दिव्यांग अधिकारों पर अपना ध्यान केंद्रित करने वाले जलवायु कार्यकर्ताओं ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में एक बड़ी जीत हासिल की। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को कॉप (सीओपी) भी कहा जाता है। कॉप-27 सम्मेलन के आयोजक संयुक्त राष्ट्र सचिवालय ने उन्हें एक अलग समूह (कॉकस) के रूप में मान्यता दी और उन्हें आधिकारिक दर्जा प्राप्त हो गया। उनका कहना है कि यह कार्यवाही में आधिकारिक रूप से शामिल होने के लिए वर्षों से किए जा रहे प्रयासों के परिणाम था।
इसका इस सप्ताह और आने वाले समय में खासा असर होगा। कॉकस के किसी सदस्य को सम्मेलन के पूर्ण सत्र में उपस्थित लोगों को दिव्यांगता समावेशन के बारे में संबोधित करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा समूह के एकत्र होने के लिए एक आधिकारिक स्थान होगा। सम्मेलन के आयोजकों तक समूह के सदस्यों की अधिक पहुंच होगी जिससे वे विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों, वार्ताकारों, दिव्यांगता अधिकार संगठनों सहित अन्य उपस्थित लोगों से आसानी से संपर्क कर सकेंगे।
न्यूजीलैंड के एक दिव्यांग जलवायु कार्यकर्ता केरा शेरवुड-ओ रीगन के अनुसार इस वर्ष आयोजन स्थल पर दो बदलाव किए गए हैं, ताकि दिव्यांग लोगों को वहां पहुंचने में सहूलियत हो सके। ऐसे लोगों को जिन्हें चलने-फिरने में समस्या है, वे एक अलग पंक्ति के जरिए सम्मेलन स्थल तक जा सकते हैं। इससे उन्हें लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इमारतों में अधिक ‘रैंप’ बनाए गए हैं। समूह के एक सदस्य जेसन बोबर्ग ने कहा कि इसके बाद भी सम्मेलन के आयोजक यह सुनिश्चित करने के लिए और भी बहुत कुछ कर सकते हैं कि कार्यवाही तक सभी लोगों की पहुंच सुगम हो। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु कार्रवाई में दिव्यांग समुदायों को शामिल किए जाने के मद्दे पर जोर देने में बोबर्ग प्रमुख रहे हैं।
Divyang people got separate group status in cop 27 conference
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