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किसानों को जागरूक करने के लिए निकलेगी ड्रोन यात्रा

किसानों को जागरूक करने के लिए निकलेगी ड्रोन यात्रा

किसानों को जागरूक करने के लिए निकलेगी ड्रोन यात्रा

खेती की लागत को कम करने तथा किसानों को ड्रोन जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाने के लिए जागरूक करने के मकसद से देश की एक प्रमुख ड्रोन निर्माता कंपनी पंजाब से ‘ड्रोन यात्रा’ शुरू करने जा रही है। यह यात्रा दिसंबर से जनवरी माह तक देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की जाएगी। यह यात्रा देश की अग्रणी ड्रोन निर्माता कंपनी आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन प्रा. लि. द्वारा शुरू की जा रही है। इससे पहले कंपनी ने अन्य सहायक नामी-गिरामी कृषि रसायन कंपनियों एवं सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर देशभर में 25,000 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी।

अब वह पुन: जल्द इस यात्रा को शुरू करने जा रही है, जो खेती के कामकाज में ड्रोन के उपयोग और उसके फायदे से अवगत कराने की मुहिम के रूप में होगी। इस यात्रा के जनवरी के अंत तक चलने की संभावना है। आयोटेकवर्ल्ड के निदेशक एवं सह संस्थापक- दीपक भारद्वाज और अनूप उपाध्याय ने पीटीआई-को बताया, ‘‘इस यात्रा का मकसद किसानों को खेती के कामकाज में ड्रोन के जरिये खाद, कीटनाशक के समुचित छिड़काव और बीजों के छिड़काव जैसे आसान तरीकों और इससे लागत में कमी लाने जैसे फायदों के प्रति जागरूक करना है।’’ ड्रोन से खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए कृषि एवं नागर विमानन मंत्रालय इस दिशा में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।

वहीं केंद्र सरकार ने कृषि कार्यो में ड्रोन के उपयोग को बढ़ाने के मकसद से ड्रोन के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत 2022-23 से 2023-24 के दौरान खर्च के लिए 120 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है। इस योजना का लाभ लेने वाली कंपनियों के लिए कुछ अर्हता निर्धारित की गई है। इनमें से कुछ शर्तें हैं कि उनका न्यूनतम वार्षिक कारोबार दो करोड़ रुपये का हो और वह कंपनी ड्रोन तथा उसके कलपुर्जों का निर्माण भारत में करती हो। उन्होंने कहा कि कंपनी ने इस मकसद से जो ड्रोन बनाया है उसका नाम ‘एग्रीबॉट ड्रोन’ है जो ‘मशीन लर्निंग’ या कृत्रिम मेधा (एआई) के उपयोग से किसानों की लागत में काफी कमी लाने में सक्षम है।

यह ड्रोन कृत्रिम मेधा तकनीक की मदद से खेत के किसी खास हिस्से में जितने कीटनाशक और दवाओं के छिड़काव की जरूरत होगी, उसी निर्धारित मात्रा में छिड़काव करेगा। इससे मिट्टी की गुणवत्ता दुरुस्त रखने और फसल में कीटनाशकों व दवाओं के अवशेष को कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से किसानों की उपज बढ़ेगी और उनके समय व लागत में भारी कमी आयेगी। इसके अलावा ड्रोन का कृषि कामकाज में उपयोग बढ़ने से कृषि का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान तीन प्रतिशत बढ़ सकता है।

राजधानी राजधानी क्षेत्र गुरुग्राम मुख्यालय वाली इस स्टार्टअप कंपनी के निदेशक भारद्वाज ने बताया कि फिलहाल कंपनी देश के 14 राज्यों में अपने व्यवसाय और सेवाओं का परिचालन कर रही है और उसका लक्ष्य पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का है। इन 14 राज्यों में महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश शामिल हैं। खेती के काम में उपयोग होने वाले छोटे ड्रोन का वजन 25 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए। इसी के मद्देनजर इस ड्रोन का वजन 14.5किलो रखा गया है। ड्रोन के नीचे लगे बक्से में 10 लीटर तक कीटनाशक या दवाओं का लदान संभव है और यह बीजों का छिड़काव भी कर सकता है। ड्रोन की मदद से एक एकड़ खेत में कीटनाशक या दवाओं का छिड़काव सात मिनट में किया जा सकता है।

Drone trip will be taken out to make farmers aware

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