‘सब कुछ प्रतिबंधित है’, ईरानी मौलवी ने देश के इस्लामी शासन के विरोध का किया समर्थन
इस्लामी धर्मतंत्र से प्रेरित देश के सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रदर्शनकारियों के समर्थन में अब्दुलहामिद इस्माइल-ज़ई नामक ईरानी सुन्नी मौलवी का भी समर्थन मिला है। अब्दुलहामिद (75) एक प्रसिद्ध मुस्लिम मौलवी हैं, जिनका देश की बलूच आबादी पर आध्यात्मिक और राजनीतिक प्रभाव है। उन्होंने देश के बलूच दक्षिणपूर्व में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के मद्देनजर ईरानी शासन पर निशाना साधा है। बलूच क्षेत्र के कई शहरों में शासन के बंदूकधारियों द्वारा कम से कम 18 निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या किए जाने के एक सप्ताह बाद अब्दोलहामिद ने खुलासा किया कि शासन के अंदरूनी लोगों ने मृतकों के परिवारों को शांत रहने के लिए पैसे की पेशकश की। लेकिन उन्होंने मना कर दिया, उन्होंने कहा। इसके बजाय वे न्याय चाहते हैं।
अब्दोलहामिद ने कहा कि इस्लामिक गणराज्य में हमें आजादी नहीं है। आज़ादी कहाँ है? कहां है प्रेस की आजादी? कहां है अभिव्यक्ति की आजादी? सब कुछ सेंसर है। सब कुछ प्रतिबंधित है। ईरान में अधिकांश लोगों को आपत्ति है और इसलिए शासन के नेताओं को उनकी बात सुननी चाहिए। 22 वर्षीय ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद सितंबर में ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। कथित तौर पर महिलाओं के लिए इस्लामिक ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में नैतिकता पुलिस द्वारा तेहरान में गिरफ्तारी के तीन दिन बाद महसा की कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी।
ईरान की रिवोल्यूशनरी अदालत ने देश में लगातार जारी अशांति के बीच एक सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी को मृत्युदंड और पांच अन्य लोगों को कारावास की सजा सुनाई है। सरकारी मीडिया ने जानकारी दी। देश में पिछले कुछ हफ्तों से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार लोगों के खिलाफ जारी मुकदमों में संभवत: पहली बार मौत की सजा दी गई है। ईरान की न्यायपालिका से संबंधित समाचार वेबसाइट मिजान ने बताया कि प्रदर्शनकारी को एक सरकारी भवन में आग लगाने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई तथा पांच अन्य लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के आरोप में पांच से 10 साल की सजा दी गई।
Everything is banned iranian cleric backs opposition to country islamic rule