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सीडीएस जैसे पद पर नियुक्ति में नौ माह की देरी उचित नहीं थी

सीडीएस जैसे पद पर नियुक्ति में नौ माह की देरी उचित नहीं थी

सीडीएस जैसे पद पर नियुक्ति में नौ माह की देरी उचित नहीं थी

भारत सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल चौहान को अगले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया है। वह भारत सरकार के सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति में नौ माह लग गए जबकि यह उसी समय हो जानी चाहिए थी जब यह पद खाली हुआ था। नौ माह में देश ने सीडीएस की कमी को बहुत महसूस किया। फिर भी देर आयद दुरुस्त आएद। आगे ये व्यवस्था तैयार रहनी चाहिए कि सेना से जुड़ा ये महत्वपूर्ण पद इस तरह से खाली न रह पाए।

पहले सीडीएस रहे जनरल बिपिन रावत का एक हैलिकाप्टर दुर्घटना में दिसंबर 21 में निधन हो गया था। तब से नौ माह से यह पद खाली था। वे लगभग दो साल तक इस पद पर रहे। केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों सेनाओं में समन्वय के लिए सीडीएस पद की शुरुआत की थी। सीडीएस बिपिन रावत ने एक जनवरी 2020 को रक्षा प्रमुख का पद संभाला था। आठ दिसंबर 2021 को एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया था। तब से यह पद खाली था। नौ माह का समय देश के लिए बड़ा महत्वपूर्ण था। चीन की सेना लद्दाख सीमा पर सीना ताने हमारे सामने खड़ी है। पाकिस्तान की दुश्मनी कभी भुलाई नहीं जा सकती। ऐसे में नौ  माह यदि हमारे पास सीडीएस होता तो रक्षा क्षेत्र में देश और ज्यादा मजबूत होता।

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सरकार को चाहिए कि तीनों सेनाओं से योग्य व्यक्ति लेकर तीन सहायक सीडीएस चुने। अलग−अलग थल, वायु और जल सेना से होने के कारण इनको अपने–अपने क्षेत्र के बारे में विस्तार से जानकारी होगी। ये तीनों सीडीएस का उनकी योजना बनाने, रणनीति तैयार करने में मदद करें। सेना के लिए आधुनिक प्रशिक्षण और जरूरत के लिए शस्त्र खरीदने के बारे में योजना बनवाएं। तीनों अपने-अपने सेना प्रमुख के सीधे संपर्क में रहकर उनकी जरूरत और उनकी दी जानकारी सीडीएस को उपलब्ध कराने और नई रणनीति बनाने में सहयोग करें। यदि पद खाली हो तो वह वरिष्ठता के आधार पर उस पर कार्यवाहक सीडीएस के रूप में काम करने लगें। बाद में सरकार चाहे तो अलग से सीडीएस नियुक्त कर लें। सरकार को अब इसके लिए तैयार रहना होगा। ये ध्यान रखना होगा कि आगे से ऐसा न हो पाए।

-अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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