कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने सोमवार को केरल विधानसभा में दावा किया कि सत्तारूढ़ वाम मोर्चे की प्रस्तावित नई शिक्षा नीति में ‘लैंगिक तटस्थ’ विचारों का परिणाम “धर्म की उपेक्षा” और “यौन अराजकता” होगा। वहीं वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने कहा कि कुछ भी तय नहीं किया गया है और सब कुछ चर्चा के लिए था। संयुक्त लोकतात्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के एक प्रमुख घटक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने कहा कि प्रस्तावित नई शिक्षा नीति और उसमें लैंगिक तटस्थ दृष्टिकोण बच्चों और आम लोगों में “लैंगिक भ्रम” पैदा करेंगे।
आईयूएमएल के विधायक एन समसुदीन ने विधानसभा में दावा किया, “शिक्षा नीति का उद्देश्य लैंगिक समानता और तर्कसंगत विचार लाना है। राज्य के खर्च पर इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे धर्म की उपेक्षा होगी। इसलिए, इसे नीति से हटाना होगा।” समसुदीन ने दावा किया, “हमें लैंगिक समानता की आवश्यकता नहीं है, लेकिन समान अवसरों की आवश्यकता है। लैंगिक तटस्थ विचारों से यौन अराजकता पैदा होगी और शिक्षा में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। वे (सरकार) बच्चों और जनता के बीच लैंगिक भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार “लैंगिक भेदभाव मुक्त” समाज बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार इसे अपनी शिक्षा नीति से वापस ले। आईयूएमएल विधायक के आरोपों और तर्कों को खारिज करते हुए राज्य के सार्वजनिक शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी ने कहा कि सरकार ने कुछ भी तय नहीं किया है और ये मुद्दे सार्वजनिक चर्चा व बहस का विषय हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लैंगिक-तटस्थ वर्दी या मिलीजुली बेंच या छात्रावास नहीं थोपा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार का “धर्म की उपेक्षा” का कोई इरादा नहीं है और वह केवल धर्मनिरपेक्षता चाहती है। मंत्री ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता को धर्म की उपेक्षा के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए।
Gender neutral views in kerala govts education policy
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