साक्षात्कारः पूर्व आईपीएस प्रकाश सिंह ने कंझावला कांड को लेकर पुलिस पर उठाये बड़े सवाल
दिल्लीवासियों ने कंझावला केस के बाद आधुनिक तकनीकों से लैस व सपन्न कही जाने वाली दिल्ली पुलिस की सुरक्षा पर सीधा सवाल खड़ा किया है, करना भी चाहिए घटनाएं जो लगातार बढ़ रही हैं। ऐसा लगता है जैसे बढ़ती वारदातों पर उनका प्रभावी नियंत्रण रहा ही ना हो। 12 किलोमीटर तक एक लड़की को घसीटा जाता है, पर किसी पुलिसकर्मी की नजर नहीं पड़ती। अगर सतर्कता होती तो लड़की की जान बच सकती थी। दिल्ली पुलिस का मॉनिटरिंग सिस्टम पूरी तरह से चरमरा-सा गया है। क्या-क्या हैं मौजूदा समय में कमियां और क्या कुछ ऐसा किया जाए जिससे पुलिस की सुरक्षा फिरसे दुरूस्त हो, जैसे ज्वलंत मुद्दे पर पूर्व वरिष्ठ आईपीएस प्रकाश सिंह से रमेश ठाकुर की विस्तृत बातचीत।
प्रश्नः कंझावला केस को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- सामान्य घटना तो नहीं है, इसलिए कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। पॉवर-पैसे का गढ़ है दिल्ली, जहां सरकार से लेकर समूची राजनीतिक संरचना संचालित होती है। दिल्ली से ही देश चलता है, ऐसे में वहां की पुलिस दूसरे राज्यों के मुकाबले ज्यादा आधुनिक और सशक्त मानी जाती है। राज्यों की पुलिस के मुकाबले दिल्ली पुलिस के पास सुविधाएं भी ज्यादा हैं, उसके बावजूद कंझावला घटना घटती है। देखिए, पुलिस विभाग के लिए क्षेत्र की पेट्रोलिंग बहुत मायने रखती है, जितनी ज्यादा की जाएगी, अपराध पर उतना नियंत्रण होगा। जिस सड़क पर आरोपी कार से लड़की को कई किलोमीटर तक घसीटते रहे, अगर पुलिस की पैट्रोलिंग नियमित रही होती तो घटना घटती ही नहीं?
प्रश्नः पैट्रोलिंग की मॉनिटरिंग में आपको क्या कमियां दिखती हैं?
उत्तर- खामियां तो हैं? घटना के बाद पुलिस बेशक सार्वजनिक रूप से गलती स्वीकार ना करें, लेकिन अंतरात्मा ने जरूर किया होगा। घटना न्यू ईयर के मौके पर घटी, तब पुलिस की सतर्कता और मजबूत होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं था, अव्वल तो सबसे बड़ी खामी यही है। सड़कों, बाजारों और संभावित खतरों वाले इलाकों में अगर पुलिस की पैट्रोलिंग अच्छे से हो और उनकी मॉनीटरिंग की जाए, तो अपराध बहुत कम होंगे। मैं पुलिस सुधार की मांग वर्षों से करता आया हूं, पैट्रोलिंग उसी मांग का हिस्सा है।
प्रश्नः दिल्ली में बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर- देखिए, सबसे पहले पुलिस के रिक्त स्थानों को पूरा करना चाहिए, इसके अलावा महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में भी इजाफा करना चाहिए, क्योंकि पिछले साल दिल्ली में 1911 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं घटी, 2343 महिलाओं के साथ छेड़खानी हुई, 7773 महिलाओं के साथ झपटमारी हुई तो वहीं, 736 के साथ हत्या के प्रयास हुए, ये आंकड़े ताजे हैं, जो बतलाते हैं कि राजधानी में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाने की कितनी जरूरत है। इसके बाद ही आधी आबादी को सुरक्षित माहौल का एहसास होगा।
प्रश्नः आपको नहीं लगता कंझावला केस में पुलिस की जांच भटकने लगी है?
उत्तर- भटकना तो नहीं कहूंगा, पर सबसे पहले अंजलि हत्याकांड पर पुलिस फोकस करे तो बेहतर होगा। हत्या कैसे हुई, क्यों हुई और मकसद क्या था? जिस बेरहमी के साथ लड़की को मारा गया, उसे देखकर तो मानवता भी शर्मसार हो जाए। अंजलि की दोस्त निधि मादक पदार्थ बेचती थी, उस पर केस चल रहे हैं, ये बाद के इश्यू हैं, पहले मूल घटना की प्रत्येक एंगल से जांच होनी चाहिए, केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चले, ताकि केस जल्दी से अंतिम पड़ाव तक पहुंच सके और मृतका को न्याय मिल पाए।
प्रश्नः पुलिस बड़े केसों में अक्सर कोई ना कोई गलती क्यों कर बैठती है?
उत्तर- ऐसे मामले जिनमें मीडिया, सरकार और जनता का अटेंशन ज्यादा होता हैं, या कोई बहुत चर्चित केस हो, उसमें पुलिस पर दबाव पहाड़ जैसा होता है। तब कहीं ना कहीं जांच-पड़ताल में हड़बड़ी हो जाती है। वैसे मैंने अपने कार्यकाल में जो अनुभव किया, कि केस को सुलझान में स्टाफ की कमी सबसे बड़ा रोड़ा बनती है, कोर्ट का काम बहुत होता है पुलिस के कंधों पर। ये समस्या सालों से बरकरार है। आलम तो ये है कि पांच पुलिसकर्मी का काम एक बंदा करता है।
-डॉ. रमेश ठाकुर
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं
Former ips prakash singh raised big questions on police regarding kanjhawala incident