यही कोई दस से ग्यारह साल उमर रही होगी उस लडके की जो रिक्शान पर बैठ अपनी हाथों में माइक को थामे झुग्गी-झोपड़ियों के चक्कर लगाता हुआ दस-ग्यारह साल का लड़का रिक्शे में बैठकर ''हमारे बाबा साहेब चले गए, हमारे बाबा साहेब चले गए...'' दोहरा रहा था। उसके रुंधे हुए गले से निकल रही इस बात को सुनकर लोग सहम गए। आखिर इस ह्दय विदारक खबर पर विश्वास करें तो करें कैसे? शुरुआत में इस खबर को फौरी अफवाह मान लोग उस लड़के को गाली देकर मारने के लिए दौड़ने लगे। साथ ही धमकाते हुए कहा कि कि अगर खबर झूठी निकली तो उसे जिंदा नहीं बख्शा जाएगा। यह घटना नागपुर में उस वक्त हुई जब बाबासाहेब अंबेडकर के महापरिनिर्वाण की खबर हवा की तरह फैल रही थी।
उस वक्त के 10-11 साल के दामू मोरे अब 87 साल के हो गए हैं। हर साल महापरिनिर्वाण दिवस आने के बाद दामू मोरे आज भी उस दिन को याद कर परेशान हो जाते हैं। यह दुखद समाचार हमें बताना ही होगा, उनके दिलों में दर्द आज भी कायम है। उनका पैतृक व्यवसाय नागपुर में प्रसिद्ध मोर साउंड सर्विस है। भाई अंबेडकरी आंदोलन से निकटता से जुड़े थे। आंदोलन के स्थानीय नेता उनके पास आते-जाते रहते थे। 6 दिसंबर, 1956 को बाबासाहेब का दिल्ली में निधन हो गया। नागपुर में कुछ नेताओं को इसकी भनक लग गई। कुछ लोग इस जानकारी को लोगों तक पहुंचाने के लिए मोरे आए। एक छोटा दामू भी था। बाबासाहेब के देहांत की खबर सुनते ही उनके चाचा के लिए संभलना मुश्किल हो गया। उसने यह जिम्मेदारी दामू पर डाल दी।
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