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‘जिस देश की पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व नहीं होता, वो कभी देश को महान नहीं बना सकती’, अमित शाह का बयान

‘जिस देश की पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व नहीं होता, वो कभी देश को महान नहीं बना सकती’, अमित शाह का बयान

‘जिस देश की पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व नहीं होता, वो कभी देश को महान नहीं बना सकती’, अमित शाह का बयान

गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में 'क्रांतिकारियों (भारत ने अपनी स्वतंत्रता कैसे जीती, इसकी दूसरी कहानी) नामक पुस्तक का विमोचन किया। अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि जिस देश की पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व नहीं होता है, वो कभी देश को महान नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कि गुलामी के काल में प्रस्थापित, परंपरा, मान्यता और सोच को लेकर जो चलते हैं वो राजनीतिक गुलामी से मुक्त हो सकते हैं मगर देश की सोच को गुलामी से मुक्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि क्रांतिकारी (भारत ने अपनी स्वतंत्रता कैसे प्राप्त की दूसरी कहानी) नाम ही पुस्तक का सारांश है। उन्होंने कहा कि शिक्षाविदों, इतिहास के साथ-साथ अन्य माध्यमों से केवल एक ही दृष्टिकोण का प्रसार किया गया है। 
 

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शाह ने कहा कि औपनिवेशिक अतीत के किसी भी अवशेष से छुटकारा पाने के पीएम के इरादे के अनुरूप, सबसे महत्वपूर्ण इतिहास को इससे मुक्त करना है। वीर सावरकर ने पहली बार 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहकर इसकी कोशिश की। उन्होंने कहा कि इतिहास कई सारी मान्यताओं को जन्म देता है। परंतु इतिहास हार और जीत के आधार पर नहीं लिखा जा सकता। प्रयासों के भी कई डायमेंशन होते हैं। इतिहास को वास्तविकता के आधार पर लिखना चाहिए। प्रयासों के मूल्यांकन के आधार पर लिखना चाहिए। शाह ने साफ तौर पर कहा कि जब भगत सिंह को अंग्रेजों ने फाँसी दी तो लाहौर से कन्याकुमारी तक के लोगों ने उनकी मृत्यु पर शोक मनाया। मैं केवल भगत सिंह के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक विद्रोह शुरू नहीं हुआ होता तो स्वतंत्रता में दशकों की देरी होती।
 

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भाजपा नेता ने कहा कि हमारे युवाओं के लिए हमारी स्वतंत्रता के इतिहास का मूल्यांकन करने और लिखने के लिए जिम्मेदार लोगों ने गलतियां की हैं क्योंकि वे हमारे दृष्टिकोण को प्रदान करने में विफल रहे हैं। अंग्रेज तो चले गए लेकिन उनकी मानसिकता बनी रही और यह किताब उस भ्रम को दूर करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि क्या हम कम से कम 300 ऐसे व्यक्तियों की पहचान नहीं कर सकते जिन्होंने हमारे देश को महान बनाया? हर बार हमें बताया गया है कि मुगल पहले साम्राज्य थे, लेकिन ऐसा नहीं है! ऐसे साम्राज्य रहे हैं जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों तक इस देश पर शासन किया है। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्टता से मानता हूं कि देश को आजादी दिलाने में साहित्यकारों का भी बड़ा योगदान है और किसानों का भी। साथ ही हमारे जनजातीय समुदाय के लोगों ने भी देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई। सबका एक ही लक्ष्य था देश को अंग्रेजों से मुक्त कराना, देश को आजादी दिलाना।

Generation of country which is not proud of its heritage can never make country great amit shah

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