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विशेषज्ञों का कहना है किसीओपी15 में डीएसआई भारत में जैव विविधता की रक्षा करने में मदद कर सकता है

विशेषज्ञों का कहना है किसीओपी15 में डीएसआई भारत में जैव विविधता की रक्षा करने में मदद कर सकता है

विशेषज्ञों का कहना है किसीओपी15 में डीएसआई भारत में जैव विविधता की रक्षा करने में मदद कर सकता है

सीओपी15 सम्मेलन में जैवविविधता की रक्षा के लिए हुए ऐतिहासिक समझौते के तहत अपनाए गए ‘डिजीटल सिक्वेंस इंफोर्मेशन’ (डीएसआई) से प्रकृति के संरक्षण के लिए भारत जैसे देशों को धन मुहैया कराया जाना सुनिश्चित होगा। कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र की संधि के लिए पक्षकारों के सम्मेलन की 15वीं बैठक (सीओपी15) चल रही है। जैव विविधता से संबंधित नागोया प्रोटोकॉल के जरिए संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन का मकसद उपयोगकर्ताओं (कॉरपोरेट संस्थानों) तथा विकासशील देशों में इन संसाधनों का संरक्षण कर रहे स्वदेशी समुदाय तथा किसानों के बीच आनुवंशिक संसाधनों से पैदा हुए फायदों को वितरित करना है।

अब डीएसआई तकनीक से कंपनियां संसाधनों को हासिल करने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरिंग के जरिए आनुवंशिक संसाधनों के न्यूक्लियोटाइड सिक्वेंस का इस्तेमाल कर सकती हैं। सीओपी15 में विकासशील देशों ने कहा है कि डीएसआई से मिलने वाले फायदों को समान रूप से साझा किया जाना चाहिए। डीएसआई का उपयोग कुछ अंतरराष्ट्रीय नीति मंचों के संदर्भ में किया जाता है, विशेष रूप से जैविक विविधता पर संधि, आनुवंशिक संसाधनों से प्राप्त डेटा को संदर्भित करने के लिए।

राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (एनबीए) के सचिव जस्टिन मोहन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘देशों ने डीएसआई को संसाधनों तक पहुंचने और फायदे साझा करने के तंत्र में लाने पर स्वीकृति दी थी। विभिन्न देशों से मिलने वाले सुझावों के आधार पर एक कार्यकारी समूह इन फायदों को साझा करने के तौर-तरीकों पर काम करेगा और तुर्किये में अगले सीओपी में इन सिफारिशों को अपनाने की उम्मीद है।’’

मोहन ने कहा कि कई प्रजातियां किसी खास क्षेत्र में ही पायी है जैसे कि लाल चंदन जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं और वह प्राकृतिक रूप से भारत में ही पाया जाता है। इसलिए डीएसआई से अर्जित होने वाली निधि भारत को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत यह दलील देता रहा है कि जहां भी जैविक संसाधन का स्रोत पता हो और उसे हासिल करने में कोई समस्या न हो तो डीएसआई से अर्जित निधि मूल देश में ही जानी चाहिए। गोला (यह खबर ‘इंटरन्यूज अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क’ की 2022 सीबीडी सीओपी15 फेलोशिप के तहत जारी की गयी है।

Experts says dsi at cop15 can help protect biodiversity in india

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