सूर्य की आराधना से सभी मनोवांछित कामनाएं पूरी होती हैं, सूर्य देव की आराधना से स्वास्थ्य, यश और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। अगर सूर्य देव की पूजा में उनके प्रिय पुष्प अर्पित किये जाएं तो सूर्य देव आप पर प्रसन्न होंगे और आपको आरोग्य, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
सूर्य आराधना में करें इन पुष्पों का प्रयोग
पुराणों के अनुसार सूर्य की आराधना यदि आक के पुष्पों से की जाये तो आपको इसका हजार गुना फल प्राप्त होता है। सूर्य देव को कनेर, बेला, पाटला, मालती, काश के पुष्प, कुब्जक, कटसरैया, जपा, यावन्ति, कर्णिकार, चंपा, रोलक, माधवी, बर्बरमल्लिका, अशोक, कुंद, कमल, मौलश्री, आरूषा, तिलक, लोध, पलाश के फूल, अगस्त्य और दूर्वा अर्पित किये जा सकते हैं। इन पुष्पों के अलावा रामा तुलसी के पत्ते,श्याम तुलसी, बेल पत्र, शमी के पत्ते, भंगरैया के पत्ते, तमाल पत्र और कमल के पत्ते सूर्य पूजा में प्रयोग किये जा सकते है।
पुष्प जो सूर्य आराधना में वर्जित हैं
सूर्य देव की पूजा अपराजिता, तगर, गूंजा, अमड़ा, धतूरा, कांची और भटकटैया के फूलों से नहीं करनी चाहिए।
कौन सा पुष्प है श्रेष्ठ
सूर्य की आराधना में गुड़हल के पुष्प का प्रयोग श्रेष्ठ है उससे श्रेष्ठ लाल कनेर का पुष्प, कई सहस्त्र लाल कनेर के पुष्पों से श्रेष्ठ एक बिल्वपत्र है, सहस्त्र बिल्वपत्रों से बढ़कर एक पद्म पुष्प, कई सहस्त्र पद्म पुष्पों से बढ़कर एक मौलश्री का पुष्प है, कई सहस्त्र मौलश्री के पुष्पों से बढ़कर एक शमी का पुष्प है, कई सहस्त्र शमी के पुष्पों से बढ़कर एक रक्त कमल और सहस्त्र रक्त कमलों से बढ़कर केसर का पुष्प होता है। इन पुष्पों के पत्ते और फल भी सूर्य देव को प्रिय है अतः उनका प्रयोग भी सूर्य आराधना में श्रेष्ठ माना गया है। इन सभी पुष्पों का प्रयोग दिन में किया जाता है यदि आप रात्रि में सूर्य की पूजा कर रहे हैं तो मुकुर और कदम्ब के फूलों को अर्पित कर सकते हैं। लेकिन बेला के फूल दिन और रात दोनों समय अर्पित किये जा सकते हैं।
Favorite flowers of sury dev
Lorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero