गुजरात में हाल में सामने आए संदिग्ध मानव तस्करी के मामलों के मद्देनजर इस विषय के एक विशेषज्ञ ने कहा कि अपने अधिकारों से अनभिज्ञ प्रवासी लोग तस्करी तथा शोषण के शिकार हो रहे हैं, और इस मामले से समग्र रूप से निपटने के लिए हितधारकों के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा भारत के संवेदनशील जिलों में मानव तस्करी पर किए गए एक अध्ययन के परियोजना निदेशक पी. एम. नायर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि मानव तस्करी से संबंधित अपराधों से निपटने के लिए एक अलग जांच एजेंसी होनी चाहिए।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में मानव तस्करी से संबंधित राष्ट्रीय संसाधन केंद्र से जुड़े नायर ने कहा कि जमीनी स्तर पर इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए कॉलेज और पंचायत स्तर पर मानव तस्करी रोधी क्लब स्थापित करने जैसी पहल मददगार साबित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि 2019 में प्रकाशित टीआईएसएस के अध्ययन में प्रवास के परिप्रेक्ष्य से देश में मानव तस्करी के पहलू की पड़ताल की गई और पता लगाने की कोशिश की गई कि कैसे प्रवास तस्करी का कारण बन सकता है, या प्रवास की आड़ में लोगों की तस्करी कैसे होती है।
अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे प्रौद्योगिकी के उपयोग ने तस्करी को एक अदृश्य अपराध बना दिया और मानव तस्करी ने देश के हर राज्य कोप्रभावित किया। अध्ययन में कहा गया है कि तस्करी के शिकार व्यक्ति के संचार और आवाजाही की स्वतंत्रता जैसे बुनियादी अधिकारों पररोक लगा दी जाती है। अध्ययन में यौन तस्करी के पीड़ितों को फंसाने के लिए व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, सिग्नल, टेलीग्राम, हाइक, जस्टडायल, पेटीएम और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग एप्लिकेशन के बढ़ते उपयोग पर भी रोशनी डाली गई।
गुजरात पुलिस के मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ ने हाल में गांधीनगर के रहने वाले एक व्यक्ति की अमेरिका-मेक्सिको सीमा की दीवार पार करने के प्रयास में हुई मौत की जांच शुरू कर दी है। इस दीवार को ट्रम्प वॉल भी कहा जाता है। राज्य की पुलिस गांधीनगर जिले के डिंगुचा गांव के चार सदस्यीय परिवार की तस्करी से संबंधित मामले में एक व्यक्ति की संदिग्ध भूमिका की भी जांच कर रही है। पिछले साल जनवरी में अवैध रूप से कनाडा से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए ठंड लगने के कारण परिवार के सभी सदस्यों की मौत हो गई थी।
नायर ने कहा कि एक ओर जहां मानव तस्करी के खिलाफ प्रतिक्रिया प्रणाली में सुधार हुआ है, तो दूसरी ओर सरकारी विभागों और इस क्षेत्र में काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के बीच समन्वय असमान बना हुआ है। टीआईएसएस में पूर्व चेयर प्रोफेसर और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) के मानव-तस्करी रोधी नोडल अधिकारी के रूप में सेवाएं दे चुके नायर ने कहा, “जब तक सभी हितधारक एक साथ नहीं आते, मिलकर काम नहीं करते और समन्वय कायम नहीं करते, तब तक मानव तस्करी के इस मुद्दे को समग्र रूप से निपटाया नहीं जा सकता। रोकथाम, संरक्षण और अभियोजन पर एक साथ काम करना होगा।
Experts say coordinated effort needed to tackle the menace of human trafficking
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