कांग्रेस और डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी (डीएपी) ने उन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है, जो घाटी में लक्षित हत्याओं के बाद अपना तबादला जम्मू किए जाने की मांग कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद की अगुवाई वाली डीएपी ने यहां राहत आयुक्त दफ्तर में बीते 215 दिनों से धरने पर बैठे कर्मियों से संपर्क किया और उन्हें अपना पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया। डीएपी नेता आर एस चिब और जीएम सरूरी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उपराज्यपाल के प्रशासन की “इस गंभीर मानवीय मुद्दे’ पर उदासीन रवैया अपनाने के लिए आलोचना की। भाजपा नीत केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए नेताओं ने कहा कि उसे कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।
चिब ने पत्रकारों से कहा, “ कश्मीरी पंडितों को जम्मू में प्रदर्शन करते हुए कई महीने हो गए हैं। मगर सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है। सरकार कब तक उनकी वास्तविक मांगों के प्रति असंवेदनशील रह सकती है?” उन्होंने कहा कि डीएपी के संस्थापक और अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर समुदाय के पुनर्वास के लिए काम करने का संकल्प लिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीरालाल पंडित के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल धरना स्थल गया। उसने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घाटी से स्थानांतरित करने की मांग का जोरदार समर्थन किया।
हीरालाल ने कहा, “ हम नहीं चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जाए। एक तरफ आतंकवादी उनके खिलाफ ‘हिट लिस्ट’ जारी करते हैं, दूसरी तरफ प्रशासन उनका वेतन रोक देता है।” कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के नेता योगेश पंडित ने कहा कि सरकार ने उनकी परेशानियों के प्रति आंखें मूंद ली हैं। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नौकरी पर रखे गए प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने अपना प्रदर्शन प्रशासन की ओर से तनख्वाह रोके जाने के बाद तेज़ कर दिया है।
Dap and congress support the protesting kashmiri pandit employees
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