहित अधिकतर देशों ने 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि व जल की रक्षा के लक्ष्य का समर्थन किया है।
हालांकि इस पर अंतिम फैसला 19 दिसंबर को होगा। गैर सरकारी संगठन ‘आवाज’ के अभियान संबंधी मामलों के निदेशक ऑस्कर सोरिया ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ अगर हमारी सरकारें स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों के क्षेत्रीय, भूमि व जल संबंधी अधिकारों को पहचानें..तो हम पहले से ही ग्रह के 30 प्रतिशत संरक्षण से आगे निकल चुके हैं।’’ सोरिया ने कहा, ‘‘ वे वास्तव में जैव विविधता का संरक्षण करने वाले हैं। अब धरती के आधे से अधिक हिस्से का लक्ष्य रखने का प्रयास करने का समय है। कोई भी अन्य लक्ष्य रखने से जंगल खतरे में पड़ जाएंगे और प्रकृति के साथ हमारे संबंधों के पुनर्निर्माण के लिए भी काफी नहीं होंगे।’’
हालांकि ‘कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी (सीबीडी) पोस्ट-2020 ओपन एंडेड वर्किंग ग्रुप’ के सह-अध्यक्ष बेसिल वैन हार्वे का मानना है कि ऐसे लक्ष्य नहीं रखे जाने चाहिए जिन्हें हासिल न किया जा सके। हार्वे ने कहा, ‘‘ निश्चित रूप से विज्ञान बहुत स्पष्ट है, 30 प्रतिशत (लक्ष्य) न्यूनतम हैं, हालांकि मेरा मेरा मानना है कि 30 प्रतिशत तक पहुंचने में काफी मशक्कत लगेगी। ऐसे लक्ष्य न रखें जो हम आठ साल में भी हासिल न कर पाएं।’’
इससे पहले सम्मेलन में भारत की नुमाइंदगी कर रहे राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के सचिव जे. जस्टिन मोहन ने कहा था कि भारत का करीब 27 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है और वह 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि व जल की रक्षा के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकता है। भाषा (यह खबर ‘इंटरन्यूज अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क’ द्वारा आयोजित 2022 सीबीडी सीओपी 15 फैलोशिप के हिस्से के रूप में जारी की गई है।
Cop 15 petition to target 50 percent land and water conservation by 2030
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero