Delhi MCD Elections 2022: 60 ड्रोन के साए में चुनाव, 40 हजार पुलिसकर्मी तैनात, 2 करोड़ लोगों के लिए काम करने वाले नगर निगम का इतिहास आपको पता है?
4 दिसंबर यानी रविवार के दिन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव हैं। 4 दिसंबर सिर्फ एक और वीकेंड हॉलिडे नहीं होगा, बल्कि दिल्ली का भविष्य भी तय होगा। मूल रूप से अप्रैल-मई 2022 के लिए निर्धारित इन चुनावों को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि केंद्र सरकार ने वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 करने का फैसला किया था। पिछले कुछ महीनों से एमसीडी के पास कोई निर्वाचित पार्षद नहीं था, जिससे लोग स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए संपर्क कर सकें। दिल्ली, एक ऐतिहासिक और आधुनिक शहर होने के नाते रहने और काम करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में गिना जाता था। हालाँकि, हाल के दिनों में, दिल्ली 'स्वच्छ संकेतक' में पिछड़ गया है। दिल्ली के लैंडफिल और सामान्य अस्वास्थ्यकर स्थितियां, आवारा जानवर, बिना रखरखाव वाले पार्क और उपमार्ग न केवल आगंतुकों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं बल्कि इसके 2 करोड़ निवासियों के लिए एक अस्वास्थ्यकर-असभ्य वातावरण भी बनाते हैं।
रविवार को शहर के सभी थोक व फुटकर बाजार बंद रहेंगे
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि एमसीडी चुनाव के मद्देनजर दिल्ली के सभी थोक और खुदरा बाजार 4 दिसंबर को बंद रहेंगे। राज्य चुनाव आयुक्त विजय देव ने 4 नवंबर को एमसीडी चुनाव के तारीखों की घोषणा की. उसी दिन से राष्ट्रीय राजधानी में आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गई। निकाय चुनाव के दिन सभी लाइनों पर दिल्ली मेट्रो ट्रेन सेवाएं सभी टर्मिनल स्टेशनों से सुबह 4 बजे शुरू होंगी।
एमसीडी चुनाव में 1.45 करोड़ मतदाता वोटिंग के लिए तैयार
दिल्ली में रविवार को होने वाले उच्च-दांव वाले निकाय चुनावों के लिए मंच तैयार है, चुनाव अधिकारियों और सुरक्षा बलों ने चुनावों के लिए कमर कस ली है, जिसे आम तौर पर आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच तीन-तरफ़ा मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है। इनमें से 78 लाख 93 हजार 418 पुरूष मतदाता, 66 लाख 10 हजार 879 महिला मतदाता और 1061 ट्रांसजेंडर मतदाता की संख्या है।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
दिल्ली नगर निगम चुनाव को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए रविवार को करीब 40,000 पुलिस कर्मियों, 20,000 होमगार्डों के साथ-साथ अर्धसैनिक और राज्य सशस्त्र पुलिस बलों की 108 कंपनियों को तैनात किया जाएगा। 250 वार्डों में होने वाले निकाय चुनाव में पुलिस का ध्यान बढ़ती दृश्यता, सांप्रदायिक भड़कने की संभावना को रोकने और अवैध तरीकों से मतदाताओं को लुभाने से रोकने पर होगा। संवेदनशील क्षेत्रों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 60 ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। सुरक्षा व्यवस्था के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, बटालियन बल और होमगार्ड के लिए एक सामान्य ब्रीफिंग और पूर्वाभ्यास आयोजित किया गया है।
दिल्ली नगर निगम से जुड़ी बड़ी बातें
दिल्ली नगर निगम विश्व के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है।
दिल्ली नगर निगम 2 करोड़ लोगों के लिए काम करता है, जो श्रीलंका देश की आबादी के बराबर है।
दिल्ली नगगर निगम का एरिया 1397 वर्ग किलोमीटर का है।
दिल्ली नगर निगम का 2022-23 का बजट 15,276 करोड़ रुपये है।
अभी नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, जिसमें 42 सीटें एससी समाज के लिए आरक्षित हैं।
2017 नगर निगम चुनाव के नतीजे
उत्तरी दिल्ली (104 सीट)
बीजेपी | कांग्रेस | आप | अन्य |
64 | 16 | 21 | 03 |
दक्षिणी दिल्ली (104 सीट)
बीजेपी | कांग्रेस | आप | अन्य |
70 | 12 | 16 | 06 |
पूर्वी दिल्ली (64 सीट)
बीजेपी | कांग्रेस | आप | अन्य |
47 | 03 | 12 | 02 |
एमसीडी का इतिहास
1863 से पहले दिल्ली में स्वायत्त शासन का कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है। हालाँकि, 1862 में नगर पालिका अस्तित्व में थी। नगर पालिका की पहली आम बैठक 23 अप्रैल, 1863 को आम लोगों के साथ हुई थी। हालाँकि, स्वतंत्र भारत में भारतीय संसद में एक अधिनियम पारित किया गया था और एमसीडी आधिकारिक तौर पर 7 अप्रैल, 1958 को स्थापित किया गया था। 1971 से पहले संयुक्त जल और सीवरेज बोर्ड, दिल्ली राज्य बिजली बोर्ड और दिल्ली सड़क परिवहन प्राधिकरण भी एमसीडी का हिस्सा थे। लेकिन, नवंबर 1971 के बाद दिल्ली में परिवहन संस्थान को एमसीडी से अलग कर दिया गया और एक सड़क परिवहन निगम का गठन किया गया। 1993 से पहले कई सालों तक दिल्ली इसी स्थिति में नगर निगम के माध्यम से ही चलती थी। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 लाया गया जिससे नगर निगम का गठन हुआ। फिर सितंबर 1966 में दिल्ली प्रशासन अधिनियम, 1966 के तहत विधानसभा को दिल्ली महानगर परिषद द्वारा 56 निर्वाचित और पांच मनोनीत सदस्यों के साथ बदल दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल इसके प्रमुख थे। परिषद के पास कोई विधायी शक्तियां नहीं थीं, केवल दिल्ली के शासन में एक सलाहकार की भूमिका थी। इसने 1990 तक कार्य किया। 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम के माध्यम से विधानसभा एवं मंत्री-परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए।
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