पंजाब के कई किसान नेताओं ने शनिवार को कानूनी रूप से गारंटी के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था लागू करने और बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को एक ज्ञापन सौंपा। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर, राज्य के 33 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए यात्रा भी निकाली।
राज्य भर से बड़ी संख्या में आए किसानों ने मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब से चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर तक मार्च निकाला, जहां पंजाब के राज्यपाल की ओर से उनके एक प्रतिनिधि ने ज्ञापन स्वीकार किया। अधिकारियों ने कहा कि चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। बाद में, जोगिंदर सिंह उग्राहन, हरिंदर सिंह लाखोवाल और हरमीत सिंह कादियान सहित कई किसान नेताओं को चंडीगढ़ पुलिस एक बस में राज्यपाल के साथ बैठक के लिए केंद्र शासित प्रदेश के राजभवन ले गयी, जहां उन्होंने राष्ट्रपति के नाम संबोधित अपना ज्ञापन उन्हें सौंपा।
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए किसान नेता हरमीत सिंह कादियान ने कहा कि राज्यपाल ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया है कि वह रविवार को राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजेंगे। नेताओं ने कानूनी रूप से गारंटी के साथ एमएसपी, बिजली संशोधन विधेयकऔर किसानों के खिलाफ सभी मामलों को वापस लेने जैसी मांगों पर पिछले साल किए गए आश्वासनों को लागू नहीं करके कथित रूप से किसानों को धोखा देने के लिए केंद्र की निंदा की। इससे पहले किसान मोहाली में एकत्र हुए और शनिवार को रैली भी की।
रैली में राज्य के कई हिस्सों से महिलाओं सहित बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने भाग लिया। सभा को संबोधित करते हुए, किसान नेता दर्शन पाल ने केंद्र से सभी फसलों पर कानूनी रूप से गारंटी के साथ एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कहा। पाल ने कहा कि कर्जदार किसानों को अपना जीवन समाप्त करने के लिए मजबूर किया गया और सरकार से उनका पूरा कर्ज माफ करने की मांग की। किसान नेता ने छोटे और सीमांत किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए प्रति माह 10,000 रुपये की पेंशन की भी मांग की।
किसान संगठनों की अन्य मांगों में बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करना, प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई के लिए एक व्यापक फसल बीमा योजना, अब निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किये गये मामलों को वापस लेने तथा आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा शामिल हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाली किसान यूनियनों की संस्था एसकेएम ने आंदोलन की आगे की रणनीति तय करने के लिए करनाल में आठ दिसंबर को बैठक बुलाई है।
Farmer leaders of punjab submitted memorandum to the governor regarding their demands
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